Monday, September 09, 2024
Advertisement

तलवार

Talwar movie review is here and our reviewer says its gripping tale based on the 2008 Noida double murder case.


Published on: October 02, 2015 3:30 IST
Talwar
Talwar
  • फिल्म रिव्यू: Talwar
  • स्टार रेटिंग: 3.5 / 5
  • पर्दे पर: OCT 2, 2015
  • डायरेक्टर: मेघना गुलजार
  • शैली: सस्पेंस

आरूषी तलवार के माता-पिता को उसकी हत्या का दोषी ठहराए हुए लगभग दो साल हो चुके हैं लेकिन इस सनसनीखेज मामले के कई पहलू अभी भी सामने नहीं आ सके हैं। मेघना गुलजार की फिल्म तलवार उन अनसुलझे सवालों को एक बार फिर सबके सामने रखती है। इस फिल्म ने इस काम को बखूबी अंजाम दिया है।

शुरूआत निर्देशिका से करते हैं, जो कि एक लंबे समय के बाद वापसी कर रही हैं। फिल्म के विषय की संवेदनशीलता को बनाए रखने में वह सफल रही हैं। इस कहानी से जुड़ी जटिलताओं को वह पूरे विश्वास और संतुलन के साथ दिखाने में सफल रही हैं। फिल्म तलवार शोध और अदालती कार्यवाही से मिली जानकारी के आधार पर वर्ष 2008 में नोएडा में हुए दोहरी हत्या के मामले के अनसुलझे सवालों को उठाती है।

ये भी पढ़ें- रिलीज से पहले 'तलवार' का पेड प्रिव्यू

फिल्म के सहनिर्माता और संगीतकार विशाल भारद्वाज द्वारा लिखी गई शानदार पटकथा पर काम करते हुए निर्देशिका ने एक शांत लेकिन बेहद प्रभावशाली ड्रामा पर्दे पर जीवंत किया है। दिलचस्प किस्सागोई और निरंतरता के लिहाज से तलवार एक शानदार उपलब्धि है।

यह फिल्म हत्या और बेईमानी की असल जिंदगी की एक कहानी से कहीं ज्यादा है। फिल्म के विषय को कुशलता और गहराई के साथ आगे बढ़ाते हुए निर्देशिका ने हमारे समाज की सच्चाई बयां करने के लिए एक सामाजिक खाका खींचा है। यह फिल्म असल अपराध की परिस्थितियों और मामले की तीन अलग-अलग जांचों पर भी रोशनी डालती है।

तलवार एक आपराधिक नाटक से परे जाते हुए उन पूर्वाग्रहों और दूरियों की सूक्ष्म पड़ताल करती हैं, जो कि तेजी से बदलते शहरी भारत को परिभाषित करते हैं। फिल्म के किरदारों की बात की जाए तो नीरज काबी और कोंकणा सेनशर्मा अभिभावकों की भूमिका में हैं।

इरफान खान प्रमुख जांच अधिकारी बने हैं, सोहुम शाह उनके सहायक बने हैं। इसके अलावा कुछ कलाकार नोएडा के कुछ अक्षम और असंवेदनशील पुलिसकर्मियों की भूमिका में हैं।

ये भी पढ़ें- अलग होने के बाद जानिए कोंकणा ने रणवीर के बारे में क्या कहा

आरोपी और उत्तरप्रदेश के पुलिसकर्मियों के बीच बातचीत में संस्कृतियों का टकराव सबसे ज्यादा घटनास्थल की प्रारंभिक जांच के समय दिखाई देता है।

फिल्म में तलवार दंपति को टंडन दंपति के रूप में दिखाया गया है। यह एक संभ्रांत तबके से आने वाला परिवार है, जो कि कुछ ऐसे सामाजिक तौर तरीकों से जुड़े हैं, जिसे पुलिसकर्मी बमुश्किल ही पचा सकते हैं। बस वे इससे सहानुभूमि ही जता सकते हैं।

यहां फिल्म का नाम तलवार दरअसल कानून की देवी के दाएं हाथ में मौजूद जंग लगी उस तलवार का प्रतीक है, जिसका इस्तेमाल मुश्किल ही होता है। फिल्म इस दोहरे हत्याकांड में रिपोर्टिंग के मामले में इलेक्ट्रॉनिक मीडिया की कुछ अतिरिक्त पहुंच को लेकर उसे भी कटघरे में खड़ा करती है ।

ये भी पढ़ें- हर गांधी जयंती पर आएगी विशाल भारद्वाज की फिल्म

यह फिल्म भारत की प्रमुख जांच एजेंसी की आंतरिक गतिविधियों और सनसनी फैलाने वाले पत्रकारों द्वारा स्याह अफवाहों की एक तरह से बिक्री को हवा दिए जाने की भी पड़ताल करती है। फिल्म में जांच एजेंसी का नाम सेंट्रल डिपार्टमेंट ऑफ इन्वेस्टिगेशन (सीडीआई) रखा गया है।

सिर्फ प्रमुख अभिनेताओं ने ही नहीं, बल्कि सभी कलाकारों ने तलवार को बेहद जीवंत तरीके से पर्दे पर पेश किया है। इरफान ने अभिनय के मामले में एक बार फिर अपना लोहा मनवाया है। नीरज काबी और कोंकणा सेनशर्मा ने भी अपनी भूमिका के साथ पूरा न्याय किया है। जांचकर्ता अधिकारी की अलग रह रही पत्नी के रूप में छोटी सी भूमिका में आई तब्बू एक गहरी छाप छोड़ती हैं।

असभ्य बर्ताव वाले पान चबाते इंस्पेक्टर की भूमिका में गजराज राव हैं। यह वही इंस्पेक्टर है, जिसने हत्या के इस जटिल मामले को एक सीधा सादा मामला बताने में ज्यादा वक्त नहीं लिया। अंग्रेजी थियेटर के कलाकार अतुल कुमार ने फिल्म में पूरी तरह हिंदीभाषी अधिकारी की भूमिका में शानदार अभिनय किया है।

तलवार हिंदी सिनेमा की एक दमदार प्रस्तुति है, जिसे देखा जाना चाहिए।

Advertisement
Advertisement
Advertisement