Monday, December 23, 2024
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Sirf Ek Bandaa Kaafi Hai Movie Review: कोर्टरूम में सभी की बोलती बंद करेंगे Manoj Bajpayee, जानें कैसी है फिल्म

मनोज बाजपेयी की फिल्म 'सिर्फ एक बंदा काफी है' जी5 पर 23 मई को स्ट्रीम होगी। फिल्म स्ट्रीम से पहले पढ़िए रिव्यू...

Joyeeta Mitra Suvarna
Updated : May 22, 2023 11:53 IST
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Photo: TWITTER Sirf Ek Bandaa Kaafi Hai Movie
  • फिल्म रिव्यू: Sirf Ek Bandaa Kaafi Hai
  • स्टार रेटिंग: 4 / 5
  • पर्दे पर: 23.05.2023
  • डायरेक्टर: अपूर्व सिंह कार्की
  • शैली: ड्रामा थ्रिलर

सचमुच सच का साथ देने के लिए। अपने विश्वास को हथियार बनाकर आगे बढ़ने के लिए सिर्फ एक बंदा काफी है। समाज की सोच बदलने के लिए एक बंदा ही काफी है और मनोज बाजपेई की इस फिल्म के साथ सिनेमाघरों में दर्शकों को खींच लाने के लिए भी एक बंदा ही काफी है। हालांकि यह फिल्म सिनेमाघरों में नहीं बल्कि लोग घर बैठे ओटीटी प्लेटफॉर्म पर देख पाएंगे। सिर्फ एक बंदा काफी है एक बेहद प्रभावशाली ईश्वर का दर्जा दिए जाने वाले बाबा के खिलाफ मामले पर आधारित है जिन्हें उनके स्कूल में पढ़ने वाली एक नाबालिग लड़की के यौन शोषण के लिए आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई थी और यह फिल्म इस मामले में पीड़िता के लिए जी तोड़ केस लड़ने वाले और बाबा को सलाखों के पीछे पहुंचाने वाले पीसी सोलंकी के जीवन की सच्ची घटनाएं पर आधारित है।

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फिल्म की शुरुआत होती है थाने में अपने मां-बाप के साथ बैठी एक नाबालिग लड़की 'नू' से जहां उसके माता-पिता (जय हिंद कुमार और दुर्गा शर्मा) अपनी बच्ची के साथ बलात्कार का केस दर्ज कराने आते हैं। हाई प्रोफाइल केस होने की वजह से यह केस काफी लंबा हो जाता है कई अड़चनें आती है, गवाहों को तोड़ा मरोड़ा जाता है। जान माल का नुकसान होता है, लेकिन बस वह कहते हैं न जीवन की धार मोड़ने के लिए एक बंदा ही काफी है और वही हुआ। 5 साल तक चले इस मुकदमे के दौरान वकील पी सोलंकी के जीवन में क्या कुछ होता है, वह अपनी सच्चाई को किस तरह से सर्वोपरि रख अपने विश्वास के साथ आगे बढ़ते हैं और इस बच्ची को न्याय दिलवाते हैं। यह कोर्टरूम ड्रामा देखना दिलचस्प रहेगा।

हाइलाइट

  • निर्देशक अपूर्व सिंह कार्की की यह पहली फीचर फिल्म है।
  • दीपक किंगरानी की लिखी हुई कहानी दर्शकों को बांधे रखने में सक्षम है।
  • थिएटर से ताल्लुक रखने वाले दिग्गज कलाकार सूर्य मोहन कुलश्रेष्ठ के डायलॉग्स कम है लेकिन उनके एक्सप्रेशंस और मौजूदगी काफी है।
  • नू का किरदार निभाने वाली अदृजा सिंह की मासूमियत और रियल परफॉर्मेंस लोगों का दिल जीत लेगी।
  • जय हिंद कुमार और दुर्गा शर्मा ने नूर के माता-पिता के तौर पर बेहद रियल परफॉर्मेंस दिया है उनका गुस्सा और बेबसी को निर्देशक  बखूबी थामते हैं।
  • विपिन शर्मा, अभिजीत लाहिरी, विवेक टंडन, बालाजी लक्ष्मीनारसिम्हन ने कोर्टरूम ड्रामा को बखूबी संभाला है।

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हाइलाइट

  • मनोज बाजपाई के अभिनय से हम सब वाकिफ है। और एक बार फिर इस फिल्म के साथ उन्होंने पीसी सोलंकी के जीवन को अमर कर दिया।
  • निर्माता विनोद भानूशाली की तारीफ करनी पड़ेगी कि वह इस तरह के विषय पर विश्वास रखते है और परदे पर निर्भय होकर उसे पेश करने की हिम्मत रखते हैं।
  • पाप, अति पाप और महापाप के संदर्भ में शिव और पार्वती के बीच एक संवाद को जिस अंदाज है मनोज बाजपाई ने पेश किया है इसकी जितनी तारीफ की जाए वह कम है।
  • यह फिल्म देखना ही नहीं बल्कि इसके विषय में बात करना और जागरूक होना भी बहुत जरूरी है और हर किसी को एक अहम  बदलाव के लिए वह एक बंदा भी बनना बहुत जरूरी है
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