Thursday, November 21, 2024
Advertisement

शिकारा मूवी रिव्यू: कश्मीर की वादियों से रिफ्यूजी कैंप तक जो बाकी रहा वो इश्क है...

शिकारा मूवी रिव्यू: विधु विनोद चोपड़ा की फिल्म 'शिकारा' आज बड़े पर्दे पर रिलीज हो गई है। यह फिल्म कश्मीरी पंडितों के विस्थापन के इर्द-गिर्द बुनी गई प्रेम कहानी है।

Jyoti Jaiswal
Updated on: February 09, 2020 15:47 IST
  • फिल्म रिव्यू: शिकारा
  • स्टार रेटिंग: 3.5 / 5
  • पर्दे पर: 7 फरवरी 2020
  • डायरेक्टर: विधु विनोद चोपड़ा
  • शैली: ऐतिहासिक-ड्रामा

मूवी रिव्यू शिकारा: विधु विनोद चोपड़ा ने फिल्म 'शिकारा' के साथ सिनेमा के चाहने वालों को तोहफा दिया है। यह एक ऐसी फिल्म है जो आपके मन की गहराइयों को छूती है और आपकी आत्मा को तृप्त करती है। यह कहानी हमें कश्मीरी पंडितों की पीड़ा को दर्शाती है और दिखाती है कि अपने ही देश में शरणार्थी होने की पीड़ा क्या होती है? साल 1990 में 4 लाख से ज्यादा कश्मीरी पंडितों को वादी छोड़कर रिफ्यूजी कैंप में रहने पर मजबूर होना पड़ा था और 30 साल होने के बाद भी लोगों को उनका घर वापस नहीं मिला है और वो आज भी रिफ्यूजी कैंप में रहने को मजबूर हैं।  हालांकि इस फिल्म में कश्मीरी पंडितों पर हुए अत्याचार को बैकग्राउंड में दिखाया गया है और लव स्टोरी पर फोकस किया गया है। यही बात खलती भी है कि आप जो सोचकर फिल्म देखने के लिए गए हैं वो आपको फिल्म में मिलता ही नहीं है।

फिल्म कश्मीर में रहने वाले ऐसे ही एक कश्मीरी पंडित शिव कुमार धर और उनकी पत्नी शांति धर की प्रेम कहानी है। दोनों का प्यार कश्मीर की वादियों में शुरू होता है और फिर जब उन्हें कश्मीर छोड़कर रिफ्यूजी कैंप में शरण लेना पड़ता है तब भी उनका प्यार वैसा ही रहता है। फिल्म में शिव का रोल आदिल खान ने निभाया है और शांति का रोल सादिया ने किया है। दोनों की ये डेब्यू फिल्म है और पहली ही फिल्म में दोनों ने अभिनय की जिन गहराइयों को छुआ है वो बहुत सारे एक्टर्स कई फिल्मों के बाद भी नहीं कर पाते हैं। इस फिल्म को देखते वक्त आप उन्हें महसूस कर पाते हैं और उनकी दुनिया में आप भी शामिल हो जाते हैं। उनके सुख-दुख आपको अपने लगते हैं और फिल्म से बाहर निकलने के बाद भी आप उनकी दुनिया में ही रहते हैं। शिव के ममेरे भाई के रोल में प्रियांशु चटर्जी थोड़ी देर के लिए ही स्क्रीन में रहते हैं लेकिन उनका रोल यादगार है। बाकी कलाकारों का काम भी अच्छा है।

अपने आशियाने से बिछड़ने की भावना क्या होती है और जिसका एक-एक कोना आपने अपने हाथों से सजाया हो, सालों बाद उसी घर में किसी दूसरे को बेपरवाही से रहते हुए देखने पर क्या बीतती है, ये फिल्म में बखूबी दर्शाया गया है। शादी के बाद पहली रात शिव और शांति शिकारा नाव में बिताते हैं और इसी वजह से दोनों ने अपने आशियाने का नाम शिकारा रखा होता है और इसी वजह से फिल्म का नाम भी शिकारा है।

अगर आप इसे एक लव स्टोरी के तौर पर देखेंगे तो आपको अच्छी लगेगी लेकिन यह फिल्म कश्मीरी पंडितों के साथ न्याय नहीं करती है। इतनी बड़ी ऐतिहासिक घटना को फिल्म ने जिस तरह समेटा वो आपका दिल दुखाती है। फिर भी यह फिल्म उन तमाम मसाला फिल्मों से बेहतर है और आप इसे फैमिली के साथ एन्जॉय कर सकते हैं। इंडिया टीवी इस फिल्म को देती है 5 में से 3.5 स्टार।

यहां पढ़िए मलंग का मूवी रिव्यू

Advertisement
Advertisement
Advertisement