- फिल्म रिव्यू: भेड़िया
- स्टार रेटिंग: 3 / 5
- पर्दे पर: November 25, 2022
- डायरेक्टर: अमर कौशिक
- शैली: हॉरर कॉमेडी
Bhediya Review: बॉलीवुड एक्टर Varun Dhawan और Kriti Sanon स्टारर फिल्म 'Bhediya' आज सिनेमाघरों में रिलीज हो चुकी है। बीते कई दिनों से फिल्म की स्टार कास्ट इसका जबरदस्त प्रमोशन कर रही है। फिल्म के प्रमोशन के लिए वरुण और कृति ने स्टेज से लेकर सिनेमाहॉल की छत तक पर डांस किया है। लेकिन दर्शकों को सिनेमाघर तक खींचने के लिए फिल्म के प्रमोशन में की गई मेहनत उस वक्त फेल हो जाती है जहां फिल्म की स्क्रिप्ट फीकी हो। अगर आप भी हॉरर और कॉमेडी के मिक्सचर से बनी 'Bhediya' को देखने का प्लान बना रहे हैं तो इससे पहले जान लें इसका रिव्यू।
कहानी
फिल्म की कहानी 'प्रकृति और प्रगति' की है, जिसे देखने के बाद आपको फैसला करना होगा की प्रगति के लिए प्रकृति को हो रहे नुकसान को आप भी कैसे बचा सकते हैं। फिल्म में एक डायलॉग है, 'प्रकृति है तो प्रगति है' जो आजकल की सिचुएशन पर बिल्कुल फिट बैठता है। फिल्म में यही दिखाया गया है कि कैसे प्रगति के नाम पर बिना सोचे समझे प्रकृति का दोहन हो रहा है। कहानी की मूल पृष्ठभूमि अरुणाचल प्रदेश के जंगल की है। फिल्म की शुरुआत होती है एक्टर शरद केलकर से जो कि अपने बच्चे को जंगल में एक कहानी सुना रहे होते हैं और अचानक भेड़िये का शिकार बन जाते हैं। वहीं दूसरी तरफ दिल्ली के रहने वाला भास्कर (वरुण धवन) जल्द अमीर बनने की चाह में बग्गा (सौरभ शुक्ला) के लिए काम कर रहा होता है। भास्कर अपने चचेरे भाई जनार्दन (अभिषेक बनर्जी) के साथ एक घर में रहता है। भास्कर और जनार्दन के बीच की बातें सुनकर आप अपनी हंसी नहीं रोक पाएंगे।
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भास्कर को बग्गा एक सड़क बनाने का कॉन्ट्रेक्ट देता है जो कि अरुणाचल प्रदेश के जंगलों के बीच से बननी है। जल्द अमीर होने और दिल्ली में जमुनापार से ग्रेटर कैलाश तक पहुंचने की चाह रखने वाला भास्कर इस प्रोजेक्ट को करने की हामी भरता है और अपने चचेरे भाई जनार्दन को लेकर पहुंच जाता है अरुणाचल प्रदेश जहां होती है जोमिन (पॉलिन कबाक) और पांडा (दीपक डोबरियाल) की एंट्री और सभी साथ में मिलकर काम करने की शुरुआत करते हैं। इस बीच फिल्म में भास्कर और उनके पिता के बीच हो रही वीडियो कॉल की बातचीत आपके चेहरे पर हंसी ला देगी। भास्कर जिस सड़क को बनाने के लिए यहां आया है उसके लिए उसे गांव वालों को मनाना होता है लेकिन लोग उसकी सुनने को तैयार नहीं होते। इस बीच होटल वापस लौटने के दौरान भास्कर पर भेड़िया हमला कर देता है। यहीं से शुरू होती है असली कहानी, जिसमें हमले के बाद जोमिन और जनार्दन, भास्कर को लेकर जानवरों की डॉक्टर अनिका (कृति सेनन) के पास पहुंचते हैं।
भेड़िये के हमले के बाद भास्कर में बदलाव आने शुरू हो जाते हैं और पूनम की रात में भास्कर 'भेड़िया' बन जाता है जो कि सुबह होते ही वो भूल भी जाता है। फिल्म इंटरवल से पहले बहुत धीमी है। लेकिन बाद में आपको जनार्दन-भास्कर-जोमिन की जोड़ी की केमिस्ट्री अच्छी लगने लगेगी। इसके साथ ही अभिषेक बनर्जी और दीपक डोबरियाल के डायलॉग पर हंसी भी आती है। फिल्म में आपको अचानक सीरियस जगह पर हिमेश रेशमिया का गाने सुनने को मिल जाएगा तो वहीं गुलजार का गाना 'चड्ढी पहनाकर फूल खिला' भी सुनाई देगा। जिसे देखकर आपके चेहरे पर मुस्कान आ जाएगी। फिल्म में कृति सेनन का किरदार वरुण के आगे फीका लगा। भास्कर की सोच है कि पैसे से सब कुछ खरीदा जा सकता है अब कैसे उसकी सोच बदलेगी? क्या भास्कर कभी नॉर्मल इंसान बन पाएगा? अनिका का क्या होगा? ये तो आपको फिल्म देखने के बाद ही पता चलेगा। 'स्त्री' से फिल्म का कनेक्शन बनाने की भी कोशिश की गई है जिसे देखकर लगता है कि इसका भी अगला पार्ट आ सकता है।
डायलॉग
फिल्म में कुछ डायलॉग जैसे- 'लोगों को नेचर नहीं नेटफ्लिक्स चाहिए', 'जंगल में टाइगर नहीं टाइगर श्रॉफ चाहिए' ये आपको हंसाएंगे भी और सोचने पर भी मजबूर कर देंगे कि हम प्रकृति के साथ शायद सच में खिलवाड़ कर रहे हैं।
डायरेक्शन
निर्देशक अमर कौशिक ने अच्छा काम किया है और फिल्म का विषय भी अच्छा उठाया है। पर्यावरण की बात जो फिल्म में दिखाई गई है उस पर काम करने की जरूरत है। फिल्म में जो सबसे कमजोर रहा वो है इसका संगीत। सचिन जिगर का संगीत कुछ खास कमाल नहीं दिखा रहा। बैकग्राउंड स्कोर में मेहनत की गई है लेकिन फिल्म के गाने एवरेज हैं। फिल्म का एक स्टार सिर्फ इसका वीएफएक्स अपने नाम कर सकता है, जो कि कमाल का है।
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