- फिल्म रिव्यू: BABY
- स्टार रेटिंग: 3.5 / 5
- पर्दे पर: 23 JAN, 2015
- डायरेक्टर: नीरज पांडे
- शैली: एक्शन
क्या है कहानी -
पाकिस्तान की तरफ से हो रहे आतंकवाद हमलों को रोकने के लिए एक गुप्त टीम एटीएस (एंटी टेररिस्ट स्क्वायड) बनाया जाता है जिसको लीड करता है अजय (अक्षय कुमार)। अजय एक जांबाज़ सिपाही है और देश के लिए मर मिटने को हमेशा तैयार रहता है। इस टीम में उसके साथ है प्रिया सूर्यवंशी (तापसी पन्नु), जय सिंह राठौड़ (राना दग्गुबती) और ओम प्रकाश शुक्ला (अनुपम खेर)। आतंकी सुनामी को रोकने लिए एक के बाद एक तार जोड़े जाते हैं और इसी दौरान मुंबई की जेल से आतंकवादी बिलाल खान (के के मेनन) फ़रार हो जाता है। उसे पकड़ने के लिए एक टीम दुबई रवाना होती है। अब इस मिशन को ये टीम कैसे पूरा करती है, जानने के लिए देखिए बेबी।
क्या है सफलता के मूल मंत्र –
ए वेडनेस्डे, स्पेशल 26, जैसी फिल्मों के निर्देशक नीरज पांडे बेबी की खूबी है कि वो अपनी फ़िल्मों में तेज़ रफ्तार रखते हैं और इस फ़िल्म में भी इसे बरकरार रखा गया है जो आपको शुरूआत से लेकर अंत तक बांधे रखती है। नीरज पांडे की हिम्मत की भी दाद देनी होगी क्योकि कुछ ज़रूरी बातों को वो बड़े बेबाक अंदाज में पर्दे पर उतारते है। पाकिस्तान द्वारा भारतीय मुसलमानों को असुरक्षा के बारे में भ्रामक बातें करके जिहादी बनाने की ख़बरें आती रहती हैं और फिल्म में इस पर काफी जोर दिया गया है। एटीएस के हेड फ़ीरोज़ (डैनी) का आला अफसरों से ये संवाद कहीं न कहीं आपको छू जाता है कि “जब तक हमारे देश में आकर पाकिस्तानी इसी देश के लोगों को इस बात का यकीन दिलाते रहेंगे कि वो लोग इस देश के नहीं हैं और यहां पर सुरक्षित नहीं हैं तब तक हम इस देश को सुरक्षित नहीं कह सकते औऱ ना किसी और पर आरोप लगा सकते हैं।“
फिल्म में एक्शन रॉ है और खिलाड़ी कुमार की बाकी फिल्मों से बिल्कुल हटकर है। अक्षय अपने पुराने रंग में नज़र आते है और दुश्मनों पर ज़रा भी दया नहीं दिखाते है। एक चौकाने वाले सीन में तापसी पन्नु भी जमकर हाथ-पैर चलाती है और सामने वाले को धूल चंटाती है। ऐसी कई सारे सीन्स आपको इस फिल्म में देखने को मिलते है।
क्या फिल्म में है गलत-
फिल्म में कुछ ऐसे प्रकरण हैं जो शायद आपको बेतुके लग सकते हैं लेकिन अक्सर ऐसी फिल्मों में ये महत्वपूर्ण हो जाते हैं। फिल्म 2 घंटे 39 मिनट की है और नीरज ने दर्शकों को कुर्सी से बांधने का कोई मौका नहीं छोड़ा है इसके बावजूद कुछ सीन्स आपके सब्र का इम्तेहान लेते है। फिल्म का क्लाईमेक्स भी संदेहपूर्ण लग सकता है क्योंकि कई वारदाते बड़ी आसानी से हो जाती हैं जो वास्तव में काफी मुश्किल होती है।
आखिरी राय-
पिछले कुछ सालों में बनी फिल्मों मे बेबी सबसे बेहतरीन एक्शन फिल्म बनकर उभरती है और हिंदी सिनेमा को एक कदम आगे ले जाती है। एक बार तो ये फिल्म देखनी बनती है।