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भूत पार्ट वन: द हॉन्टेड शिप मूवी रिव्यू: फिल्म में भूत है लेकिन आत्मा मिसिंग है

जानिए कैसी है विक्की कौशल की हॉरर फिल्म 'भूत पार्ट वन: द हॉन्टेड शिप'?

Jyoti Jaiswal
Updated : February 21, 2020 11:53 IST
bhoot part one: the haunted ship

भूत पार्ट वन:  द हॉन्टेड शिप

  • फिल्म रिव्यू: भूत पार्ट वन: द हॉन्टेड शिप
  • स्टार रेटिंग: 2.5 / 5
  • पर्दे पर: FEB 21, 2020
  • डायरेक्टर: भानु प्रताप सिंह
  • शैली: हॉरर

भूत है, डॉल है, लव स्टोरी है हेट स्टोरी भी है और डरावना म्यूज़िक है... बॉलीवुड में भूत पर फ़िल्म बनाने के लिए और क्या चाहिए। साल की शुरुआत ‘घोस्ट स्टोरीज़’से करने के बाद करण जौहर धर्मा प्रोडक्शन की हॉरर मूवी 'भूत पार्ट वन: द हॉन्टेड शिप' लेकर आए हैं। इस फ़िल्म के प्रमोशन में दावा किया गया था कि ये दूसरी बॉलीवुड की हॉरर फ़िल्मों से अलग होगी, वैसे भी बॉलीवुड में हॉरर जॉनर में कुछ ख़ास अच्छी फ़िल्में बनी नहीं हैं। तो क्या फ़िल्म अपने दावों पर खरी उतरती है, चलिए पता करते हैं...

ये कहानी है शिपिंग ऑफ़िसर पृथ्वी (विक्की कौशल) की जिसकी वाइफ (भूमि पेडनेकर) और बेटी एक वॉटर ऐक्सीडेंट में डूबकर मर चुके हैं, इस घटना को कई साल बीत गए हैं लेकिन वो मूव ऑन नहीं कर पाया है। एक हॉन्टेड शिप जिसका नाम सी बर्ड है वो मुंबई में एक बीच पर आकर रुक जाता है, उसे वहां से हटाने की ज़िम्मेदारी मिलती है पृथ्वी और उसके साथी अफ़सर रियाज़ (आकाश धर) को जो कि पृथ्वी का अच्छा दोस्त भी है।

पृथ्वी जब जाँच पड़ताल करने शिप के अंदर जाता है तो उसके साथ कई अनहोनी घटनाएं घटती हैं और उसे एहसास होता है कि वहां उसके अलावा भी कोई है। लेकिन वो उन घटनाओं के तह तक जाना चाहता है, इसमें उसका साथ देते हैं प्रोफ़ेसर जोशी( आशुतोष राणा) और उसका दोस्त रियाज़। आशुतोष को देखकर ऐसा लगता है वो पहली वाली राज़ मूवी से उठकर सीधा यहाँ आ गए हैं, उनके किरदार में कोई नयापन नहीं है ना कोई मज़बूत स्टोरी उनके साथ जुड़ी है, सिर्फ़ भूत के सामने मंत्र पढ़ने के अलावा उनका कोई खास काम नहीं है। रियाज़ (आकाश धर) को अच्छा ख़ासा स्क्रीन स्पेस मिला है जो क्यों मिला है समझ नहीं आता क्योंकि उनके पास भी करने को कुछ नहीं है। फ़िल्म की पूरी कमान विक्की कौशल के कंधों पर हैं। अपने बेहतरीन अभिनय से वो दर्शकों को बाँधे रहने में कामयाब भी होते हैं लेकिन बार बार रिपीट होते सीन और कमज़ोर पटकथा की वजह से उनका शानदार अभिनय भी फ़िल्म को नहीं बचा पाता है। भूमि पेडनेकर छोटे से रोल में भी याद रह जाती हैं। 

फ़िल्म का निर्देशन किया है भानु प्रताप सिंह ने, यश उनकी पहली फ़िल्म है। भानु ने पहले सीन से ही डर का माहौल बनाए रखने की कोशिश की है, वो इसमें कामयाब भी होते हैं, फ़र्स्ट हाफ़ में कई ऐसे सीन हैं जो आपको डरा सकते हैं और आपको लगता है शायद इस बार बॉलीवुड से एक बढ़िया हॉरर मूवी मिलने वाली है, लेकिन इंटरवल आते आते आपको समझ आ जाता है कि नहीं ये फ़िल्म भी वो फ़िल्म नहीं है। इंटरवल के बाद से फ़िल्म डूबने लगती है। फ़र्स्ट हाफ़ में कई राज़ होते हैं जिनका खुलने का हमें इंतज़ार रहता है, सेकंड हाफ में जब वो राज़ खुलते हैं तो निराशा हाथ लगती है। फ़िल्म का क्लाइमैक्स भी कमज़ोर है। 

फ़िल्म के ग्राफ़िक्स और मेकअप अच्छे हैं। बैक ग्राउंड स्कोर कुछ जगह अच्छे हैं लेकिन कहीं कहीं लाउड हो गए हैं। म्यूज़िक की वजह से हमें पता चल जाता है कि कुछ गड़बड़ होने वाली है इसलिए कई सीन कम चौंका पाते हैं। एडिटिंग भी औसत है, सिनेमेटोग्राफ़ी ज़रूर बढ़िया है।

फ़िल्म में एक ही गाना है जो रोमेंटिक है और फ़िल्म की शुरुआत में आता है। गाना बहुत प्यारा है, और कहानी को आगे बढ़ाता है।

देखें या नहीं?

अगर आप हॉरर फ़िल्में पसंद करते हैं तो ये फ़िल्म देख सकते हैं, इंडिया टीवी इस फ़िल्म को 5 में से 2.5 स्टार देता है।

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