- फिल्म रिव्यू: Verses Of War
- स्टार रेटिंग: 3.5 / 5
- पर्दे पर: 26 जनवरी 2022न
- डायरेक्टर: प्रसाद कदम
- शैली: शॉर्ट फिल्म
जान देने की तड़प बार-बार उठती है
जंग भी हम करते हैं मोहब्बत की तरह
विवेक ओबेरॉय और रोहित रॉय की शॉर्ट फिल्म 'वर्सेज ऑफ वॉर' आज 26 जनवरी के मौके पर यूट्यूब पर रिलीज हो गई। ये फिल्म दो आर्मी अफसर की कहानी है, एक पाकिस्तानी आर्मी अफसर है तो दूसरा भारतीय।
विवेक ओबेरॉय ने फिल्म में भारतीय आर्मी के मेजर सुनील भाटिया का रोल प्ले किया है। जो मुठभेड़ के वक्त पाकिस्तानी आर्मी द्वारा कैप्चर कर लिये जाते हैं। फिल्म में रोहित रॉय ने पाकिस्तानी आर्मी अफसर नवाज जहांगीर का रोल प्ले किया है। मेजर सुनील भाटिया एक बेहतरीन आर्मी अफसर होने के साथ-साथ एक बेहतरीन शायर भी होते हैं और जब नवाज जहांगीर उनके सामान के साथ डायरी देखते हैं तो वो भी पढ़कर हैरान हो जाते हैं, क्योंकि वो खुद भी थोड़ी बहुत शायरी करते हैं।
यह फिल्म हमें अभिनंदन वर्धमान की याद दिलाती है जो पाकिस्तानी सेना द्वारा कैप्चर कर लिए जाते हैं और वहां जाने के बाद वो कोई भी जानकारी पाकिस्तानी सेना को नहीं देते हैं। इस फिल्म को देखकर लगा कि शायद ये उसी इंसीडेंट से इंस्पायर है।
ये शॉर्ट फिल्म सिर्फ 32 मिनट 4 सेकेंड की है मगर इतने कम समय में भी फिल्म हमें काफी कुछ कह जाती है। भले ही ये शॉर्ट फिल्म हो मगर निर्देशक प्रसाद कदम ने इस बात का ध्यान रखा है कि फिल्म रियल लोकेशन पर शूट हो और एक कमरे में सिमटकर ना रह जाए। फिल्म काफी ज्यादा इंगेजिंग है और खास बात ये है कि यह फिल्म आपको बांधे रखती है। फिल्म में बेहतरीन डायलॉग्स हैं। हां कुछ जगह विवेक ओबेरॉय के डायलॉग लंबे लगे हैं लेकिन चूंकि वो शायर भी हैं तो हम उसे नजरअंदाज कर सकते हैं। जैसे एक जगह वो कहते हैं- एक फौजी जब जीता है तो पूरी शिद्दत से जीता है और जब मरता है तो पूरी इज्जत से मरता है।
विवेक ओबेरॉय का काम सराहनीय है, अपनी स्माइल और डायलॉग डिलीवरी से वो हमें इम्प्रेस करने में कामयाब रहे हैं। रोहित रॉय ने कमाल का काम किया है। वो इतने नेचुरल लगे हैं कि हमें यकीन नहीं होता कि अभिनय कर रहे हैं बल्कि लगता है कि वो सच में पाकिस्तानी आर्मी अफसर हैं। एक जगह वो शायरी सुनाते हुए हेजिटेट होते हैं और वहां वो काफी बेहतरीन और नेचुरल लगे हैं। विवेक ओबेरॉय कहते हैं- फौजी हो या शायर डर दोनों के लिए हराम है। तो वो हैरत से उन्हें देखते हैं।
विवेक ओबेरॉय के कहने पर जब पाकिस्तानी अफसर नवाज जहांगीर शायरी सुनाते हैं वो कुछ इस तरह होती है-
दिल के साज का कोई तार बजा कर रखो
आखिरी उम्मीद को भी घर में सजाकर रखो
जाने कब कौन तेरे घर जा पहुंचे
अपने दुश्मन से भी कुछ बात बनाकर रखो।
इस शायरी का फिल्म में खास महत्व है ये आपको फिल्म देखने पर ही पता चलेगी।
शिवानी राय की फिल्म में अहम भूमिका है ये उनकी पहली फिल्म है और उनका काम भी बहुत अच्छा है।
यह फिल्म एफएनपी मीडिया, विकास गुटगुटिया, गिरीश जौहर द्वारा निर्मित और प्रस्तुत की गई है, यह फिल्म विवेक ओबेरॉय और ओबेरॉय मेगा एंटरटेनमेंट द्वारा सह-निर्मित है। खास बात ये है कि विवेक ओबेरॉय ने इस फिल्म की कमाई हमारे शहीद जवानों की वाइफ को देने का फैसला किया है।
ये फिल्म हमें ये मैसेज भी देती है कि देशभक्ति जितनी भारतीय सैनिकों में है उतनी ही पाकिस्तानी सैनिकों में भी है, क्योंकि हैं तो वो भी सैनिक ही। 26 जनवरी को ये फिल्म आई है तो ये फिल्म देखिए और देशभक्ति के रंग में डूब जाइए।