- फिल्म रिव्यू: गुलमोहर
- पर्दे पर: March 3, 2023
- डायरेक्टर: राहुल वी चित्तेला
- शैली: फैमली ड्रामा
मार्च की शुरुआत शर्मिला टैगोर और मनोज बाजपयी की 'गुलमोहर' (Gulmohar) से हुई है। फैमिली ड्रामा फिल्म डिज्नी प्लस हॉटस्टार पर आज यानी 3 मार्च को स्ट्रीम हो रही है, जिसमें परिवार के बीच प्यार और तकरार की कहानी है। इस फिल्म से बॉलीवुड की दिग्गज अदाकारा शर्मिला टैगोर 11 साल बाद बड़े पर्दे पर वापसी कर रही हैं। फिल्म के ट्रेलर को दर्शकों से काफी अच्छा रिस्पॉन्स मिला था। यहां हम आपके लिए लाए हैं 'गुलमोहर' (Gulmohar) का रिव्यू।
कहानी
रिश्तों की ख़ूबसूरती उनकी उलझनों में ही होती है, जब तक ज़िन्दगी है रूठना मनाना चलता रहेगा, अपनों से प्यार और तनाव भी चलता रहेगा। मगर जब तक रिश्ते एक डोर में पिरोए हुए तब तक ऐसे ही जज़्बातों को दर्शाता है गुलमोहर परिवार। गुलमोहर एक फैमिली ड्रामा है जहां रिश्तों की उधेड़बुन और जिम्मेदारियों के बीच कशमकश चल रही है।
दिल्ली के गुलमोहर नाम के बंगले में रह रहे बत्रा परिवार के होली से पहले के अंतिम चार दिनों की बातें करता है, क्योंकि वे अपने चौंतीस साल पुराने पुश्तैनी घर छोड़ अपने अपने नए घर में जाने के लिए सामान बांध रहे हैं। घर को समेटने की उथल-पुथल के बीच, गुलमोहर इस घर के विभिन्न सदस्यों के व्यक्तित्व, जीवन के प्रति उनकी धारणा और उनका एक दूसरे के प्रति भावना को भी दर्शाता है। जैसा कि हर एक परिवार में होता है यहां भी रिश्तो में कई परते हैं, कई राज हैं और भविष्य की अनिश्चितता है।
कास्ट
निर्देशक राहुल चित्तेला की 'गुलमोहर' में 11 साल के बाद शर्मिला टैगोर की फिल्मों में वापसी, साथ है मनोज बाजपाई, अमोल पालेकर, लाइफ ऑफ पाई फेम सूरज शर्मा, सिमरन ऋषि बग्गा।
एक्टिंग
78 की उम्र में शर्मिला टैगोर बेहद ग्रेसफुल और सुंदर लगी हैं। परिवार के मुखिया और परिवार के सदस्यों की राजदार साथ ही एक खुले विचार रखने वाली महिला की भूमिका शर्मिला टैगोर ने बखूबी निभाया है। उन्हें पर्दे पर सर एक सीन में देखना एक अनुभव है। बत्रा परिवार के बड़े बेटे के किरदार में मनोज बाजपेई ने अच्छा काम किया है उनकी परफॉर्मेंस नहीं ईमानदारी झलकती है। जिस तरह के किरदार में मनोज नजर आते हैं यह उससे हटकर है क्योंकि पहली बार मनोज को परिवार और उसकी योजनाओं से जूझते हुए किरदार में देखा गया है। उनकी पत्नी का किरदार निभाती सिमरन। सिमरन फिल्में काफी सहज दिखीं। शर्मिला टैगोर के देवर के किरदार में अमोल पालेकर ने बहुत ही नेचुरल परफॉर्मेंस दी है और उनके डायलॉग्स आम हैं। मनोज के बेटे के किरदार में सूरज शर्मा ने आज के जनरेशन के कन्फ्यूजन और भविष्य के निर्माण के उलझन को सही दर्शाया है।
एनालिसिस
- फिल्म का फर्स्ट हाफ स्लो है.. सेकंड हाफ में फिल्म पकड़ बनाती है।
- एंटरटेनमेंट की थोड़ी कमी खलती है क्योंकि ज्यादातर फिल्म में टेंशन नजर आती है मगर शर्मिला टैगोर का पर्दे पर आना जैसे रौनक लेकर आता है। 'होरी में' गाना कर्णप्रिय है। साथ ही तलत अजीज का गेस्ट अपीयरेंस अच्छा लगता है।
- गुलमोहर की कहानी में कई रहस्य दिखाई गई हैं मगर एक या दो बातों को अवॉइड करने से शायद कहानी और आसान होती।
- अच्छी बात है कि यह फिल्म ओटीटी पर रिलीज की गई है क्योंकि इसकी पहुंच परिवारों तक होना जरूरी है।
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