Tuesday, December 24, 2024
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Bala Movie Review: दूसरों की नहीं, बल्कि खुद की सोच बदलने को मजबूर करती है आयुष्मान खुराना की फिल्म 'बाला'

'बाला' की कहानी, ऐसे कॉन्सेप्ट के इर्द-गिर्द बुनी गई है, जो आपको हंसने पर मजबूर भी करेगी और खुद से प्यार करना भी सिखाएगी।

Sonam Kanojia
Updated : November 12, 2019 19:12 IST
Ayushmann Khurrana film Bala Movie Review
Photo: TWITTER

आयुष्मान खुराना, भूमि पेडनेकर और यामी गौतम की बाला का मूवी रिव्यू

  • फिल्म रिव्यू: बाला
  • स्टार रेटिंग: 4 / 5
  • पर्दे पर: Nov, 8, 2019
  • डायरेक्टर: अमर कौशिक
  • शैली: ड्रामा/कॉमेडी

आपने अक्सर ऐसी फिल्में देखी होंगी, जिसमें शुरुआत में किसी हीरो या हिरोइन की धमाकेदार एंट्री होती है या फिर उनका शानदार इंट्रोडक्शन दिया जाता है, लेकिन आयुष्मान खुराना, भूमि पेडनेकर और यामी गौतम की 'बाला' इन मूवीज़ से ज़रा हटके है। ऐसा इसलिए क्योंकि फिल्म की शुरुआत में सबसे पहले परिचय कराया जाता है बालों का। घने, सुनहरे और काले बाल, आपकी जिंदगी में कितना अहमियत रखते हैं, इसका अंदाज़ा आपको 'बाला' मूवी देखकर पता चलेगा, लेकिन आपको ये भी पता चलेगा कि आप काले, मोटे या नाटे.. कैसे भी हों... ये ना तो आपकी कमियां हैं और ना ही कमज़ोरियां। इसी कॉन्सेप्ट के इर्द-गिर्द बुनी गई है 'बाला' की कहानी, जो आपको हंसने पर मजबूर भी करेगी और खुद से प्यार करना भी सिखाएगी।

कहानी

'बाला' की कहानी शुरू होती है, बाल मुकुंद शुक्ला यानि बाला (आयुष्मान खुराना) की स्कूल लाइफ से, जो अपने लहराते बालों और लुक्स पर फख्र करता है। शाहरुख खान का बहुत बड़ा फैन है और लतिका (भूमि पेडनेकर) को उसके काले रंग की वजह से पसंद नहीं करता। लतिका के मन में बाला को लेकर सॉफ्ट कॉर्नर होता है, लेकिन दोनों में लड़ाई के अलावा कोई बात नहीं होती। दोनों का यही रवैया जवान होने तक भी रहता है। बाला फेयरनेस क्रीम की कंपनी में काम करता है और लतिका वकील बन जाती है, लेकिन बड़े होने पर बाला की ज़िंदगी में बहुत बड़ा बदलाव आता है और वो है दिन-ब-दिन बालों का झड़ना। बाला दिन-रात बस बालों को लेकर परेशान रहता है। हर तरह के नुस्खे अपनाता है। बाल झड़ने की वजह से उसका कॉन्फिडेंस भी गिरने लगता है। फिर उसके पापा (सौरभ शुक्ला) उसे विग लाकर देते हैं, जिसे पहनकर उसकी ज़िंदगी में फिर से बहार आ जाती है। 

बाला और परी (यामी गौतम) के बीच काम के सिलसिले को लेकर मुलाकात होती है। दोनों एक-दूसरे से प्यार करने लगते हैं। उनकी शादी भी हो जाती है। अब आप सोच रहे होंगे कि शादी के बाद परी को बाला के गंजेपन का पता चल गया होगा और वो उसे छोड़कर चली गई होगी। जी हां, आप सही सोच रहे हैं, फिल्म में बिल्कुल ऐसा ही हुआ। परी के जाने के बाद बाला को लतिका के प्रति फीलिंग्स महसूस हुई और उसने उसे प्रपोज कर दिया और लतिका ने प्रपोजल एक्सेप्ट कर लिया.. और एक काली लड़की की गंजे लड़के से शादी हो गई... अब अगर आप सोच रहे हैं कि कहानी में ऐसा कुछ हुआ होगा, तो आपको बता दूं कि आयुष्मान खुराना की फिल्मों की यही खासियत है, जो आप सोचते हैं, वैसा बिल्कुल भी नहीं होता। मूवी का क्लाइमेक्स आपको ताली बजाने पर मजबूर कर देगा और क्लाइमेक्स जानने के लिए आपको सिनेमाघर जाना पड़ेगा। 

