- फिल्म रिव्यू: Tamasha
- स्टार रेटिंग: 3 / 5
- पर्दे पर: 27 NOV, 2015
- डायरेक्टर: इम्तियाज अली
- शैली: रोमांटिक
बॉलीवुड में एक मिथक है कि रियल लाइफ कपल से ज्यादा अच्छी फिल्में एक्स कपल दे सकते हैं और शायद इसीलिए शाहिद-करीना की ‘जब वी मेट’ पर्दे पर हिट रही थी वहीं रणबीर-दीपिका की ‘ये जवानी है दिवानी’ ने भी बॉक्स आफिस पर धमाल मचाया था। रणबीर-दीपिका की यहीं जोड़ी फिर से इम्तियाज अली की तमाशा में साथ है और बैक-टू-बैक दूसरी हिट फिल्म देने की पूरी तैयारी में है।
तो क्या ये दोनों उस मिथक को सच साबित करते हैं, आइये आपको बताते हैं-
कहनी-
फ्रांस के आइलैंड कोर्सिका में छुट्टियों पर आई तारा (दीपिका पादुकोण) अपने जरूरी दस्तावेज और रुपए खो चुकी है, और यहां उनकी मदद करता है वेद (रणबीर कपूर)। पहली ही मुलाकात में दोनों में दोस्ती हो जाती हैं। साथ में दोनों कोर्सिका की पूरी ट्रिप प्लान करते हैं जिसको और रोचक बनाने के लिए ये तय होता है कि दोनों अपनी असल पहचान एक-दूसरे से छुपाएंगे और अपने-अपने दायरे में रहेंगे।
दो हफ्तों के बाद ये दोनों अपने-अपने शहर चले जाते हैं, लेकिन तारा तब तक अपना दिल वेद को दे चुकी होती है। अब क्या होगा जब चार साल बाद ये दोनों दोबारा मिलेंगे और तारा को वेद के बारे ये पता चलेगा की वो असल जिंदगी में कुछ और ही है। फिल्म का दूसरा भाग ऐसे ही कुछ सवालों का जवाब देता है और वेद की उलझी हुई जिंदगी को दर्शाता है।
समीक्षा-
इम्तियाज अली की पिछली दो फिल्मों - रॉकस्टार और हाईवे देखकर ये अंदाजा तो लग जाता है कि वो एक्सपेरिमेंट करने से नहीं डरते। लेकिन फिल्म रिलीज होने तक इस कदर प्रमोट कर दी जाती हैं कि दर्शक उसे एक कमर्शियल इंटरटेनर की तरह देखने लगते हैं। लेकिन आखिर में फिल्म का उम्मीद से अलग निकल जाना उन्हें निराश कर जाता है। लेकिन ऐसा नहीं है कि उनकी फिल्म का उद्देश्य गलत है, बल्कि इम्तियाज भारतीय सिनेमा के इकलौते ऐसे निर्देशक बनकर उभरे हैं जो अपनी फिल्मों में मसाला के साथ-साथ अप्रत्याशित और हैरान करने वाले विषयों को डालने में माहिर हैं।
तमाशा भी उनकी इसी कला का नतीजा है। ये भले ही आपको बाहर से एक सामान्य मस्ती भरी फिल्म दिख रही हो, लेकिन अंदर से ये उतनी ही असामान्य हैं और आपके धैर्य की मांग करती हैं।
हां, ये थोड़ी सी प्रडिक्टिबल है खासकर दूसरे भाग में जो काफी खिचा हुआ सा भी लगता है। रणबीर के किरदार की आप ‘एक मैं और एक तू’ के इमरान खान, या ‘3 इडियट्स’ के आर. माधवन के किरदार से भी तुलना करेंगे। लेकिन अंत तक आपको इसका जवाब भी मिल जाएगा कि आखिर क्यों वेद की परेशानी उन दोनों फिल्मों के किरदारों से अलग हैं।
इम्तियाज अली एक बार फिर हमें अपने किरदारों में इतना डूबा देते हैं कि उनसे बाहर निकलना काफी मुश्किल है। रणबीर का किरदार भी हैरान करने वाला है जो ज्यादातर नौजवानों की मुश्किलों को दर्शाता है। और आम लोगों से ज्यादा ये उन्हीं लोगों की समझ में आएगा जो इस तरह की मानसिक समस्या से झूंझ रहे हैं। और अंत में प्रेरित करेगी उन्हें अपने लिए जीने के लिए और समाज की चिंता न करते हुए अपने दायरे से बाहर निकलने के लिए।
रणबीर कपूर ‘वेक अप सिद’ और ‘रॉकस्टार’ के बाद फिर से कुछ-कुछ उन्हीं शेड्स को दोहराते हैं। और एक बात जो माननी पड़ेगी वो ये है कि इम्तियाज अली से बेहतर और कई निर्देशक उनसे इतना बेहतरीन अभिनय नहीं निकलवा सकता है। फिल्म के दूसरे भाग में किरदार के प्रति उनका पागलपन साफ दिखता है। और हमें खुशी है कि रणबीर कपूर वापस फॉर्म में लौट आए है।
दीपिका ने फिर से ये साबित किया है कि वो बॉलीवुड की मौजूदा नंबर एक अभिनेत्री क्यों हैं। एक सीन जहां वो रणबीर से दोबारा मिलने की खुशी जाहिर करती हैं वहीं दूसरे सीन में वो रणबीर को बच्चे की तरह पकड़ कर बैठ जाती हैं, फिल्म के बहुमूल्य सीन्स में से वो एक हैं।
इसमें कोई दो राय नहीं है कि दीपिका और रणबीर का दिल को छू जाने वाला अभिनय फिल्म में बाकी सब चीजों से ऊपर है। फिल्म की कई खामियां इनकी मजेदार केमेस्ट्री और डायलॉग्स से छिप जाती है। खूबसूरत लोकेशन्स और ए.आर. रहमान का मनमुग्ध कर देने वाले संगीत फिल्म के हर भाग में चार चांद लगाते हैं।
फिल्म की पटकथा थोड़ी सी कन्फ्यूज करने वाली है जैसा की रॉकस्टार और हाइवे में भी देखने को मिली थी। लेकिन ये कुछ मामूली रुकावटे ही हैं एक अच्छी फिल्म के लिए जो अंत तक आपको बांधे रखती हैं।