- फिल्म रिव्यू: Hate Story 3
- स्टार रेटिंग: 1.5 / 5
- पर्दे पर: 4 DEC, 2015
- डायरेक्टर: विशाल पांडया
- शैली: रोमांटिक-थ्रिलर
बहुत ही कम ऐसी फिल्में होती हैं जिनके सीक्वल्स उतने ही सफल साबित हुए हों जितना की उस सीरीज की पहली फिल्म। विशाल पांडया के निर्देशन में बनी फिल्म ‘हेट स्टोरी’ धीमे-धीमे लोगों के बीच चर्चित हुई। न ही अपनी बोल्ड सीन्स की वजह से बल्कि अपने सच्ची कहानी के लिए भी इस फिल्म को समीक्षकों से तारीफें मिली।
बस इसके बाद तय हो गया कि इसकी सीरीज बनेगी और 2014 में आए इसके सीक्वल ने भी खूब सुर्खियां बटोरी। हालांकि उसकी कहानी कुछ खास नहीं थी, फिर भी सुरवीन और सुशांत की बेहतरीन अदाकारी और गीतों के बूते पर ये फिल्म चल पड़ी। लेकिन अब विशाल पांडया बस उस सफलता को भुनाने में लगे हैं और हेट स्टोरी 3 इसका बुरा उदाहरण हैं।
फिल्म की कहानी है आदित्य (शरमन जोशी) की जो एक सुखद जीवन जी रहा होता है। एक आलीशान फ्लैट के साथ-साथ उसके पास एक खूबसूरत पत्नी सिया (जरीन खान) भी है। लेकिन जल्द ही उसकी जिंदगी में उथल-पुथल तब पैदा होती है जब सौरव सिंघानिया (करण सिंह ग्रोवर) यहां पर एंट्री लेते है। उसकी एक ही डिमांड है। वो आदित्य को रुपयों में तौल देगा अगर वो अपनी पत्नी सिया को उसके साथ एक रात बिताने का मौका दे दे तो।
आदित्य सिरे से इस ऑफर को नकारता है, पर सौरव इतनी आसानी से उसका पीछा कहा छोड़ने वाला है। लेकिन आदित्य भी कुछ कम नहीं है और वो सौरव के हर कदम पर पैनी नजर रखे हुए है। इनके बीच में आती है एक हॉट डबल एजेंट (डेजी शाह) और साथ में आते हैं खूब सारे ट्विस्ट और टर्न्स जो जब गीतों, मेलोड्रामा और डायलॉगबाजी से भरे हुए हैं। लेकिन इसी बीच आदित्य को इस बात का भी एहसास होता है कि उसका हितैषी वो नहीं जिसको वो मान बैठा है। इसी के साथ सस्पेंस और गहराता है। ये सब जानने के लिए देखिए हेट स्टोरी 3।
विशाल पांडया की कहानी एक मेट्रोपोलिटन शहर की है लेकिन इसमें कोई दो राय नहीं कि इसे छोटे शहरों की सिंगल स्क्रीन थिएटर में आगे की रो में बैठने वाले दर्शकों के लिए ही बनाया गया है। लॉजिक्स से दूर, ये फिल्म कोशिश करती है कि जिस बोल्डनेस का बुखार दर्शकों पर चढ़ा है उसी को ही उनके सामने पेश किया जाए।
अब बोल्ड सीन की बात करें, तो वो फिल्म में किसी समय के मोहताज नहीं हैं। विशाल पांडया ने जब चाहा है तब उन्हें फिल्म में फिट किया है ताकी बोर हो रही ऑडियन्स के चेहरों पर चमक आए। सीन्स हों या हॉट गाने, ये फिल्म की नरेशन को और कमजोर करते हैं।
फिल्म का पहला हॉफ जितना धीमा है, दूसरा हॉफ उतना ही गड़बड़ियों से भरा है। पुराने घिसे-पिटे डायलॉग्स मजा और किरकिरा करने में कोई कसर नहीं छोड़ते।
अदाकारी की बात जितनी कम करे उतनी ही बेहतर। इसमें कोई दो राय नहीं है कि शरमन जोशी एक गिफ्टेड एक्टर हैं, लेकिन फिल्म में वो किसी भी लिहाज से फिट नहीं बैठते। जरीन खान के साथ उनकी केमेस्ट्री भी फीकी दिखती है और फिल्म का वीक प्वाइंट साबित होती है।
करण सिंह ग्रोवर अपनी फिटनेस के प्रदर्शन के साथ-साथ अगर थोड़ी इंटेन्सिटी भी दिखा पाते, तो बेहतर होता।
कुल मिलाकर फिल्म बोल्डनेस के नाम पर आपको धोखा देती हैं। हेट स्टोरी 3 एक बेहतर उदाहरण हैं ये बताने के लिए कि एक अच्छी पटकथा की जगह कामुक सामग्री कभी नहीं ले सकती।