Wednesday, December 04, 2024
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Movie Review: बच्चों के साथ देखकर आइए रानी मुखर्जी की 'हिचकी'

फिल्म की कहानी है नैना माथुर (रानी मुखर्जी) की जो टॉरेट सिंड्रोम से पीड़ित है। इस बीमारी की वजह से नैना को बोलने में दिक्कत होती है। यही वजह है कि उसे 18 स्कूल वाले रिजेक्ट कर चुके हैं।

Jyoti Jaiswal
Updated : March 23, 2018 15:03 IST
हिचकी
हिचकी
  • फिल्म रिव्यू: हिचकी
  • स्टार रेटिंग: 3.5 / 5
  • पर्दे पर: 23 मार्च 2017
  • डायरेक्टर: सिद्धार्थ पी. मल्होत्रा
  • शैली: कॉमेडी-ड्रामा

‘देअर आर नो बैड स्टूडेंट्स, देअर आर बैड टीचर्स’ यानी  छात्र बुरे नहीं होते हैं अध्यापक होते हैं अगर वो बच्चों को ठीक तरह से पढ़ा ना पाएं। यह लाइन रानी मुखर्जी की फिल्म ‘हिचकी’ की टैगलाइन है। जब आप स्कूल के दिनों को याद करते हैं तो कोई न कोई एक टीचर ऐसा होता है जो हमें याद आ जाता है, वो जो हमेशा हमें सपोर्ट करता रहा हो या जिसके पढ़ाने के तरीके को हम ताउम्र नहीं भूल पाते हैं। रानी मुखर्जी फिल्म में नैना माथुर नाम की एक ऐसी ही टीचर के किरदार में हैं।

कहानी- फिल्म की कहानी है नैना माथुर (रानी मुखर्जी) की जो टॉरेट सिंड्रोम से पीड़ित है। इस बीमारी की वजह से नैना को बोलने में दिक्कत होती है। यही वजह है कि उसे 18 स्कूल वाले रिजेक्ट कर चुके हैं। आखिरकार उसे एक बड़े स्कूल सेंट स्टीफेन में जॉब मिल जाती है, जहां उसे ‘राइट टू एजुकेशन’ की वजह से पढ़ने आए छोटी बस्ती के बच्चों को पढ़ाना होता है। इन बच्चों को पढ़ाना आसान नहीं होता है, वो कभी क्लासरूम की खिड़की का कांच तोड़ देते हैं तो कभी नैना की कुर्सी। लेकिन नैना हार नहीं मानती। वो उन्हें बताती है कि उनके अंदर क्या खासियत है और कैसे उन्हें अपनी कमजोरियों को पीछे छोड़कर आगे बढ़ना है। क्या वो इसमें कामयाब होती है, इसके लिए आपको यह फिल्म देखनी होगी।

अभिनय- रानी मुखर्जी एक अच्छी और मैच्योर एक्ट्रेस हैं, वक्त के साथ उनकी एक्टिंग में निखार आया है। इस फिल्म में भी उन्होंने नैना माथुर के किरदार में जान डाल दी है। रानी मुखर्जी के साथ-साथ उन बच्चों की भी तारीफ करनी होगी, जो एक्टिंग में कहीं भी रानी 19 नहीं लगे हैं।

निर्देशन- फिल्म का निर्देशन सिद्धार्थ पी. मल्होत्रा ने किया है, उन्होंने अपना काम बखूबी किया है, फिल्म शुरू से लेकर अंत तक बांधे रखती है। फिल्म का क्लाइमैक्स अच्छा है, बेवजह के लेक्चर से बची है यह फिल्म। फिल्म के गाने भी सिचुएशन के हिसाब से ही हैं।

इस फिल्म में रानी का किरदार अमेरिकन मोटिवेशनल स्पीकर और टीचर ब्रैड कोहेन से प्रेरित है, उन्हें भी टॉरेट सिंड्रोम था, तमाम परेशानियों से आगे बढ़ते हुए वो टीचर बने थे। अपनी जिंदगी पर उन्होंने किताब भी लिखी थी, साल 2008 में ‘फ्रंट ऑफ द क्लास’ नाम की एक फिल्म भी इसी किताब पर आई थी। हिचकी इसी फिल्म पर आधारित है। यह एक इमोशनल फिल्म है, जिसे रानी ने पूरी तरह से जिया है। कहना गलत नहीं होगा कि यह रानी का शानदार कमबैक है।

देखें या नहीं?- अगर आप रानी मुखर्जी के फैन हैं और लीक से हटकर अलग फिल्में देखना पसंद करते हैं तो आपको यह फिल्म जरूर पसंद आएगी। इस वीकेंड यह फिल्म देखकर आइए और अपने बच्चों को भी दिखाइए, उन्हें इस फिल्म से प्रेरणा जरूर मिलेगी। मेरी तरफ से इस फिल्म को 3.5 स्टार।

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