
- फिल्म रिव्यू: आजाद
- स्टार रेटिंग: 2.5 / 5
- पर्दे पर: 17/01/25
- डायरेक्टर: अभिषेक कपूर
- शैली: एडवेंचर रोमांटिक ड्रामा
'आजाद' से दो स्टारकिड्स डेब्यू कर रहे हैं। रवीना टंडन की बेटी राशा थडानी और अजय देवगन के भतीजे अमन देवगन अभिषेक कपूर के निर्देशन में बनी इस फिल्म से बॉलीवुड में अपनी शुरुआत कर रहे हैं। फिल्म में अजय देवगन के साथ डायना पेंटी, पीयूश मिश्रा और टीवी एक्टर मोहित मलिक भी अहम रोल निभा रहे हैं। अगर आप सोच रहे हैं कि इन सितारों द्वारा निभाए गए किसी एक किरदार का नाम ही 'आजाद' है तो आप गलत हैं। 'आजाद' फिल्म का असल हीरो है, जिसकी एंट्री से लेकर फिल्म में उसकी परफॉर्मेंस सभी पर भारी पड़ी है। 'आजाद' विक्रम ठाकुर (अजय देवगन द्वारा अभिनीत) का घोड़ा है। फिल्म की पूरी कहानी इसी के इर्द-गिर्द घूमती है। अजय देवगन से लेकर अमन देवगन तक इसी की खिदमत में लगे नजर आए हैं। अब सीधे मुद्दे पर आते हैं बताते हैं कि कहानी में कितना दम है।
क्या है कहानी
कहानी शुरू होती है बीहड़ के एक गांव के साथ, जहां गोविंद (अमन देवगन) नाम का एक अल्हड़ लड़का रहता है। आजादी से कई साल पहले के दौर में इस्टैब्लिश की गई कहानी है। अंग्रेज भारत में शासन कर रहे हैं और उन्होंने जमीदारों को गांव की कमान सौंप रखी है। ऐसे ही एक जमीदार (पीयूष मिश्रा) की बेटी है जानकी (राशा थडानी), जो बेहद हसीन है। पिता की चाहत है कि वो बेटी की शादी अंग्रेज कमिंग के बेटे से करे और इसके लिए वो अंग्रेजों की हर डिमांड को पूरा कर रहा है। गांव के गांव खाली करा कर उन पर अंग्रेजों के लिए कब्जा भी कर रहा है। लगान न दे पाने वाले इन गांव वासियों को अंग्रेजों के लिए बंधुआ बनाकर साउथ अफ्रीका भी भेजा जा रहा है। अंग्रेजों की मार झेल रहे लोगों के लिए कहानी में एक मसीहा भी है- बाघी विक्रम ठाकुर (अजय देवगन)।
कहानी में दो लव स्टोरी अलग-अलग टाइमलाइन में सेट की गई हैं। एक तरफ विक्रम ठाकुर का प्यार और दूसरी ओर गोविंद का। ह्यूमन लव स्टोरी के अलावा कहानी में एक और एंगल भी है, वो है विक्रम ठाकुर का घोड़े के लिए प्यार। घोड़े को बचाने से लेकर घोड़े की वफादारी कहानी में दिखाई गई है। कहानी में एक दुखद मोड़ तब आता है जब विक्रम ठाकुर की मौत हो जाती है। ये घटना गोविंद को बदल देती है। यहीं से जानकी के करीबा आने का जरिया मिलता है। अंत में कहानी एक दिलचस्प रेस के साथ खत्म होती है, जिसे जीत कर गोविंद न सिर्फ अपने गांव का हीरो बनता है बल्कि गांव वालों को लगान मुक्त भी करा देता है।
निर्देशन और स्क्रिप्टिंग की बारीकियां
अभिषेक कपूर ने फिल्म का निर्देशन और लेखन दोनों ही किया है। फिल्म को प्रस्तुत जरूर अच्छे से किया गया, लेकिन कहानी घिसीपिटी है। फिल्म में वही अमीर लड़की और गरीब लड़के की दास्तां हैं...अमीरों का जुल्म है और एक अन्याय करने वाला बाप है जो अपनी बेटी की मर्जी के खिलाफ शादी कर रहा है। दमदार एक्टिंग के बाद भी कहानी कई हिस्सों में बोझिल हो जाती है। फिल्म के कई हिस्से खिंच हुए हैं। कई इस्टैब्लिशिंग शॉट्स को भी काफी लंबा खींच दिया गया है। कहानी को और बांधते तो फिल्म की लेंथ को छोटा किया जा सकता था जो अभी 2 घंटे 27 मिनट है। निर्देशन की कुछ जगहों पर तारीफ बनती हैं, इमोशनल सीन्स काफी शानदार हैं।
