- फिल्म रिव्यू: स्टूडेंट ऑफ द ईयर 2
- स्टार रेटिंग: 1.5 / 5
- पर्दे पर: 10 मई 2019
- डायरेक्टर: पुनीत मल्होत्रा
- शैली: ड्रामा
#SOTY2 #MovieReview
Student Of The Year 2 Movie Review: साल 2012 में करण जौहर ने आलिया भट्ट, वरुण धवन और सिद्धार्थ मल्होत्रा को लॉन्च करते हुए एक फिल्म बनाई थी नाम था 'स्टूडेंट ऑफ द ईयर' इस फिल्म के सितारे भले ही आज बड़े स्टार बन चुके हैं लेकिन यह फिल्म करण जौहर की सबसे खराब फिल्मों में टॉप पर है (ऐ दिल है मुश्किल और इसके बीच कन्फ्यूज हूं वैसे)। इस फिल्म का जब सीक्वल बनने के बारे में पता चला तभी मन में आया कि क्यों-क्यों? हम पर ये टॉर्चर क्यों? फाइनली ये फिल्म रिलीज हुई और टाइगर श्रॉफ, अनन्या पांडे और तारा सुतारिया बैच 2019 के स्टूडेंट बनकर हमारे सामने आए हैं। फिल्म से तो हमें वैसे भी उम्मीद नहीं थी और ये फिल्म हमारी नाउम्मीदी पर बिल्कुल खरी उतरी है।
कहानी
एक लड़का है जो अपने 'स्कूल वाले लव' को हासिल करने पिशोरी लाल स्कूल से सेंट टेरेसा जाता है। वहां उसकी मुलाकात एक दूसरी लड़की से भी होती है, लव ट्रॉयंगल होता है और भी बहुत कुछ फिल्म में होता है जो होना नहीं चाहिए। इस स्कूल में पढ़ाई के अलावा सब कुछ होता है, और सबसे बुरी बात यह है कि लड़कियां सिर्फ छोटे कपड़े पहनाकर नचाने के लिए रखी हैं, 'स्टूडेंट ऑफ द ईयर' के लिए सिर्फ लड़के ही क्यों हिस्सा लेते हैं? किसी भी स्पोर्ट्स में लड़कियां क्यों शामिल नहीं हैं? डांस कॉम्पटीशन की बात की हुई तो सिर्फ वो हवा-हवा में। लड़कियां सिर्फ एक लड़के के लिए आपस में लड़ती हैं स्टूडेंट ऑफ द ईयर की ट्रॉफी के लिए नहीं, और पढ़ाई वो तो ना लड़के करते हैं ना लड़कियां। फिल्म में जैसी कबड्डी दिखाई गई है वैसी कबड्डी आपने किसी कबड्डी लीग में भी नहीं देखी होगी।
एक्टिंग
फिल्म में टाइगर श्रॉफ हैं जो किसी भी एंगल से कॉलेज स्टूडेंट नहीं लग रहे हैं, उनकी जगह कोई न्यूकमर एक्टर होता तो शायद आप यह फिल्म झेल भी लेते हैं। जब गेम, जिमनास्टिक और डांस की बात होती है तो तब तो वो परफेक्ट लगते हैं लेकिन कोई उनसे इमोशन और एक्सप्रेशन दिखाने को ना कहे। चंकी पांडे की बेटी अनन्या पांडे एक्टिंग में बहुत मेहनत करती दिखीं लेकिन अभी उन्हें बहुत मेहनत करनी पड़ेगी। तारा सुतारिया के पास करने को ज्यादा कुछ था ही नहीं। राइटर ने उनके कैरेक्टर के साथ ही न्याय नहीं किया। उन्हें बिल्कुल साइडलाइन कर दिया गया। जो कुछ उनके हिस्से आया भी उसमें भी उन्होंने कोई खास काम नहीं किया। मानव रंधावा बने आदित्य सील का काम फिर भी बढ़िया रहा। फिल्म में हर्ष बेनीवाल भी हैं जिन्हें भी एक कॉमन पंजाबी फ्रेंड का रोल दिया गया है जो ज्यादातर हिंदी फिल्मों में हर हीरो के साथ होता है।
म्यूजिक
'स्टूडेंट ऑफ द ईयर 2' में एक गाना भी ऐसा नहीं है जो आपको बाद में याद रह जाएगा। इसे आप विशाल-शेखर का सबसे खराब एल्बम कह सकते हैं। फिल्म पूरी देहरादून और मसूरी पर बेस्ड है तो फिर जट्ट लुधियाने दा, और दिल्ली मुंबई दी कुड़िया जैसे गाने क्यों हैं करण जौहर जानें। हां टिकटॉक वालों के लिए इस फिल्म का एल्बम किसी तोहफे से कम नहीं हैं।
देखें या नहीं?
अगर आप स्कूल-कॉलेज में हैं तो आप एक बार को ये फिल्म शायद झेल लें, हर्ष बेनीवाल के लिए आप ये फिल्म देख सकते हैं। इस फिल्म को हम 5 में से 1.5 स्टार दे रहे हैं।