Friday, November 22, 2024
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Sniff Movie Review: अमोल गुप्ते की ‘स्निफ’ देखकर आपको याद आ जाएगा आपका बचपन

अमोल गुप्ते ने हमें ‘तारे जमीन पर (कहानीकार)’, ‘स्टैनली का डब्बा’ और ‘हवा हवाई’ जैसी बेहतरीन बाल फिल्में दी हैं। अमोल फिर से बाल फिल्म ‘स्निफ’ के साथ हाजिर हैं।

Jyoti Jaiswal
Updated on: August 25, 2017 13:11 IST
sniff poster sniff review
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  • फिल्म रिव्यू: स्निफ
  • स्टार रेटिंग: 2 / 5
  • पर्दे पर: 25 अगस्त 2017
  • डायरेक्टर: अमोल गुप्ते
  • शैली: ऐक्शन-एडवेंचर/चिल्ड्रेन

अमोल गुप्ते ने हमें ‘तारे जमीन पर (कहानीकार)’, ‘स्टैनली का डब्बा’ और ‘हवा हवाई’ जैसी बेहतरीन बाल फिल्में दी हैं। एकबार फिर अमोल बाल फिल्म ‘स्निफ’ के साथ हाजिर हैं। यह फिल्म एक ऐसे बच्चे की है जो 2 किलोमीटर तक सूंघ सकता है। सूंघ-सूंघकर वो कई केस भी सॉल्व कर देता है। रहस्य-रोमांच से भरी यह कहानी कोई स्ट्रॉंग मैसेज देने में नाकामयाब हो गई।

कहानी

यह कहानी सनी (खुशमीत गिल) नाम के एक बच्चे की है। उसके घर में उसके पापा, उसकी बड़ी बहन और दादी साथ रहते हैं। सनी एक ऐसा बच्चा है जो कुछ भी सूंघ नहीं पाता है। उसके घर में अचार का बिजनेस होता है और सनी की दादी को इसी बात की चिंता होती है कि सनी सूंघ ही नहीं पाएगा तो अचार का बिजनेस आगे कैसे बढ़ेगा। एक दिन सनी स्कूल के लैब में पहुंच जाता है वहां कुछ कैमिकल रिएक्शन होता है और सनी की ब्लॉक नोज खुल जाती है। इसके बाद न सिर्फ वो सूंघने में कामयाब होता है बल्कि वो 2 किलोमीटर तक सूंघने लगा। इसके बाद वो एक के बाद एक कई केस सॉल्व करता है।

sniff poster sniff review

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सनी का रोल करने वाले खुशमीत ने बहुत अच्छी एक्टिंग की है। अमोल की ये खासियत होती है कि वो बच्चों के साथ काफी घुलमिल जाते हैं, और उसका असर स्क्रीन पर भी देखने को मिलता है। फिल्म में कॉमेडी है, सस्पेंस है और एक क्यूट बच्चा है, जो अपनी अदायगी और मुस्कान से आपका दिल जीत लेगा।

कहानी का विषय अच्छा था इसपर अच्छी फिल्म बनाई जा सकती थी। मगर अफसोस इस बार अमोल एक अच्छी फिल्म बनाने से चूक गए। सनी के साथ लैब में कैमिकल रिएक्शन जिस तरह से दिखाया गया है वो बिल्कुल बचकाना लग रहा है।

एक सीन में सभी बच्चे मुंह खोलकर खड़े होते हैं और सनी सूंघकर बताता है कि बच्चों ने रात को डिनर में क्या खाया था। जब सनी कभी सूंघ ही नहीं सकता था तो उसे सभी तरह के खाने की खुश्बू का पता कैसे चल जाता है, ये सोचने वाली बात है।

एक सीन में सनी की टीचर का पर्स खो जाता है, सनी उसे भी सूंघकर बताता है कि पर्स इस टीचर की बेल्ट के नीचे है। यहां समझ में नहीं आता कि सनी को सूंघने की शक्ति मिली थी या देखने की? क्योंकि कोई पर्स कैसे सूंघ सकता है?

फिल्म का क्लाईमैक्स भी कमजोर है। कुल मिलाकर ‘स्निफ’ अमोल गुप्ते की एक कमजोर फिल्म साबित हुई है।

देखें या नहीं?

अगर आप बच्चों को फिल्म दिखाना चाहते हैं तो ये फिल्म दिखा सकते हैं, बच्चे इसे जरूर एन्जॉय करेंगे। फिल्म में कई स्वीट मोमेंट आएंगे जो बच्चों को पसंद आएंगे। लेकिन आप अच्छी कहानी और अच्छे मैसेज के लिए फिल्म देखेंगे तो निराशा हाथ लगेगी।

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