- फिल्म रिव्यू: बैंक चोर
- स्टार रेटिंग: 2 / 5
- पर्दे पर: 16 जून 2017
- डायरेक्टर: बम्पी
- शैली: थ्रिलर-कॉमेडी
रितेश देशमुख और विवेक ओबरॉय ने अपनी फिल्म 'बैंक चोर' के प्रचार में काफी क्रिएटिविटी दिखाई। कभी सुपरहिट फिल्मों का पोस्टर चुराकर तो कभी चोरी का नाटक करके, दोनों ने इस फिल्म को प्रमोट करने में कोई कसर नहीं छोड़ी। लेकिन फिल्म उतनी बेहतर नहीं बन पाई जितनी इसे उम्मीद थी।
फिल्म में तीन मासूम, भोले और नौसिखिये चोर चंपक, गेंदा और गुलाब एक बैंक में चोरी करने घुसते हैं। तीनों खूब बेवकूफियां भी करते हैं लेकिन बैंक में मौजूद कस्मटर्स और एम्प्लॉई को बंदी बना लेते हैं। थोड़ी ही देर में बाहर पुलिसवाले, सीबीआई और मीडिया का जमावड़ा लग जाता है। आधी फिल्म देखने के बाद पता चलता है कि जिस बैंक चोर के पीछे सीबीआई लगी है वो चंपक और उसके दोस्त नहीं बल्कि कोई और ही है। अब ये तीनों आम आदमी और अच्छे इंसान की तरह बैंक में मौजूद लोगों को नकली चोर से बचाते हैं, इस काम में उसकी मदद करती है, न्यूज रिपोर्टर गायत्री उर्फ गागा। हालांकि क्लाइमेक्स में एक बार फिर से फिल्म की कहानी बदलती है जो हम आपको यहां नहीं बताएंगे, आप फिल्म देखकर ही उसे जानिएगा।
फिल्म में सबसे अच्छा जो लगा है वो दिल्ली और मुंबई वालों की लड़ाई है। फिल्म में चंपक यानी रितेश देशमुख मुंबई के एक मराठी मानुष बने हैं। वहीं गेंदा और गुलाब जिनका रोल भुवन अरोरा और विक्रम थापा ने किया है वो दिल्ली-एनसीआर के होते हैं। दोनों पूरी फिल्म में जिस तरह मुंबई-दिल्ली को लेकर लड़ते हैं वो देखने में मनोरंजक लगता है। फिल्म के डायलॉग्स अच्छे हैं। रैपर बाबा सहगल ने फिल्म में कैमियो किया है, उनको देखना मजेदार रहा है।
रितेश देशमुख और विवेक ओबरॉय को हमने पहले भी कई बार कॉमेडी फिल्मों में साथ काम करते देखा है। मस्ती और ग्रैंड मस्ती जैसी एडल्ट कॉमेडी फिल्मों में दोनों नजर आ चुके हैं। इस फिल्म में फिर से दोनों की जबरदस्त जोड़ी देखने को मिल रही है।
एक्टिंग की बात करें तो रितेश देशमुख ने अच्छी एक्टिंग की है। सीबीआई ऑफिसर के रोल में विवेक ओबरॉय फिट लगे हैं। भुवन अरोरा और विक्रम थापा ने भी अच्छा अभिनय किया है। हालांकि रिया चक्रवर्ती जो रिपोर्टर गायत्री के रोल में हैं उन्हें अभी एक्टिंग में और मेहनत की करने की जरूरत है। असली चोर की भूमिका में साहिल वैद ने भी अच्छा काम किया है।
फिल्म में म्यूजिक भी कुछ खास नहीं है, बैकग्राउंड स्कोर भी फिल्म की भागमभाग के बीच पता नहीं चले हैं।
देखें या नहीं- फिल्म की कहानी में कोई नयापन नहीं है। फिल्म का क्लाइमेक्स थोड़ा सस्पेंस से भरा है। अगर आप रितेश और विवेक के फैन हैं तो यह फिल्म देख सकते हैं। इस फिल्म को मेरी तरफ से 2 स्टार।