- फिल्म रिव्यू: Badlapur movie review
- स्टार रेटिंग: 3 / 5
- पर्दे पर: 20 FEB, 2015
- डायरेक्टर: श्रीराम राघवन
- शैली: एक्शन
बदलापुर की कहानी-
पुणे की एक कंपनी में काम कर रहे रघु (वरुण धवन) की पत्नी (यामी गौतम) और बेटे की हत्या एक बैंक रॉबरी के दौरान हो जाती है। इस लूट में शामिल दो लोंगों में से एक है लईक़ (नवाजुद्दीन सिद्दीकी) जिसे फौरन गिरफ्तार कर लिया जाता है और उसे 20 साल की सजा हो जाती है। वही दूसरा शक्स (विनय पाठक) जिसे लईक़ पहचानने से इनकार कर देता है, वो लूट का सारा सामान लेकर भाग जाता है। दुख, गुस्से और बेबसी से भरा रघु एक छोटे शहर बदलापुर जाता है जहां उसके अंदर नफरत और बदले की भावना बढ़ती चली जाती है। बदले की आग में जल रहा रघु किस हद तक जाता है, बदलापुर आपके सामने पेश करती है।
क्या है फिल्म की सफलता के मंत्र-
डायरेक्टर श्रीराम राघवन फिल्म में हीरो और विलेन के बीच की लड़ाई को बहुत ही खूबी के साथ दर्शाते हैं। फिल्म शुरुआत से ही आपको बांध कर रखती है और कहानी की रवानी शायद ही कहीं अपनी पकड़ खोती है।
श्रीराम राघवन, पिछले साल इसी थीम पर बनी 'एक विलेन' की तरह सिर्फ हिंसा के लिए हिंसा का इस्तेमाल नहीं करते, बल्कि ये फिल्म खून खराबे से ज्यादा एक साइकोलॉजिकल थ्रिलर है। फ़िल्म में जहां हिंसा ससक्त रुप से दिखाई गई है वहीं मज़ाहिया सीन आपको कुछ राहत बी देते हैं। सबसे अच्छी बात ये है कि फिल्म हर मोड़ पर आपको चौकाती रहती है।
अभिनय के लिहाज़ से वरुण धवन, जो अब तक रोमैंटिक और कॉमेडी फिल्म्स के स्टार रहे हैं, इस कोल्ड, कैल्क्युलेटिव और कठोर प्रोटैगनिस्ट के रोल में मानो पूरी तरह घुस जाते हैं। वो इस तरह की इंटेन्सिटी दिखाते हैं जो उन्होंने इससे पहले कभी नहीं दिखाई। वहीं दूसरी ओर नवाजुद्दीन सिद्दीकी बहुत ही खूबी के साथ पागलपन और चालाकी के बीच शिफ्ट होते हुए फिल्म में अपनी छाप छोड़ते हैं।
बदलापुर ट्विस्ट्स और टर्न्स के ज़रिए आपको अपनी सीट्स से बांधे रखती है।