Friday, November 22, 2024
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साइना रिव्यू: खेल के साथ साथ देशभक्ति का भी डोज, जानिए कैसी है परीणिति चोपड़ा की फिल्म

परिणीति चोपड़ा की मोस्ट अवेटेड फिल्म साइना (Saina)आज रिलीज हो गई है। फैंस बेसब्री से इस फिल्म का इंतजार कर रहे थे क्योंकि ये बैडमिंटन सनसनी साइना नेहवाल की बायोपिक है। फिल्म में परीणिति चोपड़ा साइना नेहवाल का किरदार निभा रही है।

Vineeta Vashisth
Updated on: March 27, 2021 18:04 IST
saina movie
Photo: TWITTER/@ONLYHEROINES

Saina Movie Review

  • फिल्म रिव्यू: साइना
  • स्टार रेटिंग: 3 / 5
  • पर्दे पर: मार्च 26, 2021
  • डायरेक्टर: अमोल गुप्ते
  • शैली: बायोपिक

एक्ट्रेस परिणीति चोपड़ा की मोस्ट अवेटेड फिल्म साइना (Saina)आज रिलीज हो गई है। फैंस बेसब्री से इस फिल्म का इंतजार कर रहे थे क्योंकि ये बैडमिंटन सनसनी साइना नेहवाल की बायोपिक है। फिल्म में परीणिति चोपड़ा साइना नेहवाल का किरदार निभा रही है। पिछले कुछ महीनों में साइना बनने के लिए जिस तरह परीणिति ने मेहनत की है, वो फिल्म में नजर आ रही है। चलिए जानते हैं कि फिल्म कैसी है।

फिल्म में साइना के 2015 के कारनामे और बैडमिंटन जगत में उनके संघर्ष औऱ हिम्मत की कहानी कही गई है। साइना के बचपन से लेकर अभी तक के सफर को बखूबी दिखाया गया है। कैसे साइना बैडमिंटन सीखती हैं, उनकी ट्रेनिंग में उनके माता पिता का साथ, कैसे हरियाणा की होने के बावजूद साइना तमाम सामाजिक बंधनों को दरकिनार करते हुए शीर्ष तक पहुंचती है। किस तरह वो देश के लिए प्राउड मूमेंट बनाती है। 

नन्हीं साइना का जज्बा और किस तरह को नंबर वन बनती है। देश के लिए खेलते वक्त उनकी क्या प्राथमिकता होती है, इस सब को परीणीति ने काफी हौंसले से साथ परदे पर उतारने की ईमानदार कोशिश की है। फिल्म काफी शालीन तरीके से बनाई गई है, चूंकि साइना का जीवन भी काफी सादा रहा है और इसलिए फिल्म में ग्लैमर का तड़का लगाने की कोशिश नहीं की गई है। 

जहां तक किरदारों की एक्टिंग की बात करें तो परीणीति ने अपना बेस्ट देने की कोशिश की है। उनके हाव भाव बिलकुल साइना की तरह दिखे हैं। उन्होंने अपनी चार्मिंग ब्यूटी को दरकिनार करके साइना की तरह रफ टफ दिखने के लिए जो दिन रात एक किए थे, वो फलीभूत होते दिखे हैं। 

बचपन में साइना का किरदार निभाने वाली निशा कौर की एक्टिंग भी सराहनीय है। उनके भोलेपन ने मन मोह लिया है। बाकी किरदारों की बात करें तो परेश रावल के साथ साथ मानव कौल, मेघना मलिक,अंकुर विकालभने ने भी सराहनीय काम किया है। इन कलाकारों ने सपोर्टंग रोल बखूबी निभाया है।

कथानक की बात करें तो वो सामान्य तौर पर एक बायोपिक है। जिस तरह धोनी पर बनी फिल्म थी, कुछ उसी तरह निर्देशक अमोल गुप्ते ने साइना गुप्ता के सभी प्राउड पलों को एक फिल्म में पिरोने की अच्छी कोशिश की है। 

फिल्म में साइना के साथ साथ एक और चीज गौर करने वाली है। और वो है खेल के साथ साथ देशभक्ति की भावना। साइना के खेल को खेल के साथ साथ देशभक्ति से जोड़कर देखने की कोशिश की गई है। उसके कई संवाद इस तरह से दिखाते हैं मानों खेल भावना और देशभक्ति के जज्बे को एक साथ दिखाया गया है। फिल्म में दिखाया गया है कि एक बच्ची के लिए उसके मां बाप क्या सपना देखते हैं, साइना को रनर अप  बनने पर खुश होते देखकर जब उनकी मां थप्पड़ मारती है तो यहां मां बाप के सपने एकाएक दर्शक को बच्चे पर बोझ बनते दिखते हैं। हालांकि इसे जस्टिफाई करने के प्रयास अच्छे है। 

फिल्म एक समान रफ्तार पर आगे बढ़ती है, लेकिन कहीं कहीं अटकती है, कुछ दृश्य नहीं होते तो भी चल जाता है। इंटरवल के बाद कुछ जगह पॉज जैसा लगता है लेकिन बीच बीच में देशभक्ति से जुड़े भाव पैदा करके अमोल गुप्ते दर्शक को थिएटर से उठने नहीं देते।

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