- फिल्म रिव्यू: Bareilly Ki Barfi
- स्टार रेटिंग: 3 / 5
- पर्दे पर: 18 अगस्त 2017
- डायरेक्टर: अश्विनी अय्यर तिवारी
- शैली: रोमांटिक-कॉमेडी
फिल्म समीक्षा
जब भी यूपी के शहर बरेली का जिक्र होता है, हमारे दिमाग में सबसे पहला ख्याल बरेली के झुमके का ही आता है, मगर निर्देशक अश्विनी अय्यर तिवारी ने अब बरेली को बर्फी के साथ भी जोड़ दिया है। कृति सेनन, आयुष्मान खुराना और राजकुमार राव 'बरेली की बर्फी' रिलीज हो चुकी है, और हमने इस बर्फी का स्वाद भी ले लिया है। फिल्म की कहानी बहुत खास नहीं है, इस तरह की फिल्में पहले भी हम बॉलीवुड में देख चुके हैं, लेकिन कभी-कभी साधारण कहानी को भी अगर अच्छे ढंग से पेश किया जाए तो वो खास बन जाती है। ऐसा ही कुछ 'बरेली की बर्फी' के साथ हुआ है। फिल्म में कृति सेनन एक छोटे शहर की लड़की का किरदार निभा रही हैं। फिल्म में उन्होंने अपना बेस्ट दिया है, कह सकते हैं कृति के फिल्मी करियर की यह अब तक की बेस्ट फिल्म है। लेकिन कई जगह वो एक्टिंग में मात खाती हैं। फिल्म की जान हैं राजकुमार राव, उनकी एंट्री से फिल्म में जान आ जाती है। फिल्म में आयुष्मान लीड रोल में हैं और राजकुमार राव सपोर्टिंग रोल में, लेकिन राजकुमार राव के आने के बाद आयुष्मान खुराना सपोर्टिंग एक्टर लगने लगते हैं।
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कहानी
यह कहानी बिट्टी मिश्रा की है, जो बरेली के एक छोटे से मोहल्ले में अपने मम्मी (सीमा पाहवा) और पापा (पंकज त्रिपाठी) के साथ रहती है और बिजली विभाग में काम करती है। बिट्टी आम और सीधी-साधी लड़कियों की तरह नहीं है, वो सिगरेट पीती है, छत पर ब्रेक डांस करती है, रात को घूमती है, लड़कों से लिफ्ट लेती है, यानी समाज के ढांचे में जो लड़कियों की छवि है बिट्टी उसकी बिल्कुल उल्टी है, यही वजह है कि 2 बार बिट्टी की सगाई टूट चुकी है। इस बीच बिट्टी प्रीतम विद्रोही (राजकुमार राव) का उपन्यास ‘बरेली की बर्फी’ पढ़ती है। कहानी पढ़कर उसे लगता है कि यह उसकी ही कहानी है। वो निकल पड़ती है प्रीतम विद्रोही की तलाश में। इसी बीच उसकी मुलाकात होती है चिराग (आयुष्मान खुराना) से और शुरू होता है लव ट्रायंगल।
एक्टिंग
फिल्म में आयुष्मान खुराना लीड रोल में हैं मगर उनकी सारी लाइमलाइट राजकुमार राव छीन ले गए। राजकुमार राव अच्छे अभिनेता हैं और फिल्म के सभी कलाकारों पर भारी पड़े हैं। कृति सेनन ने अच्छी एक्टिंग की है, मगर अभी उन्हें और मेहनत करने की जरूरत है।
फिल्म में बिट्टी के पिता के किरदार में पंकज त्रिपाठी ने कमाल की एक्टिंग की है। मां का रोल निभाने वाली सीमा पाहवा ने भी अपने किरदार में जान डाल दी है।
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निर्देशन
फिल्म का निर्देशन 'निल बटे सन्नाटा' की डायरेक्टर अश्विनी अय्यर तिवारी ने किया है, वो 'दंगल' के निर्देशक नीतेश तिवारी की पत्नी भी हैं। फिल्म का निर्देशन कसा हुआ है। छोटे शहर की कहानी को दिखाने के लिए वेश-भूसा, बोली और लोकेशन को ध्यान रखा गया है और फिल्म को बेवजह लंबा नहीं खींचा गया है।
फिल्म के सूत्रधार के रूप में जावेद अख्तर की आवाज हमें लुभाती है। उनका स्टोरी टेलिंग का तरीका लाजवाब है।
देखें या नहीं
आप फिल्म देखकर एन्जॉय करेंगे। एक स्वीट सी रोमांटिक सी लव स्टोरी है। छोटे शहर की देसी लव स्टोरी है, जिसमें ड्रामा है, कॉमेडी है, जिसे देखकर आप बोर नहीं होंगे।
रेटिंग
मेरी तरफ से इस फिल्म को 3 स्टार।
-ज्योति जायसवाल
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