- फिल्म रिव्यू: Mirzya
- स्टार रेटिंग: 2.5 / 5
- पर्दे पर: Oct 7, 2016
- डायरेक्टर: राकेश ओमप्रकाश मेहरा
- शैली: रोमांटिक ड्रामा फिल्म
राकेश ओम प्रकाश मेहरा यह जानना चाहते थे कि साहिबा ने मिर्जा के तीर क्यों तोड़े? बस इसी सवाल की खोज का परिणाम है फिल्म 'मिर्ज्या'। और इस सवाल की खोज करते हुए 'रंग दे बंसती' और 'भाग मिल्खा भाग' जैसी फिल्म के लिए पहचाने जाने वाले राकेश ओम प्रकाश मेहरा ने गुलजार का हाथ पकड़कर फिल्म का सिनेमाई अफसाना रचा है। लेकिन फिल्म देखने के बाद अनायस ही दर्शक बोल पड़ता है गजब का आर्ट वर्क, शानदार संगीत काश कहानी में कुछ दम होता तो दिल के बॉक्स ऑफिस पर यह प्रेम कहानी भी हिट हो जाती, लेकिन ऐसा हो ना सका।
फिल्म निर्देशक राकेश ओम प्रकाश मेहरा के निर्देशन में बनीं फिल्म ‘मिर्ज्या’ का संगीत बेहतरीन हैं, नवोदित कलाकारों हर्षवर्धन कपूर और सैयामी खेर ने शानदार अभिनय किया है लेकिन गुलजार की कलम से निकली पटकथा इस बार उतना कमाल नहीं करती नजर आ रही जितना साहिबां-मिर्जा की दास्तां से लोगों को उम्मीद है। राकेश ओमप्रकाश मेहरा ने फिल्म को बेहतरीन कवितामय और शानदार पेंटिग की तरह रचने का प्रयास जरूर किया है लेकिन इस प्रेम कहानी की पटकथा कमजोर रह जाने से दर्शक सीधे फिल्म से कनेक्ट नहीं हो पाते। कमजोर पटकथा और कहानी में नयापन ना होना फिल्म की सबसे बड़ी कमजोरी बन सकती हैं जिसके चलते बॉक्स ऑफिस पर इसे उतना उम्दा रिस्पांस संभवत: ना मिले, यह एक विशेष दर्शक वर्ग को जरूरर पसंद आ सकती है लेकिन ‘रंग दे बसंती’ और ‘भाग मिल्खा भाग’ के राकेश ओमप्रकाश मेहरा ऐसा लगता है कहानी में कहीं खो से गए है।
गुलजार की कलम से निकली कहानी उतनी दमदार तो नहीं हैं लेकिन फिल्म में गीतों के बोल शानदार हैं और इस बात के लिए आप गुलजार साहब को साधुवाद दे सकते हैं।
कहानी:-
फिल्म की कहानी पंजाब की चर्चित प्रेम कहानी साहिबां-मिर्जा की दास्तान को आधार बनाकर उसे आज से जोड़कर बनाया गया है। साहिबां-मिर्जा की कहानी को कहने के लिए मूक भाषा के रेखांकन का सहारा लिया गया है वहीं आज के दौर की कहानी में राजस्थान के मुनीष (हर्षवर्धन कपूर) और सुचित्रा (सैयामी खेर) की है। इनका प्यार भरा दोस्तान स्कूल से शुरु होता है। इसके बाद बीच में एक लंबा बिछोह के बाद मिलन दिखाया गया है। लेकिन इस मिलन में एक ट्विस्ट है। सुचित्रा और मुनीष का मिलन ऐसे समय में होता है जब सुचित्रा का विवाह कहीं और तय हो चुका है। आगे क्या होता है अगर आप इस बात को जानना चाहते हैं तो बेहतर होगा आप फिल्म देखें।
अभिनय:-
‘मिर्ज्या’ से बॉलीवुड में आगाज कर रहे हर्षवर्धन कपूर और सैयामी खेर से राकेश ओमप्रकाश मेहरा ने शानदार काम लिया है। हर्षवर्धन शुरुआती फिल्म के लिहाज से ठीक-ठाक हैं लेकिन उनको लंबा रास्ता तय करने के लिए अभी बहुत मेहनत करने की जरूरतर होगी। खासकर संवाद अदायगी और एक्सप्रेशन के मामले में। ओम पुरी ने छोटे से रोल में गजब का काम किया है ।
संगीत:-
फिल्म ‘मिर्ज्या’ में अगर कुछ ऐसा है जो दर्शकों को सबसे अधिक पसंद आएगा तो वह शंकर एहसान लॉय का संगीत और दिलेर मेहंदी की गूंजती आवाजा का जादू। गुलजार के लिखे बोल पर फिल्म का संगीत बेहतर बन पड़ा है। गीतों में कोरस का भी लाजवाब उपयोग किया गया है। हालांकि इस मधुरता के बीच कभी-कभी दर्शकों को ऐसा लगता है कि गीतों के बीच कहानी कहीं खो सी गई है।
क्यों देखें:-
फिल्म की कहानी कमजोर है, राकेश ओम प्रकाश मेहरा इसमें ‘रंग दे बंसती’ वाला रंग नहीं भर पाए हैं। इन सब बातों के बावजूद आप इसके बेहतरीन संगीत और नवोदित कलाकारों के अभिनय और राकेश ओम प्रकाश मेहरा के पोएटिक सिनेमाई अफसाने को देखने के लिए इस फिल्म को देख सकते हैं।