- फिल्म रिव्यू: ठाकरे
- स्टार रेटिंग: 3 / 5
- पर्दे पर: JAN 25, 2019
- डायरेक्टर: अभिजीत पानसे
- शैली: राजनीतिक
आजकल बॉलीवुड में बायोपिक का सीजन चल रहा है। सभी फिल्ममेकर्स बायोपिक बनाने में लगे हुए हैं। इसी क्रम में बाल साहेब ठाकरे की बायोपिक ठाकरे(Thackeray) भी आज रिलीज हो गई है। बाल केशव ठाकरे शिव सेना के संस्थापक थे, फिल्म में उनका रोल नवाजुद्दीन सिद्दीकी(Nawazuddin Siddiqui) निभाते नजर आ रहे हैं। नवाजुद्दीन सिद्दीकी के साथ फिल्म में अमृता राव(Amrita Rao) भी अहम भूमिका में वह बाल ठाकरे की पत्नी का रोल निभा रही हैं। फिल्म में बाल ठाकरे के जीवन की बारीकियां दिखाई गई हैं। फिल्म में एक्शन, राजनीति सभी कुछ दिखाया गया है। कैसे एक कार्टूनिस्ट धीरे-धीरे राजनीति में आता है और लोगों के मन में अपनी जगह बनाता है। यह फिल्म 'ठाकरे' में दिखाया गया है। पूरी कहानी नवाजुद्दीन सिद्दीकी के कंधों पर चलती है। सिर्फ ये ही नहीं आपको बता दें फिल्म का दूसरा भाग भी आएगा। फिल्म को अभिजीत पंसे ने डायरेक्ट किया है।
कहानी:
फिल्म की कहानी की बात करें तो शुरुआत होती है लखनऊ कोर्ट से जहां बाल ठाकरे की पेशी होती है। उसके बाद से कहानी फ्लैशबैक में चलना शुरु हो जाती है। बाल ठाकरे ने अपने करियर की शुरुआत फ्री प्रेस जर्नल से की थी। जहां वह एक कार्टूनिस्ट की नौकरी करते थे। अपने व्यंग कार्टून के जरिए वह देश की राजनीति को दिखाते थे। मगर राजनीतिक प्रेशर होने की वजह से उन्हें कुछ राजनेताओं के बारे में लिखने या कार्टून बनाने से मना किया जाता है और वह नौकरी छोड़ देते हैं। उसके बाद से वह मुंबई में मराठियों को उनका हक दिलाने का फैसला करते हैं और अपनी एक साप्ताहिक पत्रिका निकालते हैं। जिसके बाद से वह धीरे-धीरे फेमस हो जाते हैं और स्पीच देने लगते हैं। लोग उनकी बात सुनते हैं और मानने भी लगते हैं। जिसके बाद वह शिव सेना का गठन करते हैं। शिव सेना का गठन करने के बाद मुंबई के सभी मराठी लोग उनके समर्थन करने लगते हैं। इस बीच वह कई बार जेल जाते हैं। मुंबई के लोगों के लिए कई काम करते हैं। उन्हें नौकरी दिलवाने से लेकर कई चीजों के लिए आंदोलन करते हैं। इसके लिए भी उन्हे कई बार जेल जाना पड़ता है। फिल्म में एक बार ऐसा दिखाया गया है कि बाल ठाकरे के गिरफ्तार होने पर पूरे मुंबई में दंगे शुरू हो जाते हैं जिसे पुलिस तक नहीं रोक पाती है। मगर बाल ठाकरे के कहने पर पूरी मुंबई में फिर से शांति हो जाती है। फिल्म के आखिरी में शिव सेना के एक नेता मुंबई के मुख्यमंत्री बनते हैं। जिसके बाद यह फिल्म दूसरे भाग आने तक आपको छोड़ देती है।
एक्टिंग:
नवाजुद्दीन सिद्दीकी की एक्टिंग के तो सभी फैन हैं। इस फिल्म में भी बाल ठाकरे के रोल में वह बहुत जचे हैं। फिल्म नवाजुद्दीन के इर्द-गिर्द रहती है। उनकी दमदार एक्टिंग और डायलॉग डिलिवरी आपको अपनी नजरे हटाने नहीं देती है। नवाजुद्दीन सिद्दीकी ने बाल ठाकरे का बेबाक अंदाज बखूबी से निभाया है। फिल्म में अमृता राव बाल ठाकरे की पत्नी का रोल निभाती नजर आ रही हैं। उनका रोल इतना ज्यादा नहीं है मगर उन्होंने अपना रोल बखूबी निभाया है। शांत,सहज महिला का किरदार निभाती नजर आ रही हैं।
क्यों देखें:
ठाकरे फिल्म बाल ठाकरे के जीवन पर बनाई गई है। वह एक नेता थे। अगर आप राजनीति को फॉलो नहीं करते हैं। फिर भी आप यह फिल्म देख सकते हैं क्योंकि उनकी लाइफ थ्रिलर से भरी थी। आपको खुद स्टोरी में दिलचस्पी आने लगेगी। साथ ही नवाजुद्दीन सिद्दीकी की एक्टिंग आपको स्क्रीन से हटने नहीं देगी। इसका मतलब यह है कि आप यह फिल्म एक बार तो जरुर देख सकते हैं।
इंडिया टीवी इस फिल्म को 5 में से 3 स्टार देता है।
फिल्म का ट्रेलर:
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