Sunday, March 23, 2025
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The Storyteller Review: दिल ही नहीं आत्मा को भी छू लेगी 'द स्टोरीटेलर', परेश रावल-आदिल हुसैन ने दिखाया कमाल

परेश रावल और आदिल हुसैन की ओटीटी फिल्म द स्टोरीटेलर डिज्नी+हॉटस्टार पर रिलीज हो गई है। यह फिल्म ऑस्कर पुरस्कार विजेता फिल्म निर्माता सत्यजीत रे की शॉर्ट स्टोरी 'गोलपो बोलिए तारिणी खुरो' पर आधारित है। पूरा रिव्यू यहां पढ़ें।

Sakshi Verma
Published : January 28, 2025 16:51 IST
Paresh Rawal
Photo: IMDB द स्टोरीटेलर रिव्यू
  • फिल्म रिव्यू: द स्टोरीटेलर
  • स्टार रेटिंग: 3 / 5
  • पर्दे पर: जनवरी 28, 2025
  • डायरेक्टर: अनंत महादेवन
  • शैली: ड्रामा

बॉलीवुड अभिनेता परेश रावल एक दिल छू लेने वाली फिल्म में वापस आ गए हैं जो आपको एक जगह लाकर खड़ा कर देती है। ये आपके विचारों को उकसाती है और यह उन कहानियों के लिए एक नाजुक श्रद्धांजलि है जिनका हम सामना करते हैं, सुनाते हैं और जीवन की कठिनाइयों को समझने के लिए कहीं ना कहीं अपने जेहन में जिंदा रखते हैं। हां! हम बात कर रहे हैं डिज्नी+हॉटस्टार के 'द स्टोरीटेलर' की, जिसमें रेवती और आदिल हुसैन भी हैं। यह ओटीटी फिल्म हर किसी के लिए नहीं है, लेकिन यह उन लोगों के दिलों को छू जाएगी जिनके लिए यह है। 'द स्टोरीटेलर' जैसी फिल्मों का एक अलग दर्शक वर्ग होता है, वही इन फिल्मों को समझ सकते हैं और उन्हें वह सम्मान दिला सकते हैं जिसकी ये फिल्में हकदार हैं। भारत और विदेशों में विभिन्न फिल्म समारोहों में तारीफें बटोरने के बाद, 'द स्टोरीटेलर' अब सभी के लिए ओटीटी प्लेटफॉर्म पर उपलब्ध है।

कहानी

यह फिल्म महान फिल्म निर्माता सत्यजीत रे की शॉर्ट स्टोरी 'गोलपो बोलिये तारिणी खुरो' पर आधारित है। फिल्म में परेश रावल ने कोलकाता निवासी तारिणी बंदोपाध्याय का किरदार निभाया है, जो रिटायर है और उन्हें कहानियां कहने का शौक है। उसे अहमदाबाद में नौकरी का प्रस्ताव मिलता है, लेकिन यह ऐसा प्रस्ताव नहीं है जो हर किसी को मिलता है। काम एक अमीर व्यापारी रतन गोराडिया को कहानियां सुनाना है, जिसका किरदार आदिल हुसैन ने निभाया है, जिसे नींद ना आने की बीमारी है और उसे लगता है कि कुछ अच्छी कहानियां ही उसे सुला सकती हैं। 'द स्टोरीटेलर' दरअसल तब शुरू होती है जब ये दोनों मिलते हैं और जिंदगी के दो अलग-अलग पहलू देखने को मिलते हैं। निर्देशक अनंत महादेवन के बंगाली बनाम गुजराती परंपराओं और जीवनशैली के मजाकिया चित्रण को बराबर स्क्रीन स्पेस दिया गया है, जो फिल्म को और भी दिलचस्प बनाता है।

