नई दिल्ली: Music Director Khayyam Passes Away: हिंदी सिनेमा में कुछ ऐसे संगीतकार रहे हैं जिन्होंने ना सिर्फ अच्छे-बेहतरीन संगीत दिए हमें बल्कि भारतीय सिनेमा को आगे ले जाने में भी उनका काफी योगदान रहा। उनमें से एक नाम संगीतकार खय्याम का भी रहा है। जिन्होंने अपने संगीत से भारतीय सिनेमा को सजाया, संवारा और काफी आगे तक लेकर गए। सभी जानते हैं कि खैय्याम ने 'कभी खभी' और 'शोला और शबनम' जैसी मशहूर फिल्मों में म्यूजिक दिया, लेकिन कम ही लोग जानते हैं कि सुरों के सरताज के दिल में अगर संगीत था तो रगों में देश के लिए बहने वाला लहू भी था। तभी तो खय्याम साहब ने दूसरे विश्व युद्ध में बतौर सिपाही भाग भी लिया था।
खय्याम साहब ने उमराव जान, कभी-कभी और बाज़ार जैसी फ़िल्मों से भारतीय सिनेमा के संगीत को समृद्ध बनाया। लेकिन बॉलीवुड में करियर की शुरुआत करने से पहले खय्याम ब्रिटिश आर्मी की तरफ से दूसरे विश्व युद्ध में बंदूक के तेवर भीदिखा चुके हैं। फिल्मों में करियर बनाने के लिए खय्याम लाहौर पहुंचे और वहां उन्होंने मशहूर पंजाबी संगीतकार बाबा चिश्ती से संगीत सीखा।
साल 1948 में फिल्म 'हीर रांझा' के संगीत देकर खय्याम ने फिल्मी करियर की शुरुआत कर ली। मगर इस फिल्म खय्याम को शर्माजी नाम मिला, शुरुआत में खय्याम को इसी नाम से जाना गया। खय्याम को साल 1961 में रिलीज हुई फिल्म 'शोला और शबनम' ने उन्हें मशहूर कर दिया।
19 अगस्त की रात साढ़े 9 बजे खय्याम ने आखिरी सांस ली। करीब 20 दिनों से खय्याम अस्पताल में भर्ती थे। 92 साल के खय्याम वृद्धावस्था की कई बीमारियों से जूझ रहे थे। सोमवार की रात उन्हें कार्डियक अरेस्ट आया और डॉक्टर्स उन्हें बचा नहीं पाए।
बता दें, खय्याम का पूरा नाम मोहम्मद जहूर खय्याम था, मगर उनके चाहने वाले उन्हें खय्याम साहब के नाम से ही जानते हैं। उनकी पत्नी जगजीत कौर सिंगर हैं, मुंबई में वो पत्नी के साथ ही रहते थे।