- फिल्म रिव्यू: ताली
- स्टार रेटिंग: 2.5 / 5
- पर्दे पर: अगस्त 15, 2023
- डायरेक्टर: Ravi Jadhav
- शैली: बायोपिक
Taali Web Series Review: सुष्मिता सेन एक दमदार एक्ट्रेस होने के साथ एक बेबाक महिला भी हैं, जिन्होंने अपनी जिंदगी अपनी शर्तों पर जी है। वह जब भी स्क्रीन पर आती हैं नए चैलेंज और अलग तरह की कहानी के साथ आती हैं। पहले सुष्मिता की वेबसीरीज 'आर्या' ने ओटीटी पर धूम मचाई, जिसमें वह एक डॉन के किरदार में नजर आईं। अब सुष्मिता की दूसरी वेबसीरीज 'ताली' में वह एक ट्रांसजेंडर के रूप में नजर आ रही हैं। यह वेबसीरीज जियो सिनेमा पर स्ट्रीम हो चुकी है। 'ताली' के ऐलान के साथ ही इसकी पंच लाइन ने सबके दिमाग को हिलाकर रख दिया था। क्योंकि इसकी पंच लाइन है, 'ताली: बजाउंगी नहीं बजवाउंगी'। तो आइए जानते हैं कि सुष्मिता सेन दर्शकों को अपनी एक्टिंग से ताली बजाने पर मजबूर करने में सफल हुईं या नहीं!
क्या है 'ताली' की कहानी
यूं तो कहने को 'ताली' ट्रांसजेंडर एक्टिविस्ट और मोटिवेशनल स्पीकर श्रीगौरी सावंत की बायोपिक है। लेकिन इसे महज बायोपिक कहना काफी नहीं है क्योंकि यह वेबसीरीज अपने अंदर भारत में पूरी ट्रांसजेंडर कम्यूनिटी के लिए लम्बी कानूनी लड़ाई, अधिकार हासिल करने का संघर्ष और उनकी सफलता की कहानी है। दरअसल, श्रीगौरी सावंत ही वह इंसान हैं जिनकी कोशिशों के बाद तीसरा जेंडर संवैधानिक रूप से अपने हक पा सका उन्हें नागरिकता मिली, उन्हें वोट देने का अधिकार मिला और चुनाव लड़ने से लेकर हर वो अधिकार मिला जो हर इंसान को मिलना जरूरी है।
मैं मां बनना चाहता हूं...
तो कहानी शुरू होती है, साल 1988 और शहर पुणे के एक मोहल्ले से जहां रहने वाला एक टीन एजर गणेश (कृतिका देव) स्कूल में पढ़ता है। परिवार में पिता दिनकर सावंत (नंदू माधव) पुलिस इंस्पेक्टर हैं, घर में उसकी मां और बहन स्वाति भी हैं। पहले एपिसोड में हम देख सकते हैं कि गणेश को कैसे अपने शरीर को लेकर यह फील होता है कि वह गलत शरीर में है, वह एक लड़के के शरीर में है लेकिन वह अंदर से एक लड़की है। उसे मां का मेकअप करना, उनके कपड़े पहनना और डांस करना पसंद है। जब स्कूल में उससे पूछा जाता है कि वह बड़ा होकर क्या बनेगा तो वह कहता है कि मैं बड़ा होकर मां बनूंगा। जिसके बाद सब हंसते हैं और उसकी टीचर कहती है कि लड़के कभी मां नहीं बन सकते।
मां की मौत से छिना सिर से साया
एक दिन गणेश को डांस करते उसके पिता देख लेते हैं, जो उसे पकड़कर गुस्से में उसे खींचकर घर लाता है। पिता की चिंता के कारण तबियत खराब हो जाती है। अगले दिन गणेश जब स्कूल से लौटता है तो देखता है घर के बाहर काफी भीड़ है। यहीं से गणेश की जिंदगी में भूचाल आता है, क्योंकि उसके सामने उसके सबसे बड़े सपोर्ट सिस्टम मां की मौत हो जाती है। स्वाति की शादी हो जाती है। अब गणेश को पिता के साथ रहना है, जो उसकी भावनाओं को नहीं समझते।
फिर शुरू हुआ जिंदगी का संघर्ष
इसके बाद कहानी में लंबा लीप आता है और यह 2013 में आ पहुंचती है। जहां गणेश अपनी सर्जरी करा चुका है और अब वह गौरी बन है। बतौर एक्टिविस्ट उसे लोग जानने लगे हैं। लेकिन इसके आगे की कहानी ही इस वेबसीरीज की असली कहानी है, जो गौरी की ट्रांसजेंडर्स को तीसरे जेंडर के तौर मान्यता दिलाने के संघर्ष को बारीकी से दिखाती है। इसे जानने के लिए आपको ये सीरीज देखनी होगी।
कैसा है अभिनय
यह कहानी भले ही श्रीगौरी सावंत की है, लेकिन इसे देखते हुए हर दर्शक इससे कनेक्ट हो सकेगा। क्षितिज पटवर्धन ने यह स्क्रीनप्ले लिखा है, इसकी खूबी है कि यह पूरी कहानी फ्लैशबैक में चलती है, यानी श्रीगौरी सावंत की यादों में यह कहानी दिखाई गई है। जितने भी कलाकार सीरीज में सभी ने काफी बेहतरीन काम किया है। लेकिन सुष्मिता सेन की एक्टिंग इतनी दमदार है कि सीरीज देखते हुए आप यह भूल जाएंगे कि यह श्रीगौरी सावंत नहीं हैं।
डायरेक्शन में है दम
सीरीज के डायरेक्शन की बात की जाए तो जिस तरह से कहानी को दिखाया गया है यह हर एपिसोड के बाद और रोचक व इमोशनल होती जाती है। जब दो वकील कोर्ट में आकर श्रीगौरी सावंत पर स्याही फैंकते हैं वह सीन काफी झकझोरने वाला है। इस सीरीज को बनाते हुए डायरेक्टर ने ट्रांसजेंडर कम्यूनिटी पर काफी रिसर्च की है जो हर सीन में नजर आती है।
रियलिटी शो 'हिप हॉप इंडिया' के सेट पर हुआ विवाद? चलती शूटिंग से उठकर बाहर निकल गए रेमो डिसूजा