'द स्टोरीटेलर' में एक आत्मा है और वह बहुत कुछ कहती है जिसे सुना, समझा और महसूस किया जाना चाहिए। यह फिल्म धीमी है, लेकिन सही गति से चलती है। एक सीन जो आपके साथ रह जाता है, वह एक मोमेंट है, जहां तारिणी गरोडिया के घर से बिल्ली कोलकाता में अपने घर ले जाता है। तारिणी बहुत सावधानी से बिल्ली के लिए हिल्सा मछली तैयार करता है। यह इस एहसास को बयां करता है कि कोई भी एक निश्चित स्थान से संबंधित नहीं है, कई बार बदलाव जिंदगी को खुशियों से भर देता है। यह तारिणी की जीवन कहानी से भी मेल खाता है, क्योंकि वह भी गरोडिया के लिए अहमदाबाद चले गए और वहां उन्होंने अपने जीवन में एक बड़ा अर्थ तलाशा।

अभिनय

बंगाली कहानीकार के तौर पर परेश रावल का काम जबरदस्त है। हालांकि, शायद ही किसी ने सोचा होगा कि आदिल और परेश को ये भूमिकाएं दी जा सकती थीं। परेश रावल के एक्सप्रेशन, बॉडी लैंग्वेज और डायलॉग डिलीवरी देखने के बाद आपको 'हेरा फेरी' के 'बाबू भैया' कहीं नजर नहीं आएंगे। आपको परेश रावल में सिर्फ तारिणी ही नजर आते हैं। आदिल हुसैन का काम भी बहुत अच्छा है। वह हर फ्रेम में अपने किरदार में कमाल के लगते हैं। अभिनेता इतना कुछ लेकर आते हैं कि कोई भी बैठकर नोट्स ले सकता है। रेवती अद्भुत हैं और तनिष्ठा चटर्जी का काम भी सराहनीय है, लेकिन फिल्म के अंत तक, यह आदिल और परेश ही हैं जो आपका दिल जीत लेंगे, दोनों का प्रत्येक सीन किसी काव्यात्मक यात्रा से कम नहीं लगता।

निर्देशन

अनंत महादेवन का निर्देशन दमदार है, क्योंकि वह बिना ज्यादा कमर्शियल हुए हर फ्रेम में बहुत कुछ कहते हैं। आज के समय में बहुत कम निर्देशक इस क्षमता वाले हैं और अनंत ने निश्चित रूप से इस कोड को क्रैक कर लिया है। इसके अलावा, फिल्म की स्क्रिप्ट को सबसे ज्यादा तारीफें मिलनी चाहिए क्योंकि यह चलती रहती है और आपको स्वाभाविक रूप से इसका हिस्सा बनने देती है। हालांकि, लंबे पॉज और लंबे सीन को छोटा किया जा सकता था। बैकग्राउंड म्यूजिक का विशेष उल्लेख किया जाना चाहिए। रवीन्द्रनाथ टैगोर की पुरानो शेई दिनेर कोथा, तुमी रोबे निरोबे और अन्य लोक धुनों के साथ-साथ अन्य बंगाली उत्कृष्ट कृतियां 'द स्टोरीटेलर' की कहानी को बढ़ाती हैं।

फैसला

परेश रावल और आदिल हुसैन अभिनीत द स्टोरीटेलर सत्यजीत रे की प्रतिष्ठित लघु कथा 'गोलपो बोलिए तारिणी खुरो' पर आधारित है और यह दिखाती है कि रे का लेखन आज भी प्रासंगिक क्यों है। शानदार परफॉर्मेंस के अलावा, फिल्म सेल्फ रियलाइजेशन, दोस्ती, व्यक्तिगत विकास और कहानी की शक्ति पर गहराई से प्रकाश डालती है। द स्टोरीटेलर रे की क्लासिक कहानी के लिए एक श्रद्धांजलि है जो हमेशा हमारे दिलों में एक विशेष स्थान रखेगी। अनंत महादेवन द्वारा निर्देशित यह फिल्म सभी फिल्मप्रेमियों को, खासकर सत्यजीत रे के प्रशंसकों को जरूर देखनी चाहिए।  यह फिल्म आपको कुछ देती है, बिना किसी ताम-झाम के, चुपचाप आपके दिल को छू जाती है। यह एक अलग तरह की फिल्म है; इसे देखें और अलग महसूस करें। सब कुछ कहने और करने के बाद, 'द स्टोरीटेलर' सही मायनों में 3 स्टार का हकदार है।

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