
- फिल्म रिव्यू: तुमको मेरी कसम
- स्टार रेटिंग: 3 / 5
- पर्दे पर: 21/03/2025
- डायरेक्टर: विक्रम भट्ट
- शैली: ड्रामा
विक्रम भट्ट कई सालों बाद एक नए जोनर की फिल्म लेकर आए हैं। कई हॉरर फिल्मों के बाद अब विक्रम भट्ट ने एक अलग कहानी पर काम किया है। विक्रम भट्ट द्वारा निर्देशित फिल्म 'तुमको मेरी कसम' उनकी दमदार वापसी का सबूत है। एक गहन और भावनात्मक ड्रामा पेश करती इस फिल्म से आप जुड़ाव महसूस करेंगे। अनुपम खेर, ईशा देओल, अदा शर्मा, इश्वाक सिंह और सुशांत सिंह जैसे अनुभवी कलाकारों की एक टीम के साथ, यह फिल्म प्यार, विश्वासघात और कोर्ट रूम रोमांच को बड़ी सहजता से पेश कर रही है। यह जीवन, रिश्तों और न्याय की खोज की जटिलताओं की एक आकर्षक और रियल लाइफ कहानी पेश कर रही है।
कहानी
'तुमको मेरी कसम' एक व्यक्ति के संकल्प और संघर्ष की अद्भुत दास्तां है। यह कहानी डॉ. अजय मुर्डिया के जीवन पर आधारित है, जिन्होंने इंदिरा IVF की स्थापना कर हजारों निःसंतान दंपतियों के सपनों को साकार किया। छोटे से क्लिनिक से शुरू होकर देश की सबसे बड़ी IVF चेन बनाने तक का उनका सफर मेहनत, दृढ़ संकल्प और आत्मविश्वास की प्रेरणा देता है। यह फिल्म उन सभी के लिए सीख है, जो कठिनाइयों से हारने की बजाय उनसे लड़कर आगे बढ़ना चाहते हैं। फिल्म का सबसे महत्वपूर्ण हिस्सा इसका कोर्टरूम ड्रामा है। 62 वर्षीय डॉ. अजय मुर्डिया को अपने ही बनाए IVF सेंटर को बचाने के लिए कानूनी लड़ाई लड़नी पड़ती है। उनके पुराने सहयोगी राजीव खोसला, जो अब सत्ता और लालच के अंधे हो चुके हैं, उनके खिलाफ सबसे बड़े विरोधी बन जाते हैं। फिल्म धोखे, नैतिकता और न्याय की लड़ाई को गहराई से प्रस्तुत करती है, जिससे दर्शक अंत तक फिल्म से जुड़े रहते हैं।
निर्देशन
विक्रम भट्ट अपनी हॉरर और थ्रिलर फिल्मों के लिए जाने जाते हैं, इस बार एक सशक्त बायोपिक लेकर आए हैं। 'गुलाम', 'राज', 'कसूर', '1920', 'आवारा पागल दीवाना' जैसी यादगार फिल्मों के बाद, उन्होंने इस बार संघर्ष, प्रेरणा और न्याय की गहरी कहानी को परदे पर उतारा है। ये उनके लिए अलग जोनर है और इसके सफलता के साथ वो पेश कर सके हैं। चुनौतियों और संघर्ष को वो सही तरीके से पेश कर सके हैं। फिल्म की सिनेमेटोग्राफी, स्क्रीनप्ले और डायरेक्शन इसे एक प्रभावी सिनेमाई अनुभव बना रहे हैं।
अभिनय
अनुपम खेर, डॉ. अजय मुर्डिया के किरदार में हैं। संवेदनशीलता, दृढ़ता और भावनात्मक गहराई का जबरदस्त मिश्रण दिखाने में अनुपम खेर सफल हैं। उन्होंने एक बार फिर साबित किया है कि वो शानदार और बॉलीवुड के सबसे प्रभावी एक्टर्स में से एक हैं। ईश्वक सिंह की सहजता और अदा शर्मा के साथ स्क्रीन पर केमिस्ट्री प्रभावशाली लगती है। ईश्वक इमोशन एस्पेक्ट दिखाने में भी कामयाब हैं। कुछ हिस्सों में अदा शर्मा थोड़ी कमजोर पड़ती हैं। उनके किरदार को और बेहतर तरीके से उकेरा जा सकता था। ईशा देओल ने 14 साल बाद वापसी करते हुए एक दमदार वकील की भूमिका निभाई है। उनकी और अनुपम खेर की कोर्टरूम में नोकझोंक और केमिस्ट्री देखने लायक है। ईशा देओल ने अच्छा काम किया है, लेकिन आगे उनके काम में और इंप्रूवमेंट की पूरी गुंजाइश है।
संगीत
फिल्म का संगीत भावनाओं को गहराई से छूता है। प्रतीक वालिया द्वारा रचित म्यूजिक फिल्म के हर मोमेंट को और अधिक प्रभावी बनाता है। विक्रम भट्ट की फिल्मों की खासियत हमेशा उनका संगीत रहा है, और इस बार भी यह दर्शकों को प्रभावित करने में सफल रहता है।
क्या हिट क्या फ्लॉप
सच्ची कहानी पर आधारित ये कहानी एक व्यक्ति के संघर्ष और सफलता की प्रेरक दास्तां बयां करने में कामयाब है। ये फिल्म परिवार के साथ देखने लायक, बिना फालतू मसाले या हिंसा के आप इसके फैमिली के साथ एंजॉय कर सकते हैं। बेहतरीन कोर्टरूम ड्रामा पेश किया है, जिसमें न्याय, नैतिकता और विश्वासघात की कहानी देखने को मिल रही है। इमोशनल कहानी स्थापिक करने में डायलॉग्स कारगर हैं। फिल्म की कहानी थोड़ी खिची हुई और लंबी है, जो इसे कुछ हिस्सों में बोझिल बना देती है। यदि फिल्म को 15-20 मिनट छोटा किया जाता तो यह और प्रभावशाली हो सकती थी। एडिटिंग का खास काम यहां देखने को नहीं मिला है।
कैसी है फिल्म
'तुमको मेरी कसम' एक संघर्ष, जुनून और न्याय की प्रेरणादायक कहानी है। अनुपम खेर का दमदार अभिनय, विक्रम भट्ट की कुशल निर्देशन शैली और कोर्टरूम ड्रामा इसे एक शानदार फिल्म अनुभव बना रहे हैं। अगर आप प्रेरणादायक और इमोशनल फिल्में पसंद करते हैं तो ये आपको जरूर पसंद आएगी।