डायरेक्शन

'बाला' को अमर कौशिक ने डायरेक्ट किया है, जबकि दिनेश विजान इसके प्रोड्यूसर हैं। 'स्त्री' जैसी शानदार फिल्म को डायरेक्ट करने के बाद अमर कौशिक ने एक बार फिर अपने टैलेंट का लोहा मनवाया है। इस फिल्म में बाला का परिवार कानपुर में रहता है और परी लखनऊ की रहने वाली है। जिस तरीके से कैरेक्टर्स में कानपुर और लखनऊ के रहन-सहन, बोलने का तरीका, मिडिल क्लास फैमिली और सोसाइटी की सोच को दिखाया गया है, वो काबिले तारीफ है। छोटी-छोटी बारीकियों का बखूबी ध्यान रखा गया है। लीड एक्टर्स के अलावा सपोर्टिंग रोल निभाने वाले किरदार स्क्रीन पर अच्छे से उभर कर आए हैं। अगर ये कहा जाए कि अमर कौशिक ने एक्टर्स के अंदर से कैरेक्टर्स को बाहर निकाल दिया है तो ये कहना गलत नहीं होगा। 

एक और खास बात ये है कि फिल्म में गंजे लड़के और काली लड़की की ज़िंदगी की कहानी को अलग-अलग दिखाकर भी बेहद सहजता से कनेक्ट किया है। 

एक्टिंग

एक्टिंग के मामले में आयुष्मान खुराना, भूमि पेडनेकर, यामी गौतम, सौरभ शुक्ला, सीमा पाहवा और जावेद जाफरी से लेकर उनके छोटे भाई का किरदार निभाने वाले धीरेंद्र कुमार गौतम भी छा गए हैं। इन सभी एक्टर्स की एक्टिंग, इस फिल्म की जान है। आयुष्मान ने गंजेपन से परेशान लड़के और उसकी शर्मिंदगी को पर्दे पर बखूबी उकेरा है। भूमि ने भी अपनी एक्टिंग में कोई कमी नहीं छोड़ी। आयुष्मान को पहली बार गंजा देख यामी ने जो रिएक्शन दिया, वो अल्टीमेट है। पिता के रूप में सौरभ शुक्ला खूब जमे। लतिका की मौसी बनी सीमा पाहवा के वन लाइनर कमाल के हैं। धीरेंद्र कुमार गौतम ने अपने पंच की बेहतरीन डिलीवरी से दिल जीत लिया। जावेद जाफरी भी ठीक लगे।

डायलॉग्स

'हेयर लॉस नहीं, आईडेंटिटी भी लॉस हो रहा है हमारा..', 'हम तो एकता कपूर का सीरियल हैं, जो बस चलता ही रहेगा...' फिल्म का एक-एक डायलॉग आपको हंसने पर मजबूर कर देगा। कानपुर की लोकल लैंग्वेज और उस पर मज़ाकिया टच, ये कॉम्बिनेशन आपको कुर्सी से हिलने तक नहीं देगा। पूरी फिल्म में हर एक कैरेक्टर के मुंह से निकले डायलॉग्स को आप मिस नहीं कर सकते। 

म्यूजिक

वैसे तो फिल्म की कहानी इतनी इंट्रेस्टिंग है कि गानों की जरूरत ही नहीं है, लेकिन समय-समय पर जितने भी गाने बजे, वो सभी अच्छे हैं। जुबीन नौटियाल और असीस कौर की आवाज में 'प्यार तो था' ट्रैक काफी पीसफुल है। 'टकीला' और 'डॉन्ट बी शाए' सॉन्ग भी शानदार हैं।

फिल्म की कमियां

'बाला' एक ऐसी फिल्म है, जो कम बजट में दर्शकों को बेहतरीन कंटेट दे रही है। बहुत ढूंढने के बाद एक-दो कमी ही समझ में आई कि फिल्म का फर्स्ट हाफ बीच-बीच में हल्का-सा स्लो है, जबकि सेकंड हाफ में इसकी भरपाई कर दी गई है। दूसरा, अगर आप फैमिली के साथ मूवी देखने गए हैं तो फिल्म में कुछ ऐसे शब्दों का इस्तेमाल किया गया है, जो आपको थोड़ा अनकंफर्टेबल फील करा सकते हैं।  

क्यों देखें फिल्म

- बेहतरीन स्क्रिप्ट

- शानदार एक्टिंग
- हंसाने वाले डायलॉग्स
- खूबसूरत क्लाइमैक्स
और
- दूसरों की नहीं, बल्कि खुद की सोच बदलने का मौका

यहां देखें फिल्म का ट्रेलर:

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