- फिल्म रिव्यू: सेक्शन 375
- स्टार रेटिंग: 3.5 / 5
- पर्दे पर: SEP 13, 2019
- डायरेक्टर: अजय बहल
- शैली: कोर्टरुम ड्रामा
2012 में हुए निर्भया केस के बाद से रेप या यौन शोषण को लेकर कानून और सख्त बना दिए गए हैं। मगर आज भी देश में रोजाना हो रहे रेप की संख्या कम नहीं हुई है। जिस तरह किसी चीज के फायदे होते हैं तो उसके नुकसान भी होते हैं। बस इंसान उसे किस तरह इस्तेमाल करता है यह उस पर निर्भर करता है। सेक्शन 375 को आसान भाषा में समझें तो ये मर्ज़ी या जबरस्ती का कानून है। संविधान के इसी सेक्शन 375 पर अजय बहल ने फिल्म बनाई है जिसका नाम ‘सेक्शन 375’ है।अक्षय खन्ना और ऋचा चड्ढा फिल्म सेक्शन 375 में अहम भूमिका निभाते नजर आए हैं। फिल्म में आईपीसी की धारा 375 के इस्तेमाल के दो अलग-अलग नजरिये दिखाए गए हैं जो आखिरी तक आपको सस्पेंस के साथ बांधे रखेगा।
कहानी:
सेक्शन 375 एक कोर्टरुम ड्रामा है। जिसमें अक्षय खन्ना और ऋचा चड्ढा वकील का किरदार निभाते नजर आएंगे। फिल्म की कहानी एक फिल्ममेकर के अपनी जूनियर के रेप करने से शुरू होती है। जिसके बाद शुरू होता है कोर्टरुम ड्रामा। जहां दोनों वकील अपने-अपने क्लांइट को बचाने में लगे रहे हैं। रेप के केस के बाद फिल्ममेकर रोहन खुराना को निचली अदालत से तो रेप के केस में 10 साल की सजा मिल जाती है। जिसके बाद हाईकोर्ट में अपील की जाती है और अक्षय खन्ना(तरुण सलूजा) उनका केस लड़ते हैं वहीं पब्लिक प्रॉसिक्यूटर का रोल ऋचा चड्ढा निभाती नजर आती हैं। जिसके बाद शुरू होती है कोर्ट में पेशी, पुलिस की खामियां और बहुत सी छोटी-छोटी चीजें जो आज के समय में सिस्टम में पाई जाती हैं, ये सब फिल्म में आपको देखने को मिलेगा और ऐसा लगेगा कि आप फिल्म नहीं बल्कि सच में किसी कोर्ट की पेशी देख रहे हैं। जिस तरह हर सिक्के के दो पहलू होते हैं उसी तरह किसी कानून का इस्तेमाल करने के दो तरीके होते हैं। फिल्म में कानून का इस्तेमाल आपको आखिरी तक चौंका देता है।
एक्टिंग:
हर बार की तरह इस बार भी अक्षय खन्ना अपनी शानदार एक्टिंग से सभी का दिल जीतनें में कामयाब रहे। उनका एक हाई-फाई वकील का किरदार आपके दिमाग में छाप छोड़ देता है। वहीं ऋचा चड्ढा पब्लिक प्रॉसिक्यूटर के किरदार में शांत तरीके से अपनी बात सभी के सामने रखती नजर आईं। वह फिल्मों में दिखाए जाने वाली महिला वकील की तरह चिल्लाती नजर नहीं आईं। राहुल भट जिन्होंने रोहन खुराना का किरदार निभाया एक्टिंग से इंप्रेस करने में कामयाब हुए। वहीं जज का किरदार निभाने वाले किशोर कदम और क्रुतिका देसाई के सीरियस जजमेंट के साथ पंचेज भी मारते नजर आए।
डायलॉग्स:
फिल्म में गहराई से समझने वाले डायलॉग्स बोले गए हैं। अक्षय कुमार के डायलॉग्स आपको सोचने पर मजबूर कर देते हैं। 'कानून न्याय नहीं है यह सिर्फ उसे पाने का एक हथियार है या कभी भी कानून से प्यार मत कर लेना या न्याय एक सार है। इस तरह के कई डायलॉन्स फिल्म को बेहतर बना देते हैं।
क्लाइमैक्स:
सेकेंड हॉफ के बाद से आप यह सोचने लगते हैं अब क्या होगा मगर जो आप सोचते हैं उसका बिल्कुल उलट होगा और फिल्म का क्लाइमैक्स आपको चौंका कर रख देगा।
क्यों देखें:
इस फिल्म में एक कसी हुई स्क्रिप्ट और अच्छी एक्टिंग तो है ही साथ ही ये फिल्म एंटरटेनिंग है और आपको बोर नहीं होने देती है, तो इस वीकेंड आप यह फिल्म एन्जॉय कर सकते हैं।
खामियां:
फिल्म में कोर्टरुम में काफी जगह मराठी भाषा का इस्तेमाल किया गया है। इसका इस्तेमाल कम किया जाता तो लोगों को इन लाइन्स को समझने में दिक्कत नहीं होती।
इंडिया टीवी इस फिल्म को 5 में से 3.5 स्टार देता है।