- फिल्म रिव्यू: पटाखा
- स्टार रेटिंग: 3.5 / 5
- पर्दे पर: 28 सितंबर 2018
- डायरेक्टर: विशाल भारद्वाज
- शैली: कॉमेडी-ड्रामा
दो बहने हैं, दोनों चोटी पकड़-पकड़कर एक दूसरे से लड़ती हैं, एक-दूसरे को गोबर पर फेंककर मारती हैं, दोनों की लड़ाई भारत-पाकिस्तान के युद्ध की तरह है, और दोनों लड़कियां पटाखे की तरह हैं जो कभी भी फट सकती हैं। इन दो बहनों का नाम है चंपा और गेंदा लेकिन ये अपने नाम से नहीं जानी जाती हैं, बल्कि इन्हें बड़कू और छोटकू कहा जाता है। इनके एक बापू हैं, मां नहीं हैं। बापू के पैसे की जरूरत है, इसकी वजह से उन्हें अपनी दोनों में से एक बेटियों की शादी अमीर विधुर से करनी है, लेकिन शादी वाले दिन पहले बड़कू और फिर छोटकू मंडप से भाग जाती हैं, और अपने-अपने ब्वॉयफ्रेंड से शादी कर लेती हैं। दो बहनें जो एक-दूसरे की शक्ल भी नहीं देखना चाहती हैं उनकी शादी भी एक ही घर में हो जाती है। अब क्या होगा?
बात हो रही है फिल्म ‘पटाखा’ की जिसमें छोटकू हैं सान्या मल्होत्रा और बड़कू हैं राधिका मदान। इन दोनों की मां नहीं हैं एक बापू है जो दोनों का झगड़ा शांत कराने में पागल हो जाता है। बापू बने हैं विजय राज। अब इन दोनों बहनों की लड़ाई को बढ़ाने वाला भी एक शख्स है नाम है डिप्पर। सुनील ग्रोवर ने ये किरदार निभाया है जब दोनों बहनें इसकी बातों में आकर लड़ने लगती हैं तो ये बंदा ढोल बजाकर पब्लिक इकट्ठी कर लेता है।
पहले एक्टिंग की बात करते हैं राधिका मदान इससे पहले टीवी सीरियल्स में नजर आई हैं, जिसमें उनका रोल बेहद स्टीरियोटाइप था, सान्या मल्होत्रा का काम हमने दंगल में देखा है इसलिए नजर राधिका पर थी। क्या कमाल का काम किया है राधिका ने देखते ही बनता है। सान्या कहीं भी राधिका से कम नहीं हैं, दोनों एक से बढ़कर एक हैं। डिप्पर का रोल सुनील ग्रोवर को एक अलग मुकाम पर लेकर जाएगा। विजय राज भी खूब जंचे हैं। कुल मिलाकर यहां ये कह सकते हैं कि एक्टर और डायरेक्टर की जोड़ी बहुत बढ़िया है।
इस फिल्म में दोनों बहनों को भारत-पाकिस्तान बताया गया है जो बेवजह एक दूसरे पर बम फोड़ते हैं, फिल्म कई जगह पॉलिटिकल सटायर करती है, ‘अमरीका बैठा है’, ‘ट्रंप-मोदी’ और 'भारतीय फौज' जैसे बहुत सारे प्वाइंट्स को लेकर व्यंग्य है जो आपको हैरान कर देंगे और ये फिल्म को मजेदार भी बना रहे हैं।
फिल्म में गाने बहुत अच्छे हैं, गुलजार ने एक बार फिर अपने बोल से हैरान किया है। ‘बलमा’, ‘नैना’ और ‘कुल्हड़ फोड़े गली गली’ सभी गाने आपका दिल खुश कर देंगे।
ये फिल्म राजस्थानी लेखक चरण सिंह पथिक की साल 2006 में लिखी कहानी ‘दो बहनें’ पर आधारित है। इस फिल्म में विशाल भारद्वाज वाला टच है जो कहानी को बेहतरीन तरीके से दर्शा रहे हैं।
इस फिल्म की तैयारी के लिए दोनों एक्ट्रेस ने राजस्थान के गांव में कुछ वक्त गुजारे थे। गांव की औरतों की तरह चलना, बोलना, काम करना सब उन्होंने सीखा और उसे बहुत बेहतरीन तरीके से पर्दे पर उतारा है। कहीं भी बनावटीपन नहीं लगता है। चाहे वो बोली हो, कपड़े हों या लुक हो, हर बारीकी पर काम किया गया है।
फिल्म ढाई घंटे की है लेकिन वो हमें लंबी लगती है, जब लगता है यह फिल्म अब खत्म हो जाएगी वहीं से फिल्म में नई कहानी शुरू हो जाती है। फिल्म की लंबाई थोड़ी कम रखी जा सकती है। ये फिल्म विशाल भारद्वाज की सर्वश्रेष्ठ फिल्म नहीं है लेकिन सबसे मजेदार फिल्म जरूर है। इस फिल्म को मैं 5 में से 3.5 स्टार दूंगी, और जो बहनें हैं वो साथ में यह फिल्म देखें बहुत मजा आएगा।