Sunday, November 24, 2024
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Mimi Movie Review: कॉमेडी में इमोशन्स पिरोने की कोशिश, जानें कैसी है कृति सैनन और पंकज त्रिपाठी की फिल्म

फिल्म की कहानी एक लड़की की परिवारिक बंदिशों, समाज के रिवाजों और निजी द्वन्द्व से लड़ने की कहानी है। यह फिल्म बायोपिक और एक्शन फिल्मों की होड़ में लबरेज बॉलीवुड को अपने शानदार प्लॉट के जरिए एक अलग कहानियों को सोचने की बेहतरीन सीख देती है।

वैशाली जैन
Updated on: July 27, 2021 15:01 IST
Mimi
Photo: INSTAGRAM/KRITISANON

कॉमेडी में इमोशन्स पिरोने की कोशिश

  • फिल्म रिव्यू: मिमी
  • स्टार रेटिंग: 3 / 5
  • पर्दे पर: Jul 26, 2021
  • डायरेक्टर: लक्ष्मण उतेकर
  • शैली: कॉमेडी

ममता के साथ-साथ अपने बच्चे से प्यार करना हर मां के लिए पहला विकल्प होता है, ममता और एक मां की अपने बच्चों के अस्तित्व के लिए लड़ाई लड़ने की यही कहानी बयान करती है कृति सैनन की फिल्म 'मिमी'। 'मिमी' इस बात की तरफ इशारा करती है कि कैसे एक महत्वकांक्षी लड़की जिसे बॉलीवुड में एक बड़ा स्टार बनना है, अपने बच्चे के लिए अपने सपने को कुर्बान कर देती है।

बॉलीवुड में इस तरह की अब तक कई फिल्में बन चुकी हैं जिसमें अपने बच्चों के लिए उनके मां-बाप का सैक्रिफाइस करना दिखाया गया है, इन फिल्मों में 'तारे जमीं पर' और 'शकुंतला देवी' जैसी फिल्में शामिल हैं, और अब 'मिमी' अपनी शानदार कोशिश के साथ इन सफल फिल्मों की होड़ में शामिल हो रही है।  

फिल्म की कहानी एक लड़की की परिवारिक बंदिशों, समाज के रिवाजों और निजी द्वन्द्व से लड़ने की कहानी है। जहां एक तरफ बायोपिक और एक्शन फिल्मों की होड़ में लबरेज बॉलीवुड को 'मिमी' अपने शानदार प्लॉट के जरिए एक बेहतरीन सीख देती है। 'मिली' फिल्म अपने स्तर पर एक बार फिर से यही बात दोहराना चाहती हैं कि फिल्में, समाज का आईना होती हैं जिस समाज में रह रहे हर इंसान की वेदना, दर्द और इमोशंस में अंतर होता है, उसी तरफ फिल्मों की विधाओं और उनकी किस्सागोई में अंतर होना चाहिए। सरोगेसी जैसे मुद्दे को दर्शकों के सामने लाना बेहद जरूरी था, और इस फिल्म ने इसे बेहतर तरह से निभाने की कोशिश की है, हमारे फिल्म निर्माताओं को जरूरत है कि सिर्फ एक विधा वाली फिल्मों पर टिके रहने से बेहतर है कि इस तरीके की फिल्में बनाई जाएं। 

12 साल पहले मराठी भाषा में रिलीज हुई 'मला आई व्हायचय' को  हिंदी दर्शकों के लिए एक बार फिर से रीक्रिएट करने की कोशिश की गई है। फिल्म की तरह  इसके किरदार भी काफी रोचक हैं, पंकज त्रिपाठी ने हमेशा की तरह बेहतरीन काम किया है, वहीं कृति सैनन अपने किरदार में इमोशंस के एक बहाव को लेकर आती हैं और दर्शकों के जेहन में छा जाने की कोशिश करती हैं। फिल्म में कृति सैनन की एक्टिंग के बात करें तो उनके 'पानीपत' के किरदार से अब तक के इस किरदार में काफी मेच्योरिटी देखने को मिली है। 

अपनी सेंसिबल आवाज और गानों के लिए जाने जाने वाले आर रहमान ने फिर से इस फिल्म में जादू चलाने की कोशिश की है,  हम अक्सर ऐसा देखते हैं कि यदि फिल्म के गाने बेहतरीन होते हैं तो उस फिल्म को दिनों-दिनों तक याद किया जाता है। फिल्मी संगीतकार की मेहनत और सिंगर की तरफ से गाए गए गानों ने दिलों को छू लिया है। 

तकनीकी पक्ष पर बात करें तो मम्मी कि सिनेमैटोग्राफी के साथ-साथ स्क्रीन पर नजर आने वाले सीन पर बेहतरीन रिसर्च के साथ-साथ काम किया गया है, प्लॉट ज्यादातर दृश्य रियल लगे और दर्शकों को स्टोरी से कनेक्ट करने में ज्यादा वक्त ना लगे इस चीज का खास ध्यान रखा गया है। 

यदि आप बॉलीवुड की फिल्मों में एक बेहतर कहानी के विकल्प की तलाश कर रहे हैं तो 'मिमी' इस कसौटी पर खरी उतरती है।

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