
- फिल्म रिव्यू: छावा
- स्टार रेटिंग: 3.5 / 5
- पर्दे पर: 14.02.2025
- डायरेक्टर: लक्ष्मण उतेकर
- शैली: ऐतिहासिक ड्रामा
'छावा' छत्रपति संभाजी महाराज की अनसुनी कहानी है। फिल्म में संभाजी के किरदार को विक्की कौशल ने निभाया है। वीर मराठा योद्धा के साहस, संघर्ष और विरासत को दर्शाने में ये फिल्म पूरी तरह कामयाब हुई है। फिल्म में विक्की कौशल को महारानी येसुबाई के रूप में रश्मिका मंदाना का साथ मिला है। खतरनाक औरंगजेब के रूप में अक्षय खन्ना कहानी को और बल दे रहे हैं। खतरनाक एक्शन, भावनात्मकता और ऐतिहासिक भव्यता का मिश्रण ये कहानी पेश कर रही है। तेज भागती ये कहानी शुरू से अंत तक बांधे रखती है। वीरता और बलिदान के साथ-साथ विश्वासघात के दर्द और स्वतंत्रता की निरंतर खोज के बारे में विस्तार से जानने के लिए पढ़ें पूरा रिव्यू।
कैसी है कहानी
कहानी जनवरी 1681 के दौर से शुरू होती है, जहां मुगल बादशाह औरंगजेब को मराठा राजा छत्रपति शिवाजी महाराज के निधन की खबर मिलती है। ये खबर मिलते ही औरंगजेब राहत की सांस लेता है। औरंगजेब को लगता है कि अब वो आराम से डेकन के मराठा साम्राज्य पर कब्जा कर लेगा। इस दौरान औरंगजेब को छत्रपति संभाजी महाराज उर्फ छावा की शक्ति का अहसास नहीं होता। इसी बीच छावा बुरहानपुर पर हमला करते हैं और मुग़लों को हरा देते हैं। उस दौर में बुरहानपुर, मुगलों का सबसे कीमती शहर था। इस जीत का जश्न मनाते हुए छावा, औरंगजेब को डेकन पर अपनी शैतानी नजर न डालने की चेतावनी देते हैं।
इस हार के बाद औरंगजेब तिलमिला उठता है और गुस्से में मराठा साम्राज्य को खत्म कर मुग़ल साम्राज्य स्थापित करने की कसम खाता है। वो छत्रपति संभाजी महाराज को पकड़ने का भी प्रण लेता है। दूसरी ओर छत्रपति संभाजी महाराज भी औरंगजेब की विशाल सेना से निपटने और उसे हराने के लिए अपनी सेना के साथ रणनीति बनाते हैं। इसी के साथ कहानी में कई दिलचस्प मोड़ आते हैं। फिल्म में येसुबाई के साथ छावा की बॉन्ड और इमोशनल पल भी दिखाए गए हैं।
निर्देशन और तकनीकी पक्ष
'मिमी', 'लुका छुपी' और 'जरा हटके जरा बचके' जैसी फिल्मों का निर्देशन करने के लिए निर्देशक लक्ष्मण उतेकर जाने जाते हैं। हल्की फुल्की कॉमेडी के साथ सामाजिक मुद्दे उठाने वाले लक्ष्मण उतेकर ने इस बार बिल्कुल ही अलग जॉनर चुना। फिक्शन को पीछे छोड़ते हुए उन्होंने ऐतिहासिक कहानी को तवज्जो दी। इस असल कहानी को दिखाने में उन्हें फुल मार्क्स मिलते हैं। एक महान राजा की कहानी कहने के लिए निर्देशक तारीफ के हक़दार हैं। बहादुरी और वीरता जैसे इमोशंस को दिखाने में उन्होंने कोई कसर नहीं छोड़ी है। निर्देशक के विज़न की बदौलत ही पहले ही फ्रेम से दर्शक कहानी से जुड़ेंगे। कई धमाकेदार क्षणों के साथ फिल्म को गतिशील, आकर्षक और मनोरंजक बनाया गया है। सिनेमेटोग्राफी की तारीफ भी लाज़मी है। ए.आर रहमान का संगीत फिल्म में आने वाले हर मोड़ पर सटीक बैठता है और गाने कहानी को संतुलित रखते हैं। एक ही कमी है और वो है कुछ ऐसे कट की जिसकी आप उम्मीद नहीं करेंगे। ये जम्प कट बीच-बीच में डिसकनेक्ट करते हैं, जिससे कहानी का फ्लो ख़राब होता है, लेकिन इसका मतलब ये हरगिज़ नहीं कि फिल्म बोझिल करती है।
अभिनय
ये कहने में कोई दो राय नहीं कि विक्की कौशल हर बीतती फिल्म के साथ अपने अभिनय कौशल को और निखार रहे हैं। इस फिल्म में विक्की कौशल ने अपने अव्वल दर्ज़े के अभिनय से छत्रपति संभाजी महाराज को जीवंत किया है। अपने प्रभावशाली संवादों से लेकर छोटी-छोटी बारीकियों तक, उन्होंने अभिनय के हर क्षेत्र में छाप छोड़ी है। ये विक्की कौशल के करियर की सबसे बेहतरीन परफॉरमेंस में गिनी जा सकती है। येसुबाई के रूप में रश्मिका खूबसूरत लगी हैं। फिल्म में उनकी मौजूदगी हलके हवा के झोके की तरह है। क्रूर औरंगजेब के रूप में अक्षय खन्ना बेहद शानदार हैं। अक्षय खन्ना ने इस किरदार में जान फूंक दी है। शायद ही उनसे बेहतर इस किरदार में कोई और लगता। आशुतोष राणा, दिव्या दत्ता, विनीत कुमार सिंह और डायना पेंटी भी स्पोर्टिंग रोल में परफेक्ट सिलेक्शन रहे हैं। इस फिल्म के एक्टर्स को एक्स्ट्रा ब्राउनी पॉइंट्स देना बनता है।
कैसी है फिल्म
'छावा' एक शानदार फिल्म है, इसकी भव्यता को समझने के लिए इसे सिनेमाघरों में जरूर देख सकते हैं। फिल्म के में हुई हल्की फुल्की चूक को नज़रअंदाज़ किया जा सकता है। विक्की कौशल के फैंस लिए ये फिल्म ट्रीट साबित होगी। इस फिल्म को हम 3.5 स्टार्स दे रहे हैं।