आजाद मूवी में कलाकारों का काम
अमन देवगन की भले ही ये डेब्यू फिल्म है, लेकिन आत्मविश्वास से वो भरपूर नजर आए हैं। इसमें कोई शक नहीं की उनकी शुरुआत दमदार रही है। यह स्पष्ट है कि उन्होंने कड़ी मेहनत की है। घोड़े पर सवार होकर वो मामा अजय देवगन की छवि लग रहे हैं। होली के गाने में उनका डांस दिल जीतने वाला है। उनके मूव्ज कमाल के हैं। राशा थडानी ने अपनी आकर्षक स्क्रीन प्रेजेंस से ध्यान आकर्षित किया है। बाकी फीमेल स्टारकिड्स की तुलना में वो काफी बेहतर नजर आई हैं। अभी से ही उनमें अपार संभावनाएं दिखाई दे रही हैं। फिलहाल फिल्म में उनका स्क्रीन टाइम काफी सीमित है। कमजोर पहलू बस एक ही है कि उनके और अमन देवगन के बीच रोमांटिक केमिस्ट्री ठीक ढंग से स्टैब्लिश नहीं हो पा रही है। वैसे दोनों ही युवा कलाकारों ने बीहड़ की भाषा को सही से पकड़ा है और संबल वाला स्लैग उनके डायलॉग्स में दिख रहा है।
अजय देवगन फिल्म की जान हैं। उनकी इस फिल्म को देखकर आपको 'दिलजले' की याद जरूर आएगी। विक्रम ठाकुर के रोल में वो जम रहे हैं। उनकी मौत फिल्म का सबसे टर्निग और इमोशनल प्वाइंट हैं। घोड़े के साथ उनकी केमिस्ट्री मक्खन की तरह है। डायना पेंटी ने ईमानदारी से काम किया है, लेकिन उनके किरदार में दम नहीं है। मोहित मलिक ने अपनी पहली भूमिका में अच्छा काम किया है। वो जैसे टीवी के हीरों हैं वैसे ही इस फिल्म में भी वो विलेन बनकर भी चमक रहे हैं। पीयूष मिश्रा ठीक-ठाक हैं। उनका किरदार प्रभावी नहीं है। संदीप शिखर, जिया अमीन, नताशा रस्तोगी, एंड्रयू क्राउच (जेम्स कमिंग्स), डायलन जोन्स (लॉर्ड कमिंग्स), राकेश शर्मा (जमाल), अक्षय आनंद (बीरू) और नीरज कडेला (म्यूट प्रीस्ट) अच्छे हैं।
आजाद मूवी का संगीत और अन्य तकनीकी पहलू
अमित त्रिवेदी का संगीत उतना प्रभावी नहीं जितना हो सकता था। 'उई अम्मा' एकमात्र ऐसा गीत है जो यादगार है। 'बिरंगे' कोरियोग्राफी की वजह से कामयाब है। 'आज़ाद है तू' और 'आज़ाद है तू (रिप्राइज)', ऐसे गाने नहीं है कि इन्हें लंबा याद रखा जाए। 'अजीब-ओ-गरीब' में विंटेज फील जरूर है। हितेश सोनिक के बैकग्राउंड स्कोर में सिनेमाई फील है। सेतु की सिनेमैटोग्राफी संतोषजनक है और क्लाइमेक्स में रेस सीक्वेंस में यह बहुत अच्छी है। VFX प्रभावशाली हैं।
आजाद मूवी रिव्यू निष्कर्ष
कुल मिलाकर 'आजाद' शुरुआत में कमजोर है। कहानी में न्यूकमर्स को स्थापित करने में लंबा टाइम लिया गया है। कमजोर स्क्रिप्ट और रोमांटिक एंगल की कमी के कारण दर्शकों को खींचने में खासा सफल नहीं है। फिर भी फिल्म को दमदार एक्टिंग के लिए एक मौका दिया जा सकता है।