- फिल्म रिव्यू: लैला मजनूं
- स्टार रेटिंग: 3 / 5
- पर्दे पर: 07 सितंबर 2018
- डायरेक्टर: साजिद अली
- शैली: रोमांस-ड्रामा
Laila Majnu Movie Review: 'तू ना ज्यादा स्मार्ट मत बन, सब पता है मुझे तेरे बारे में', 'बहुत मेहनत करता हूं स्मार्ट बनने की, शक्ल अच्छी नहीं है ना...' कुछ ऐसे खूबसूरत डायलॉग्स से सजी इम्तियाज अली की फिल्म 'लैला मजनूं' आज रिलीज हो गई। 1200 साल पुराने 'लैला मजनूं' के किस्से को इम्तियाज अली के भाई साजिद अली एक नए अंदाज में लेकर आए हैं। इस फिल्म में अविनाश तिवारी और तृप्ति डिमरी के साथ साजिद अली ने भी निर्देशन में डेब्यू किया है। इस फिल्म की कहानी इम्तियाज अली ने लिखी है।
यह कहानी कश्मीर में रहने वाली एक लड़की लैला (तृप्ति डिमरी) की है जो बहुत चुलबुली है और लड़कों से फ्लर्ट करना उसे पसंद है, फिल्म की शुरुआत में लैला का काफी खूबसूरत तरीके से चित्रण किया गया है। एक दिन उसकी जिंदगी में कैस भट्ट (अविनाश तिवारी) की एंट्री होती है, जो बड़े बाप का बिगड़ा हुआ बेटा है। दोनों करीब आते हैं और फिर दोनों में प्यार हो जाता है, लेकिन जमाने को ये मोहब्बत मंजूर नहीं है, दोनों मिलते हैं बिछड़ते हैं और फिर कुछ ऐसा होता है कि वो लैला के प्यार में मजनूं बन जाता है। फिल्म में कई खूबसूरत पल हैं, कई जगह फिल्म आपकी आंखें नम कर देगी।
कोई पत्थर से ना मारे मेरे दीवाने को
कुछ लोग नमाज पढ़ रहे होते हैं और मजनूं के लैला-लैला चिल्लाने से उनकी नमाज टूट जाती है, लोग उसे पत्थर से मारते हैं, वो कहता है कि जब मैं अपनी माशूका में खोया था और मुझे आप लोगों को नमाज नहीं दिखी तो आप लोग खुदा से बात कर रहे थे तो मेरी वजह से आपकी नमाज कैसे टूट गई। बाद में लैला वहां आती है और 'कोई पत्थर से ना मारे मेरे दीवाने को...' वाले सीन को थोड़ी देर ही सही लेकिन खूबसूरती से दर्शाया गया है।
लैला मजनूं की इस कहानी में जुनूनी प्यार है, और हद से ज्यादा दर्द है। इस दर्द और प्यार की कहानी कश्मीर की खूबसूरत वादियों में फिल्माई गई है।
अभिनय
एक्टिंग की बात करें तो अविनाश तिवारी ने फिल्म की सारी लाइमलाइट छीन ली है, जिस शानदार तरीके से उन्होंने कैस भट्ट और मजनूं के किरदार को जिया है वो लंबे समय तक बॉलीवुड में टिकने के लिए तैयार हैं। अविनाश रणबीर कपूर जैसे इंटेंस तो रणवीर सिंह जैसे एनर्जेटिक लगे हैं। उनके साथ लैला बनी तृप्ति डिमरी भी अच्छी लगी हैं, उनकी एक्टिंग भी सहज है। फिल्म की सपोर्टिंग कास्ट भी काफी अच्छी है।
फिल्म के गाने बहुत अच्छे हैं, खासकर 'लैला ओ लैला' और 'हाफिज हाफिज' आपकी जुबां पर चढ़ जाएगा।
जिस तरह का लैला के प्यार में कैस मजनूं बन जाता है, इसे और गहराई से दिखाने के लिए कैस और लैला के प्यार को और दिखाना चाहिए था। लेकिन फिल्म में उसकी कमी है। फिल्म में लैला जिस तरह अपने पिता और प्रेमी के प्यार के बीच फंसी दिखती है वो बेहद इमोशनल कर देने वाला है।
फिल्म का सेकंड हाफ भले ही लैला मजनूं की रियल कहानी से प्रेरित है लेकिन फिल्म को आज के जमाने के हिसाब से दिखाने के लिए अगर फिल्म में थोड़े बदलाव साजिद अली करते तो शायद यह फिल्म और अधिक अपीलिंग होती, क्योंकि ये फिल्म दूसरे हाफ में पुराने जमाने की फिल्म लगने लगती है।
स्पॉइलर अलर्ट- लैला और मजनूं को कुछ दिन अलग रहना पड़ता है क्योंकि लैला के पति की डेथ हो जाती है, लेकिन दोनों आज के जमाने के थे फोन पर कनेक्ट रह सकते थे, इस तरह मजनूं क्यों बन गया कैस। ऐसा लगता है फिल्म शुरू आज के जमाने के हिसाब से हुई थी लेकिन खत्म होते-होते वो पुराने जमाने में चली जाती है।
स्टार रेटिंग- फिल्म की कहानी और निर्देशन बहुत साधारण है, हां अविनाश की एक्टिंग और गानों की वजह से आप यह फिल्म देख सकते हैं। रोमांटिक फिल्में पसंद करते हैं और प्यार में आपका दिल टूटा है तो यह फिल्म आपको अच्छी लगेगी इस फिल्म को एक बार जरूर एक्सपीरियंस करना चाहिए। इंडिया टीवी इस फिल्म को दे रहा है 2.5 स्टार।
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