नई दिल्ली। भारतीय शास्त्रीय संगीत के प्रसिद्ध शास्त्रीय गायक पंडित जसराज का 90 साल की उम्र में अमेरिका में निधन हो गया है। पंडित जसराज ने अमेरिका के न्यू जर्सी में अंतिम सांस ली है। महान शास्त्रीय गायक पंडित जसराज का अमेरिका में दिल का दौरा पड़ने से सोमवार की सुबह निधन हो गया। कोरोना वायरस महामारी के कारण लॉकडाउन के बाद से पंडित जसराज न्यूजर्सी में ही थे। उन्होंने आज सुबह आखिरी सांस ली। उनकी बेटी दुर्गा जसराज ने यह जानकारी दी है।
पंडित जसराज के परिवार ने एक बयान में कहा, 'बहुत दुख के साथ हमें सूचित करना पड़ रहा है कि संगीत मार्तंड पंडित जसराज जी का अमेरिका के न्यूजर्सी में अपने आवास पर आज सुबह 5 बजकर 15 मिनट पर दिल का दौरा पड़ने से निधन हो गया।' उन्होंने कहा, 'हम प्रार्थना करते हैं कि भगवान कृष्ण स्वर्ग के द्वार पर उनका स्वागत करें जहां वह अपना पसंदीदा भजन 'ओम नमो भगवते वासुदेवाय' उन्हें समर्पित करें। हम उनकी आत्मा की शांति के लिये प्रार्थना करते हैं।' उन्होंने आगे कहा, 'आपकी प्रार्थनाओं के लिये धन्यवाद। बापूजी जय हो' इस साल जनवरी में अपना 90वां जन्मदिन मनाने वाले पंडित जसराज ने आखिरी प्रस्तुति नौ अप्रैल को हनुमान जयंती पर फेसबुक लाइव के जरिये वाराणसी के संकटमोचन हनुमान मंदिर के लिये दी थी ।
पंडित जसराज का जन्म 28 जनवरी 1930 को हरियाणा हिसार में हुआ था और उनके पिता पंडित मोतीराम भी मेवात घराने में एक संगीतज्ञ थे। जसराज का संबंध मेवाती घराने से रहा। जसराज जब चार वर्ष उम्र में थे तभी उनके पिता पंडित मोतीराम का देहांत हो गया था और उनका पालन पोषण बड़े भाई पंडित मणिराम के संरक्षण में हुआ।
पंडित जसराज ने संगीत दुनिया में 80 वर्ष से अधिक बिताए और कई प्रमुख पुरस्कार प्राप्त किए। शास्त्रीय और अर्ध-शास्त्रीय स्वरों के उनके प्रदर्शनों को एल्बम और फिल्म साउंडट्रैक के रूप में भी बनाया गया है। जसराज ने भारत, कनाडा और अमेरिका में संगीत सिखाया है। उनके कुछ शिष्य नामी संगीतकार भी बने हैं। साल 2000 में भारत सरकार ने पंडित जसराज को पद्म विभूषण से सम्मानित किया था। उन्होंने न सिर्फ भारत में बल्कि कनाडा और अमेरिका में भी शास्त्रीय संगीत सिखाया। अंतरराष्ट्रीय खगोलीय संघ (IAU) ने 11 नवंबर, 2006 को खोजे गए हीन ग्रह 2006 VP32 (संख्या -300128) को पंडित जसराज के सम्मान में 'पंडितजसराज' नाम दिया था।