- फिल्म रिव्यू: वाय चीट इंडिया
- स्टार रेटिंग: 2.5 / 5
- पर्दे पर: 18 जनवरी 2019
- डायरेक्टर: सौमिक सेन
- शैली: ड्रामा
गुलाब गैंग डायरेक्ट कर चुके डायरेक्टर सौमिक सेन इस बार वाय चीट इंडिया फिल्म लेकर आए हैं। फिल्म में इमरान हाशमी लीड रोल में हैं। उनका साथ देने के लिए श्रेया धनवंतरि भी फिल्म में नजर आएंगी। सौमिक ने अपनी फिल्म के लिए एक बहुत ही अच्छे विषय को चुना है। फिल्म की कहानी देश के एजुकेशन सिस्टम को दिखाती है। हालांकि यह विषय जितना दमदार है, उतने अच्छे से सौमिक इसे फिल्म में दिखा नहीं पाए हैं। हर माता-पिता का ख्वाब होता है कि वह अपने बच्चों को इंजीनियर, डॉक्टर बनाए और इसके लिए वह अपने बच्चों पर बहुत दबाव भी डालते हैं। इंजीनियर, डॉक्टर बनने के लिए पैसा तो बहुत लगता ही है, लेकिन उससे पहले एंटरेंस एग्जाम पास करना ही सबसे मुश्किल होता है। मीडिल क्लास फैमिली के बच्चों तो पढ़ाई कर के ही एंटरेंस एग्जान पास कर पाते हैं, लेकिन अमीर वर्ग के पास एक और विकल्प होता है। वह पैसे खर्च कर के अपने और अपने बच्चे के ख्वाब को पूरा कर देते हैं।
कहानी
फिल्म की कहानी एक ठग राकेश सिंह यानि रॉकी (इमरान हाशमी) की है, जो इंजीनियरिंग के एंटरेंस एग्जाम के लिए अमीर लोगों से पैसा लेता है और उनकी जगह फर्जी स्टूडेंट को भेज कर एग्जाम पास करवाता है। कहानी लखनऊ की है, जहां सत्येंद्र दूबे यानि सत्तू (स्निग्धादीप चटर्जी) नाम का एक लड़का है। इंजीनियरिंग एंटरेंस एग्जाम में उसका अच्छा रैंक आया है और इसका पता रॉकी को चल जाता है। पैसों का लालच देकर वह सत्तू को अपनी टीम में शामिल कर लेता है। अब सत्तू खुद इंजीनियरिंग कॉलेज में पढ़ने के साथ-साथ दूसरों की इंजीनियरिंग एंटरेंस एग्जाम भी देता है।
सत्तू की बहन नुपूर के रोल में श्रेया धनवंतरि हैं, जिनकी यह पहली फिल्म है। नुपूर को रॉकी से प्यार हो जाता है और अंत में यही प्यार एक ट्विस्ट का रूप ले लेता है। श्रेया इससे पहले वेब सीरीज 'लेडीज रूम' में नजर आ चुकी हैं। फिल्म में श्रेया के करने के लिए कुछ खास नहीं है, लेकिन डेब्यू एक्ट्रेस के तौर पर उनके काम को जरूर सराहना मिलनी चाहिए।
रॉकी की निजी जिंदगी की भी अपनी अलग ही कहानी है। उसके इस बिजनेस में आने के भी अपने ही कारण हैं, जो कि आपको बिल्कुल भी नया नहीं लगेगा। इंजीनियरिंग का बिजनेस रोक रॉकी एमबीए के बिजनेस में एंट्री लेता है। ऐसा नहीं है कि उसका बिजनेस एकदम अच्छा ही चलता है। बीच में कुछ रुकावटें भी आती हैं, लेकिन वो भी इम्प्रेस नहीं कर पाती हैं।
एक्टिंग
इमरान हाशमी की एक्टिंग अच्छी है। वो एक सीरियस ठग बने हैं, जो पोकर फेस बनाकर एक-दो जोक्स भी कह जाते हैं। फिल्म का पहला हाफ कहानी पर फोकस करता है, लेकिन इंटरवल के बाद सारा फोकस रॉकी पर चला जाता है। सभी बातें रॉकी के इर्द-गिर्द घूमने लगती हैं।
अपने डेब्यू फिल्म में श्रेया ने अच्छा काम किया है। हर इमोशन पर उन्होंने अच्छा एक्सप्रेशन दिया है। किसी भी इमोशन को ज्यादा दिखाने की कोशिश नहीं की है।
स्निग्धादीप चटर्जी यानि सत्तू का रोल भी अच्छा है। रॉकी के पापा का रोल छोटा है, लेकिन प्रभावी है। रॉकी के साथ हर वक्त रहने वाला उनका दोस्त भी आपको इम्प्रेस करेगा।
क्यों देखें फिल्म
एक बार देखने के लिए यह फिल्म अच्छी है। फिल्म के गाने, इमरान-श्रेया की एक्टिंग के लिए यह फिल्म देख सकते हैं।
क्यों न देखें फिल्म
फिल्म की कहानी और बेहतर हो सकती थी। साथ ही डायलॉग्स पर भी काम किया जा सकता था। हमारे देश की एजुकेशन सिस्टम की कमियां तो फिल्म में दिखाई गई हैं, लेकिन वह दिल को छू नहीं पाती। इसे और दमदार और प्रभावी तरीके से दिखाया जाना चाहिए था।
इंडिया टीवी इस फिल्म को 5 में से 2.5 स्टार देता है।