- फिल्म रिव्यू: सुई-धागा
- स्टार रेटिंग: 2.5 / 5
- पर्दे पर: 28 सितंबर 2018
- डायरेक्टर: शरत कटारिया
- शैली: ड्रामा
Sui Dhaaga Movie Review: ‘दम लगाके हईशा’ याद है आपको, 3 साल पहले शरत कटारिया एक ऐसी फिल्म लेकर आए जिसे खूब सराहा गया फिल्म को दो नेशनल अवॉर्ड भी मिले। शरत एक बार फिर से ‘सुई-धागा’ के साथ साथ लौटे हैं, जहां उनका साथ दिया है वरुण धवन और अनुष्का शर्मा ने। पिछली फिल्म की तरह इस फिल्म में भी कहानी लोवर मिडिल क्लास फैमिली की है, जो पानी के लिए भी संघर्ष करते हैं।
सुई धागा में मौजी बने वरुण एक ऐसे परिवार से ताल्लुक रखते हैं जिनके यहां सिलाई-बुनाई का काम होता था। लेकिन फिर नुकसान की वजह से काम बंद हो गया। मौजी अब एक दुकान में काम करता है जहां उसे कुछ पैसे मिलते हैं लेकिन उसके साथ नौकरों वाला रवैया होता, कभी बंदर तो कभी कुत्ता बनकर लोगों का मनोरंजन करना पड़ता। उसकी पत्नी को ये बर्दाश्त नहीं और वो कुछ अपना शुरू करने को कहती है। दोनों अपना काम शुरू करते हैं और फिर ठगे जाते हैं फिर खड़े होते हैं, ऐसे ही उतार-चढ़ाव आते हैं और फिर कुछ बड़ा उनके साथ होता है। ममता एक ऐसी मैरिड वूमन के रोल मे है जो हर हाल में पति का साथ देती है, थोड़ी इमोशनल है और बात-बात पर रोने लगती है। एक सीन में पहली बार उसे पति के साथ खाना खाने का मौका मिलता है और वो इमोशनल हो जाती है।
वरुण धवन ने अपने किरदार के लिए काफी मेहनत की है, लेकिन उन्हें अभी एक्टिंग के लिए बहुत-बहुत मेहनत की जरूरत है, डायलॉग्स बोलते वक्त वो जिस तरह से मुंह दबाकर बोलते हैं, और बेवजह ही लाउड होते हैं वो सब अखरता है। अनुष्का इस फिल्म में सहज लगी हैं, हालांकि वो कई जगह गांव की नहीं लग रही हैं, उनके होंठ और बात करने का लहजा देसी नहीं वरन शहरी लगता है। फिर भी उनकी एक्टिंग वरुण से ज्यादा सहज थी।
मौजी के पिता के किरदार में रघुबीर यादव ने जान डाल दी है, उनका अभिनय सहज है। मौजी की मां का रोल करने वाली एक्ट्रेस शानदार हैं, उनकी एक्टिंग और डायलॉग्स आपका दिल जीत लेंगे।
फिल्म में मौजी और उनके पिता के बीच बहस होती हैं, वो काफी मजेदार है और डायलॉग्स सुनकर आप ताली जरूर बजाएंगे।
यह एक प्रेरणादायक फिल्म है, जो उन लोगों को आगे बढ़ाने का रास्ता दिखाती है जो बड़े सपने तो देखते हैं लेकिन उसे बीच में छोड़ देते हैं। फिल्म शुरू से लेकर अंत तक बांधे रखती है, फिल्म में ह्यूमर भी है और इमोशनल सीन भी हैं। फिल्म का पहला हाफ काफी अच्छा है जो आपको हंसाता है, लेकिन सेकंड हाफ में यह फिल्म मेलोड्रैमेटिक हो जाती है। हद से ज्यादा ड्रामा आपको बोर करने लगता है।
इसके अलावा फिल्म के अंत में वो एक कॉम्पटीशन में हिस्सा लेने जाते हैं और वहां डिजाइनर ड्रेस में रैंप वॉक करते हैं लेकिन वो डिजाइनर ड्रेस उन्होंने कैसे बनाए, वरुण ने कैसे इतना कुछ सीखा अगर इस पर थोड़ा और दिखाते तो फिल्म और रियलिस्टिक लगती।
फिल्म स्वीट है लेकिन बहुत सिंपल है फिल्म का क्लाइमैक्स हमें पता होता है, और क्लाइमैक्स के वक्त जो ड्रामा दिखाया है वो भी आपको बोर करेगा। फिल्म हमें हंसाने में तो कामयाब होती है लेकिन इमोशनल करने में फेल हो जाती है।
इस फिल्म को मैं 5 में से 2.5 स्टार दूंगी। फैमिली फिल्म है आप एक बार देख सकते हैं।