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Birth Anniversary: 'वो कागज़ की कश्ती...' इन गज़लों से जगजीत सिंह को कीजिए याद

पद्म भूषण से नवाजे चा चुके जगजीत सिंह ने 'चिट्ठी ना कोई संदेश' से 'होंठों से छू लो तुम' जैसी अनगिनत गज़लें गाई हैं।

Reported by: India TV Entertainment Desk
Published on: February 08, 2021 11:15 IST
jagjit singh Birth Anniversary listen his soulful gazal - India TV Hindi
Image Source : INSTAGRAM: JAGJITSINGHOFFICIAL जगजीत सिंह की आज 80वीं बर्थ एनिवर्सिरी है

गज़लों के सम्राट जगजीत सिंह की आज 80वीं बर्थ एनिवर्सिरी है। उन्होंने 'चिट्ठी ना कोई संदेश' से 'होंठों से छू लो तुम' जैसी अनगिनत गज़लें गाई हैं, जो लोगों के ज़हन में आज भी छपी हुई हैं। भले ही वो इस दुनिया में नहीं हैं, लेकिन अपनी आवाज से हमेशा फैंस के दिलों में जिंदा रहेंगे।

जगजीत सिंह का जन्म राजस्थान के बीकानेर में हुआ था और उनका असली नाम जगजीवन सिंह था। उन्होंने पढ़ाई के साथ क्लासिकल सिंगिंग सीखी। इंजीनियरिंग की पढ़ाई के बाद उन्होंने रेडियो में सिंगर और म्यूजिक डायरेक्टर के तौर पर काम करना शुरू किया। वो घरवालों को बिना बताए मुंबई आ गए। इसके बाद उन्होंने विज्ञापनों में जिंगल्स गाना शुरू किया और फिर धीरे-धीरे बतौर प्लेबैक सिंगर कई गानों को अपनी आवाज दी। मुंबई में ही उनकी मुलाकात चित्रा दत्ता से हुई। 1969 में दोनों ने एक-दूसरे का हाथ थामा और साथ में कई गाने भी गाए। 

पद्म भूषण से नवाजे जा चुके जगजीत सिंह की साल 2011 में तबीयत बिगड़ गई और उन्होंने दुनिया को अलविदा कह दिया। आइये एक बार फिर गज़लों के जरिए उन्हें याद करते हैं।

वो कागज की कश्ती 

होठों से छू लो तुम

चिट्ठी ना कोई संदेश

तुम इतना जो मुस्कुरा रहे हो

होशवालों को खबर कहां

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