Sunday, December 22, 2024
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ध्वनि भानुशाली का दमदार डेब्यू, सामाजिक मुद्दे को पुरजोर तरीके से उठाती है 'कहां शुरू कहां खतम'

'कहां शुरू कहां खतम' को आज रिलीज कर दिया गया है। इस फिल्म की कहानी सामाजिक मुद्दे को उठाती है। पुरुषवादी समाज में नारीवाद की बात करने वाली इस फिल्म की कहानी कैसी चलिए जानते हैं।

Aseem Sharma
Published : September 20, 2024 10:36 IST
Kahan Shuru Kahan Khatam
Photo: INSTAGRAM कहां शुरू कहां खतम की कास्ट।
  • फिल्म रिव्यू: कहां शुरू कहां खतम
  • स्टार रेटिंग: 3 / 5
  • पर्दे पर: 20.09.2024
  • डायरेक्टर: सौरभ दासगुप्ता
  • शैली: रोमांटिक कॉमेडी ड्रामा

ध्वनि भानुशाली और आशिम गुलाटी अभिनीत रोमांटिक कॉमेडी फिल्म आज सिनेमाघरों में रिलीज हो गई है। 'कहां शुरू कहां खतम' के साथ ध्वनि और आशिम दोनों ही एक साथ पहली बार मुख्य भूमिका में नजर आ रहे हैं। सौरभ दासगुप्ता द्वारा निर्देशित इस फिल्म में राकेश बेदी, सुप्रिया पिलगांवकर, राजेश शर्मा और विक्रम कोचर जैसे दिग्गज और बहुमुखी अभिनेताओं की एक शानदार स्टारकास्ट भी है। अगर आपने इस रोमांटिक कॉमेडी का ट्रेलर देखा होगा तो इसमें दिखाया गया है कि कैसे ध्वनि का किरदार अपनी शादी से भाग जाता है और अब उसका गैंगस्टर परिवार हर जगह उसकी तलाश कर रहा होता है। फिल्म में दर्शकों के लिए एक प्यारा सामाजिक संदेश भी है। फिल्म की कहानी, अभिनय, निर्देशन, संगीत और अन्य खास बातों को जानने के लिए पढ़े पूरा रिव्यू।

कहानी

फिल्म की शुरुआत कृष/कृष्णा (आशिम गुलाटी द्वारा अभिनीत) के एक शादी में घुसने से होती है। वह मेहमानों के साथ आसानी से घुलमिल जाता है। जब तक वह दुल्हन मीरा (ध्वनि भानुशाली द्वारा अभिनीत) से नहीं मिलता, तब तक उसे पता चलता कि ये शादी एक गैंस्टर परिवार की है। मीरा से मिलकर पता चलता है कि वह एक गैंगस्टर परिवार से है और उसके पिता (राजेश शर्मा द्वारा अभिनीत) हरियाणा के शीर्ष गैंगस्टरों में से एक हैं। इतना ही नहीं मीरा का परिवार भी पुरुष-केंद्रित है, जहां केवल पुरुष सदस्यों की ही हर बात पर सुनी और समझी जाती है और महिलाएं केवल आदेशों का पालन करने और परिवार की देखभाल करने के लिए बाध्य हैं। 

मीरा शादी नहीं करना चाहती और परिवार की पुरुषवादी विचारधारा के खिलाफ जाकर भाग जाती है, लेकिन भागते समय वह कृष को अपने साथ ले जाती है, जो गैंगस्टर परिवार द्वारा पकड़े जाने के डर से उसके साथ रहता है। वे हर जगह भागते हैं जब तक वे आखिरकार कृष के गृहनगर बरसाना नहीं पहुंच जाते, जहां मीरा को शहर के लोगों की सोच में काफी अंतर पता चलता है, जहां समाज महिला-केंद्रित है। इससे उनके परिवारों में उथल-पुथल मच जाती है, जहां मीरा का परिवार उसे ढूंढ़ने में कोई कसर नहीं छोड़ता तो वहीं कृष का परिवार सोचता है कि वह मीरा को भगाकर साथ लाया है और ऐसे में अब मीरा भी परिवार का अब हिस्सा है। 

अभिनय

'कहां शुरू कहां खतम' ध्वनि की बॉलीवुड में पहली फिल्म है, जबकि आशिम भी लीड रोल में पहली बार नजर आ रहे हैं। हालांकि, आशिम इससे पहले 'मर्डर मुबारक', 'तुम बिन II' और भी कई फिल्मों में नजर आ चुके हैं। अभिनय के मोर्चे पर ध्वनि ने मीरा के अपने किरदार को बखूबी से निभाया है, जो फिल्म के पहले भाग में गंभीर मुद्रा में हैं और दूसरे भाग में प्यारी और मनमोहक हैं।

दूसरी ओर कृष/कृष्णा के रूप में आशिम का अभिनय खासा अच्छा नहीं है। कुछ हिस्सों में वो ओवरएक्टिंग करते नजर आए हैं। मुस्कुराने, नाचने और कम प्रभावशाली संवाद बोलने के अलावा कृष का किरदार आपको ध्वनि की भूमिका से तुलना करने पर प्रभावित नहीं करेगा। ध्वनि के बाद राकेश बेदी, सुप्रिया पिलगांवकर और राजेश शर्मा सहित सहायक कलाकार फिल्म का मुख्य आकर्षण हैं, जिन्होंने अपनी भूमिकाओं को बखूबी निभाया है और उनकी संवाद अदायगी निश्चित रूप से फिल्म के बाद आप पर प्रभाव छोड़ेगी। 

निर्देशन

सौरभ दासगुप्ता द्वारा निर्देशित 'कहां शुरू कहां खतम' पहले भाग में थोड़ी धीमी लग सकती है और आप मध्यांतर के जल्दी आने का भी इंतजार कर सकते हैं। हालांकि फिल्म की कहानी मध्यांतर से 10-15 मिनट पहले शुरू होती है और कथानक में बहुत जरूरी दिलचस्पी पैदा करती है। दूसरा भाग ऐसा है जहां आपको हर पल का मजा आएगा। सौरभ द्वारा पहले भाग के निर्देशन में कमी है, जिसके चलते दर्शकों को मुख्य और सहायक सितारों से थोड़ा ऊब महसूस सकती है। 

संगीत

फिल्म में ज्यादातर गाने जोशीले हैं, सिवाय एक के, जो एक रोमांटिक ट्रैक है। फिल्म में कई प्रतिष्ठित सदाबहार गानों के रीक्रिएटेड वर्जन भी हैं, जिनमें टाइटल ट्रैक 'कहां शुरू कहां खतम' शामिल है। एक और रीक्रिएटेड गाना 1958 की फिल्म 'चलती का नाम गाड़ी' का एक लड़की 'भीगी भागी सी' है।

कैसी है फिल्म

'कहां शुरू कहां खतम' अच्छी पारिवारिक मनोरंजक फिल्म है, जिसकी कहानी अच्छी है और अंत में एक सामाजिक संदेश भी है। फिल्म की एकमात्र समस्या इसका पहला भाग है, जो बेहतर हो सकता था और इसके मेल लीड के काम में भी सुधार की गुंजाइश है। संगीत के मामले में भी पुराने गानों का रीक्रिएटेड वर्जन ही आप पर कुछ प्रभाव छोड़ पाएगा। हालांकि मीरा के रूप में ध्वनि की भूमिका और दिग्गज अभिनेताओं का अभिनय फिल्म को देखने लायक बनाने में मदद करता है। पांच में से हम इसे 3 स्टार देते हैं।

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