- फिल्म रिव्यू: शाबाश मिथु
- स्टार रेटिंग: 2.5 / 5
- पर्दे पर: 15 जुलाई 2022
- डायरेक्टर: श्रीजीत मुखर्जी
- शैली: क्रिकेट बायोपिक
Shabaash Mithu Movie Review: फिल्म 'पिंक' से मशहूर हुईं बॉलीवुड अदाकारा तापसी पन्नू (Taapsee Pannu) की फिल्म 'शाबाश मिथु ' (Shabaash Mithu) रिलीज हो चुकी है। यह फिल्म इंडियन क्रिकेट कैप्टन मिताली राज की रियल लाइफ पर बेस्ड है जिसमें तापसी पन्नू ने मिताली का रोल प्ले किया है, वहीं मुमताज सोरकार महिला क्रिकेटर झूलन गोस्वामी की भूमिका निभा रही हैं। इस फिल्म का ट्रेलर लोगों द्वारा खूब पसंद किया गया था। आइए जानते हैं कि ये फिल्म कैसी है और क्या ये इस वीकेंड आपका मनोरंजन कर सकती है?
कहानी
'शाबाश मिथु' में मिताली के बचपन से लेकर क्रिकेटर बनने तक के सफर और उनके उतार चढ़ाव को बेहतरीन तरीके से दिखाया गया है। यह फिल्म तापसी पन्नू उर्फ मिथु की कहानी है जिसे क्रिकेट में अपना करियर बनाने के लिए काफी लड़ना पड़ता है। जब मिथु छोटी थी तो उसका लगाव क्रिकेट से था। लेकिन क्रिकेट को पुरुषों का खेल समझा जाता था जिस वजह से उसे खेलने नहीं दिया जाता था। फिल्म की कहानी 8 साल की मिताली से शुरू होती है जो भरतनाट्यम सीखती है। तब ही वहां उसकी मुलाकात एक बिगड़ैल बच्ची नूरी नाम की लड़की से होती है। दोनों साथ में भरतनाट्यम सीखती हैं, नूरी को मिताली भरतनाट्यम तो नहीं सिखा पाती लेकिन नूरी मिताली को क्रिकेट खेलना सिखा देती है। उसके बाद दोनों घर से बिना बताए क्रिकेट खेलने जाया करने लगे। फिर एक दिन नन्हीं मिथु पर काबिल कोच संपत की नजर जाती है। कोच उसे पहली नजर में ही परख लेते हैं और उसे क्रिकेट खेलना सिखाना शुरू करते हैं।
मैच प्रैक्टिस के दौरान जब मिथु अपना पैर क्रीज पर नहीं टिका पाती है तो वह उसके जूते में कील भी ठोंक देते हैं। उसके बाद घर आकर उसके सूजे पैर में बर्फ भी बांधते हैं। फिर कोच की मदद से मिथु अपने सपने को पूरा करने की तरफ कदम बढ़ाती है लेकिन क्रिकेट एकेडमी में उसे दूसरी फीमेल क्रिकेटर्स परेशान करती हैं। इन सब चीजों को बर्दाश्त कर, परेशानियों को झेलकर, खून-पसीना बहाकर जब वह मैदान में खेलने उतरती है तो हर गेंद का माकूल जवाब अपने बल्ले से देती है। आगे क्या होगा ये जानने के लिए आपको फिल्म देखनी होगी।
तापसी एक बेहतरीन एक्ट्रेस हैं लेकिन इस फिल्म में वो मिताली को पर्दे पर उतारने में कामयाब नहीं हो पाई हैं। उन्होंने अपनी बॉडी पर तो बहुत अच्छा काम किया है लेकिन वो मिताली के किरदार में नहीं उतर पाईं। विजय राज और बाकी सपोर्टिंग कास्ट का काम अच्छा था। लेकिन फिल्म हमें इंटरवल के बाद से एंटरटेन करने की जगह बोर करने लग जाती है। फिल्म में जो सबसे इंट्रेस्टिंग हो सकता था वो था वर्ल्ड कप मैच, लेकिन इस सीक्वेंस को दिलचस्प बनाने में श्रीजीत मुखर्जी चूक गए हैं, इससे बेहतर तो वो ट्रेनिंग सीक्वेंस था जब छोटी मिताली क्रिकेट सीखती है जिसका रोल इनायत वर्मा ने किया है। इनायत इससे पहले 'लूडो' में नजर आ चुकी हैं और इस फिल्म में वो अपनी एक्टिंग और मासूमियत से दिल जीत लेती हैं।
फिल्म में कुछ सीक्वेंस ऐसे भी हैं जो हमें सोचने पर मजबूर कर देते हैं, जैसे एक सीन है जब एयरपोर्ट पर महिला क्रिकेट की टीम के साथ भेदभाव होता है वहीं मेन्स क्रिकेट टीम जब एयरपोर्ट पहुंचती है तो सेल्फी लेने वालों की लाइन होती है, उनके लिए वीआईपी गेट होता है लोग उनके लिए चीयर कर रहे होते हैं। एक जगह तो मिताली को कोई पहचानता भी नहीं है और उनसे ही एक लेडी अपने पसंदीदा मेल क्रिकेटर के साथ पिक क्लिक करने को कहती है, और एक वो सीन भी कमाल का था जब टीम वर्ल्ड कप हारकर लेकिन दिल जीतकर आती है।
देखें या नहीं?
'शाबाश मिथु' केवल एक महिला क्रिकेटर के संघर्ष और सफलता की कहानी नहीं है बल्कि उन सभी महिलाओं के संघर्ष और सफलता की कहानी है जो अपने पैरों में बंधी बेड़ियां तोड़ना चाहती हैं। ये फिल्म एक खास मैसेज देना चाहती है कि कोई भी खेल महिला या पुरुष का नहीं होता। इस फिल्म में महिला क्रिकेट टीम के खिलाड़ियों के रूप में दिखे हर कलाकार ने पूरी मेहनत से काम किया है। नन्हीं मिथु बनीं इनायत वर्मा, नन्ही नूरी बनीं कस्तूरी जगनाम और सुकुमारी के रोल में शिल्पा मारवाह ने अच्छा काम किया है। आप अपने परिवारवालों के साथ घर ये फिल्म देख सकते हैं।