- फिल्म रिव्यू: आरआरआर
- स्टार रेटिंग: 4 / 5
- पर्दे पर: MAR 25, 2022
- डायरेक्टर: एस एस राजामौली
- शैली: पीरियड ड्रामा
बाहुबली और बाहुबली 2 के बाद एसएस राजामौली एक बार फिर एक्शन और स्पेशल इफेक्ट्स के साथ लार्जर दैन लाइफ सिनेमा को लेकर अपने निर्देशन का लोहा मनवाने में कामयाब नजर आ रहे हैं। उनकी फिल्म 'आरआरआर' सिनेमाघरों में रिलीज हो गई है और दर्शकों में इसे लेकर भारी उत्साह देखा गया है। साथ ही में नजर आ रहे एक्शन पैक ने एक बार फिर से बाहुबली की फ्रेंचाइजी की यादें ताजा कर दी है।
कहानी
कहानी ब्रिटिश काल के इर्द-गिर्द घूमती है जहां अंग्रेज हिंदुस्तानियों पर अत्याचार करते हैं और उनके खिलाफ कई आवाजें उठती हैं। कहानी 2 क्रांतिकारियों के इर्द-गिर्द घूमती है जो अपने अलग-अलग मकसद के लिए अंग्रेजो के खिलाफ लड़ते हैं। भीम यानी एनटीआर तेलंगाना के गोंद ट्राइब से ताल्लुक रखते हैं और अपने कबीले की एक बच्ची को अंग्रेजों से बचाने की जंग लड़ते हैं। राजू यानी रामचरण अंग्रेजी सरकार के लिए काम करते हैं लेकिन यहां उनका मकसद कुछ और है।प्रेमाइस
राजामौली की काल्पनिक दुनिया में इतनी खूबसूरत होती है आप उसी दुनिया के दशक में खो जाते हैं। 70 के दशक में मनमोहन देसाई की फिल्म को जिस तरह से दक्षिण भारत के दृश्यों को दिखाया है, राजामौली का जादू वैसा ही नजर आता है। चाहे वह 2000 लोगों के साथ अकेले लड़ना हो या फिर घने जंगल और महलों को फांदता हुआ उनका हीरो। सब लार्जर दैन लाइफ लगता है। राजामौली की फिल्में विजुअल ट्रीट देते हैं क्योंकि इसका प्रोडक्शन वैल्यू कमाल का होता है। आप एक सीन भी मिस नहीं करना चाहेंगे।
म्यूजिक
आरआरआर के हीरो जितना अच्छा एक्शन करते हैं उतना ही अच्छा नचाते भी हैं। इनके गाने आप को थिरकने पर मजबूर कर देंगे। खास तौर पर नाथू-नाथू गाना, जो सोशल मीडिया पर पहले से ही काफी प्रचलित है। फिर फिल्म के अंत का देश भक्ति वाला गाना जो कि गाने के साथ-साथ पिक्चराइजेशन भी तारीफ के काबिल है।
परफॉरमेंस
- स्पेशल अपीयरेंस में अजय देवगन दमदार लगे है। उनका सीक्वेंस फिल्म में काफी महत्वपूर्ण है और अजय ने इसे जस्टिफाई भी किया है।
- रामचरण की प्रेमिका सीता के रूप में आलिया भट्ट मासूम और सहज लगी हैं।
- अब बात राम चरण और जूनियर एनटीआर की, तो रामचरण की आंखें काम कर जाती है तू जूनियर एनटीआर के भाव। दोनों बहुत अच्छे लगे एक दूसरे के साथ उनकी केमिस्ट्री भी नजर आ रही है।
माइनस पॉइंट
फ्लिपसाइड इतना है कि फिल्म जरूरत से ज्यादा लंबी है। फिल्म का फर्स्ट हाफ यानी इंटरवल से पहले तालियों और सीटियों की आवाज सुनाई देती है मगर सेकंड हाफ में प्रॉब्लम नजर आती है। 3 घंटा 7 मिनट की यह फिल्म सेकंड हाफ में खिंचती हुई नजर आती है। फिल्म में लगातार एक्शन सींस और खून की होली मन को भारी जरूर कर देती है।
स्क्रीन प्ले कहीं-कहीं बिखरती हुई नजर आती है लेकिन फिर एक बार फिल्म का लार्जर दैन लाइफ लुक हर छोटी खामी को ढक देता है। एसएस राजामौली की फिल्म एक जश्न की तरह होती है और इसे सेलिब्रेट किया जाना चाहिए।