Friday, September 06, 2024
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बेमिसाल मानव कॉल की सीरज देगी ओल्ड बॉलीवुड फील, जानें कैसी है 'त्रिभुवन मिश्रा CA टॉपर' की कहानी

शुभ्रज्योति बारात, मानव कौल, तिलोत्तमा शोम, अशोक पाठक और फैजल मलिक स्टारर 'त्रिभुवन मिश्रा सीए टॉपर' सीरीज नेटफ्लिक्स पर रिलीज हो गई है। इसकी पूरी समीक्षा जानने के लिए पढ़ें पूरा रिव्यू।

Sakshi Verma
Published on: July 18, 2024 13:32 IST
Tribhuvan Mishra CA Topper
Photo: INSTAGRAM मानव कॉल।
  • फिल्म रिव्यू: त्रिभुवन मिश्रा CA टॉपर
  • स्टार रेटिंग: 3 / 5
  • पर्दे पर: 18.07.2024
  • डायरेक्टर: अमृत ​​राज गुप्ता और पुनीत कृष्णा
  • शैली: व्यंग्यात्मक सामाजिक-नाटक

एक ऐसे व्यक्ति के बारे में सोचें जो ईमानदार और मेहनती दोनों है, लेकिन फिर जीवन उसे ऐसी परिस्थितियों में डाल देता है जहां उसे अपने जमीर और उसूलों को पीछे छोड़ने पर मजबूर होना पड़ता है। ऐसी कहानियां पहले भी सुनी हैं, ऐसा ही जहन में आया न? किसी की भी यही प्रतिक्रिया होगी जब तक कि वे 'त्रिभुवन मिश्रा सीए टॉपर' का पहला एपिसोड नहीं देखेंगे। इस नेटफ्लिक्स सीरीज में दम है, इसमें दमदार अभिनय है, इसमें तालियां बजाने लायक संवाद हैं, कॉमेडी वाकई मज़ेदार है और इसमें पुराने बॉलीवुड आकर्षण की भरपूर झलकियां हैं। यहां 'पंचायत' वाले फ़ैसल मलिक और अशोक पाठक की प्रभावशाली जोड़ी भी है और 'मिर्जापुर' के रति शंकर शुक्ला उर्फ ​​शुभ्रज्योति बारात भी हैं। मानव कौल और तिलोत्तमा शोम लीड रोल में हैं। इनका अभिनय, कहानी और निर्देशन कैसा है ये जानने के लिए आपको अंत तक ये रिव्यू पढ़ना होगा। 

कहानी

'त्रिभुवन मिश्रा सीए टॉपर' की कहानी इसी नेमप्लेट से शुरू होती है और दर्शकों को इस सीरीज के मुख्य किरदार से परिचित कराती है। त्रिभुवन मिश्रा के रूप में मानव कौल हैं, जो आगे खुद ही सीरीज में अपनी पत्नी अशोकलता (नैना सरीन द्वारा अभिनीत) और दो बच्चों को परिचित कराते हैं। एक साधारण मध्यमवर्गीय घर का परिदृष्य साफ देखने को मिलता है। आप त्रिभुवन को नोएडा हाउसिंग स्कीम के सरकारी कार्यालय में एक ईमानदार कर्मचारी के रूप में देखेंगे, जो वास्तव में किसी भी सौदे के लिए मना कर देता है, लेकिन यह तब तक होता है जब तक कि उसका पैसा एक बैंक में फंस नहीं जाता है, जो अचानक बंद हो जाता है। यह एक ऐसा व्यक्ति है जिसकी पत्नी उसकी सराहना करती है कि वो एक महिला और उसकी क्षमताओं को समझता है, चाहे वो बिस्तर पर ही क्यों न हो, लेकिन यह वही आदमी है जो अंततः हार मान लेता है और वित्तीय संकट के बीच अपने परिवार की ज़िम्मेदारियों को पूरा करने के लिए इन क्षमताओं का उपयोग करता है। सीरीज में दिखाया गया है कि किस तरह ज़िम्मेदारियों के बोछ तले दबा शख्स एक मेल एस्कॉर्ट (पुरुष वैश्य) बन जाता है। ऐसा करने के बाद उसकी जिंदगी इस कदर करवट लेती है कि उसकी पूरी दुनिया पलट जाती है। यही इस कहानी को और भी दिलचस्प बना रहा है।

