- फिल्म रिव्यू: पलटन
- स्टार रेटिंग: 3 / 5
- पर्दे पर: 7 सितंबर 2017
- डायरेक्टर: जेपी दत्ता
- शैली: एक्शन-ड्रामा
हमारा तिरंगा हवा के कारण नहीं लहराता
वो लहराता हैं प्रत्येक वीर और जवान की अंतिम सांस के साथ
जिन्होंने तिरंगे की रक्षा के लिए अपने प्राणों का बलिदान दिया
जेपी दत्ता की फिल्म 'पलटन' आज रिलीज हो गई। इस फिल्म के बारे में बात करने से पहले हम बता दें कि ये फिल्म आपको एंटरटेन करने के लिए नहीं बल्कि आपको उन गुमनाम हीरोज के बारे में बताने के लिए है जो साल 1967 की भारत- चीन जंग में शहीद हो गए और बदले में हमें जीत देकर गए हैं। कहानी देखकर आपकी आँखों में आंसू, जवानों के लिए सम्मान और उनके परिवार के लिए दुःख ज़रूर होगा। इस फिल्म में आपको यह भी पता चलेगा कि हमारी सेना कितने दबावों से गुजर रही है।
फिल्म की कहानी फिर 1967 से शुरू होती हैं, जहां 2 ग्रेनेडियर ने मोर्चा संभाला हैं और चीनी सैनिक बार बार सैनिको को मानसिक रुप से परेशान करने की कोशिश करते रहते हैं। कभी पत्थरबाजी से तो कभी लाउड स्पीकर से। इसके बाद भारत और चीन के बीच युद्ध छिड़ जाता है। अब कैसे हमारे जवानों ने उन चीनियों को हराकर 1962 का बदला लेने की कोशिश की वो जानने के लिए आपको फिल्म देखना पड़ेगा।
जेपी का डायरेक्शन और स्क्रीनप्ले बहुत काफी मैच्योर है। हालांकि फिल्म के फर्स्ट हाफ में बार-बार कहानी का पीछे जाना और जवानों की प्रेम कहानियां फिल्म को स्लो कर रही थीं। जवानों के ब्रोमांस में थोड़ी ओवरएक्टिंग लग रही थी। बात-बात पर बड़े बड़े डायलॉग्स फिल्म के प्रभाव को कम कर रहे थे। फिल्म काफी हद तक प्रिडिक्टिबल है लेकिन फिर भी आपको अंत तक बांधे रखने में कामयाब रहती है।
एक्टिंग की बात करे तो जैकी श्रॉफ Maj. Gen. Sagat Singh के किरदार निभा रहे हैं, उनके पास करने को कुछ ज़्यादा नहीं था लेकिन जो कुछ भी उनके हिस्से आया उसे उन्होंने बेहतरीन तरीके से जिया है। अर्जुन रामपाल, सोनू सूद, गुरमीत चौधरी और हर्षवर्धन राणे, इन सभी ने अपने-अपने किरदारों को बेहतरीन तरीके से जिया है। सिद्धांत और लव सिन्हा ने भी अच्छी एक्टिंग की है। वहीं फिल्म की एक्ट्रेस सोनल चौहान, दीपिका कक्कड़ और मोनिका गिल के पास करने को ज्यादा कुछ नहीं था। चीनी सेना का रोल निभा रहे कलाकारों का बेहतर अभिनय ना कर पाना फिल्म को काफी कमज़ोर करती हैं.
अनु मालिक के संगीत ने इस फिल्म में जान डाल दी, और फिल्म में गाने बेहतर हैं और फिल्म में सही जगह पर इनका इस्तेमाल किया गया हैं। वही आपको जावेद अख्तर साहब का लिखा और सोनू निगम की आवाज में 'रात कितनी' और आखिर में 'मैं ज़िंदा हूँ' आपके आँखों में आंसू लाने के लिए काफी हैं।
देखें या नहीं? फिल्म अच्छी हैं और अंत में आँखों में आंसू लेकर सिनेमा हाल से आप बाहर निकलेंगे। जेपी दत्ता साहब ने एक अनकही युद्ध की सच्ची दास्ताँ और हमारे देश के वीर जवानों की वीरता सामने लेकर आए हैं। वक़्त मिले तो फिल्म देख आइये और एहसास करिए कि हम घर में सुकून से सांस ले पा रहे हैं, उसके लिए हमारे जवान अपना खून बहाते हैं। इंडिया टीवी इस फिल्म को दे रहा है 3 स्टार।