- फिल्म रिव्यू: Ki And Ka
- स्टार रेटिंग: 2.5 / 5
- पर्दे पर: Apr 1, 2016
- डायरेक्टर: आर.बाल्की
- शैली: रोमांटिक फिल्म
बॉलीवुड को 'पा' और 'चीनी कम' जैसी बेहतरीन फिल्में देने के बाद आर. बाल्की एक बार फिर से अपने दर्शकों के लिए एक नई कहानी लेकर हाजिर हैं। करीना कपूर और अर्जुन कपूर के अभिनय से सजी फिल्म 'की एंड का' शुक्रवार को सिनेमाघरों में रिलीज हो चुकी है। फिल्म में बाल्की ने एक खूबसूरत मैसेज देने के साथ रोमांस और कॉमेडी का जबरदस्त तड़का भी लगाया है। आइए जानते है फिल्म की कहानी क्या है।
कहानी:-
फिल्म की कहानी के बारे में बात की जाए तो यह कबीर बंसल (अर्जुन कपूर) और किया (करीना कपूर) के इर्द गिर्द घूमती रहती है। कबीर एक अरबपति बिल्डर बंसल (रजित कपूर) का बेटा है लेकिन उसे अपने पिता के पैसों में कोई दिलचस्पी नहीं है। कबीर काफी पढ़ा लिखा है लेकिन वह बाहर जाकर कोई नौकरी करने की बजाय अपनी मां जैसा बनना चाहता है जो एक हाउस वाइफ थीं। दूसरी तरफ किया एक बड़ी कंपनी में अच्छे पद पर काम करती है। कबीर और किया की मुलाकात एक फ्लाइट में होती है। दोनों को जल्द ही एक दूसरे से प्यार हो जाता है और ये शादी कर लेते हैं। इसके बाद कबीर घर संभालने में लग जाता है और किया पैसे कमाने में जुट जाती है। कबीर के पिता को लगने लगता है कि उनका बेटा बिल्कुल महिलाओं जैसा ही हैं। किया और कबीर के बीच भी इर्ष्या अभरकर आने लगती है। फिल्म में कई मोड़ आते हैं और कई ट्विस्ट के साथ फिल्म आगे बढ़ने लगती है जो आपको इसके साथ बांधें रखती है।
अभिनय:-
फिल्म के मुख्य किरदार अर्जुन और करीना ने अपनी भूमिकाओं को बखूबी पर्दे पर उतारा है। खासकर अर्जुन की अदाकारी की बात करें तो उन्होंने काफी बेहतरीन तरीके से एक हाउस हस्बैंड का किरदार निभाया है। वहीं दूसरी तरफ करीना भी अपने रोल में बिल्कुल फिट बैठी हैं। फिल्म में निभाया गया स्वरुप संपत और रजित कपूर ने भी अपने किरदारों के साथ पूरी तरह से इंसाफ किया है। इनके अलावा अमिताभ बच्चन और जया बच्चन फिल्म में कुछ देर के लिए दिखाई दिए। लेकिन उन्होंने इसमें भी बाजी मार दी।
निर्देशन:-
आर. बाल्की हमेशा दर्शकों के लिए कुछ नया लेकर पेश होते हैं। जैसा हम उनकी पिछली फिल्मों 'चीनी कम' और 'इंगलिश विंगलिश' में देख ही चुके हैं। उन्होंने इस फिल्म में भी कोशिश की है कि कोई कसर न रहे। फिल्म में उन्होंने रोमांस का तड़का तो बखूबा लगाया है, लेकिन कॉमेडी को और बेहतर किया जा सकता था। जहां एक तरफ फिल्म की कहानी दर्शकों को अंत तक बांधे रखने में कामयाब होती है वहीं इसकी स्क्रिप्ट थोड़ी असफल रही। लेकिन कम से कम एक बार तो फिल्म सिनेमाघरों में जाकर देख ही सकते हैं।