निर्देशन और लेखन

9-एपिसोड की श्रृंखला अमृत राज गुप्ता और पुनीत कृष्ण द्वारा निर्देशित है। दोनों ने कहानी को आखिरी सेकंड तक दिलचस्प बनाए रखने का सराहनीय काम किया है। त्रिभुवन मिश्रा सीए टॉपर की कहानी को बेहतरीन कास्टिंग ने भी उभारा है, लेकिन पुनीत कृष्णा की लेखनी ने इस सीरीज को मजेदार बना दिया है। हालांकि, कैमरे की शेकी मोमेंट्स और बहुत ज़्यादा ज़म किए गए फ्रेम अच्चे अनुभव को बाधित करते हैं। भाई शंभू (सुमित गुलाटी) और भाभी शोभा (श्वेता बसु प्रसाद) के दृश्य ज़्यादातर अप्रासंगिक हैं, जब तक कि वह अपनी असल पेशकश नहीं करते। इसके अलावा कई दृश्यों के बीच बहुत सारे विराम हैं जो आपको यह सोचने पर मजबूर कर सकते हैं कि क्या सीरीज को 8 एपिसोड तक सीमित किया जा सकता था, लेकिन इन अंतरालों को किसी तरह शक्तिशाली संवादों से संतुलित किया गया है, ताकि आप इनसे एक पूरी मीम फेस्ट की उम्मीद कर सकें।

निर्माताओं और संगीतकार राम संपत को हर परिस्थिति में फिट होने वाले सहज-प्रवाह वाले गाने बनाने के लिए भी श्रेय दिया जाना चाहिए। एक एपिसोड है जहां आप सीरीज को तीन बैक-टू-बैक गानों के साथ आगे बढ़ते हुए देखते हैं, जिनके बीच कोई प्रासंगिक दृश्य नहीं है, लेकिन कोई शिकायत नहीं होगी क्योंकि यह सटीक लग रहे हैं। 'त्रिभुवन मिश्रा सीए टॉपर' का संगीत वाकई दृश्यों को उभारता है और उसमें विविधता भी है।

अभिनय

कमजोर कड़ी वाली फिल्म या सीरीज देखना मुश्किल है, मुझे पता है कि आपको एक और नेटफ्लिक्स सीरीज की याद आ गई होगी, लेकिन जब हर कोई शानदार कलाकार हो तो सबसे अच्छा बताना भी उतना ही मुश्किल है। 'त्रिभुवन मिश्रा सीए टॉपर' में बेहतरीन कलाकारो की झड़ी लगी हुई है। त्रिभुवन मिश्रा के रूप में मानव कौल पानी की तरह बहते हैं। अभिनेता के हाव-भाव, चलने का तरीका और हर दृश्य में ढलना देखने लायक है। वह हर भावना को सामने लाने में भी सक्षम हैं, चाहे वह किसी महिला के बारे में ही क्यों न हो! मानव को एक अच्छी महिला लीड तिलोत्तमा शोम का साथ मिला है। वह अभिव्यंजक है, लेकिन दुर्भाग्य से सभी के शानदार अभिनय के बावजूद, वह थोड़ी नीरस लगती हैं। जितिन गुलाटी ने भी अपने हिस्से के कई पल दिए हैं। पुलिस इंस्पेक्टर हैदर के रूप में फैसल मलिक अपने अधीनस्थ मैथ्यू के साथ सबसे मजेदार हैं। उन्हें शो में सबसे अच्छी एंट्री मिली है और शायद संवादों की दूसरी सबसे अच्छी लाइन। जिन लोगों ने 'पंचायत' में प्रहलाद चचा के रूप में अभिनेता को पहले ही पसंद किया है, उन्हें आगे भी मजा आने वाला है।

'त्रिभुवन मिश्रा सीए टॉपर' सीरीज में एक और 'पंचायत 'अभिनेता हैं, अशोक पाठक। हाँ! यह हमारे प्यारे विनोद हैं। दाईचा की भूमिका निभाते हुए अशोक की कॉमिक टाइमिंग सबसे अच्छी है। संभवतः हर सीन में बंदूक होने के बावजूद वह मज़ेदार, होनहार हैं और सीरीज में उनका किरदार सबसे बेहतरीन है। राजा भैया के रूप में शुभ्रज्योति बारात कमाल के हैं। अभिनेता के पास सबसे अच्छे संवाद हैं और वह इसे पूरी ईमानदारी से पेश करते हैं। वह भावनाओं से भरे हुए गुंडे के तौर पर नजर आए हैं। अपनी पत्नी के तरीकों को गलत साबित करने और फिर उसी को मान्य करने का उनका तरीका कायल करने वाला है। अभिनेता द्वारा एक डांस सीक्वेंस है, जिसके बाद एक दुखद अहसास होता है कि सीरीज का वह हिस्सा दर्शकों को कमजोर भी कर सकता है। आखिरकार गैंगस्टर्स की भी भावनाएं होती हैं।

निर्णय

'त्रिभुवन मिश्रा सीए टॉपर' एक बेहतरीन सीरीज नहीं है, लेकिन मनोरंजन करने में पीछे भी नहीं है। कॉमेडी, रोमांस और उदासी इसमें शानदार है। यह सीरीज सिर्फ सेक्स और उससे जुड़ी चीजों के बारे में ही बात नहीं करती, बल्कि 'त्रिभुवन मिश्रा सीए टॉपर' की कहानी महिलाओं की भावनाओं को केंद्र में लाती है

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