- फिल्म रिव्यू: अतरंगी रे
- स्टार रेटिंग: 3 / 5
- पर्दे पर: Dec 24, 2021
- डायरेक्टर: आनंद एल राय
- शैली: रोमांटिक ड्रामा
ऐसे दौर में जब दर्शक थिएटर पर आने से कतरा रहा हो और ओटीटी का प्रयोगधर्मी चैलेंज मुंह बाए खड़ा है, सहज रिश्तों को गोलमाल और अतरंगी अंदाज में परोसने की हिम्मत वही जुटा सकता है जो इसे लेकर वाकई लंबे समय से सोच रहा हो। ऐसा केवल आनन्द एल राय ही कर सकते हैं। उनकी फिल्म अतरंगी रे कई मायनों में अतरंगी है। रिश्तों का अतरंगापन फिल्म में देखने को मिल सकता है और साथ ही आपको मिलेंगे दो शानदार कलाकार,जिन्होंने इस फिल्म के जरिए अपनी संभावना दिखाई है। जी हां, सारा अली खान और साउथ के एक्टर धनुष ने इस फिल्म के जरिए ना केवल अपनी शानदार एक्टिंग स्किल दिखाई है बल्कि मार्केट में अपने लिए एक ब्रांडिंग की है जिसका लाभ उनको आने वाले वक्त में मिलेगा।
पिछली कुछ फिल्मों के ना चलने के बाद आनन्द एल राय ने इस फिल्म में सब कुछ करने का प्रयास किया है। यहां अक्षय कुमार जैसे बड़े नाम के एक्सटेंडेड कैमियों के साथ साथ लोकल बैकग्राउंड भी है। एक्शन, इमोशन, ड्रामा रोमांस सब कुछ है, लेकिन फिर भी राय इस फिल्म को थिएटर पर रिलीज करने की हिम्मत नहीं जुटा पाए।फिल्म बिहार के पकड़ौवा विवाह पर आधारित है। साउथ का लड़का धनुष है जिसे पकड़ कर जबरदस्ती उसकी शादी बिहार की रिंकू बनी सारा अली खान से करवा दी जाती है। धनुष की दो दिन बाद सगाई होने वाली है। शादी तो जबरन हो गई लेकिन लड़का लड़की अपने अपने रास्तों पर चलने की सोचते हैं जो अमूमन हिंदी फिल्मों में हो नहीं पाता। लेकिन फिर इस रिश्ते के बीच तीसरा किरदार आता है जो असल में कहीं से आया नहीं है बल्कि पहले से ही मौजूद है। सारी कहानी यहां नहीं बताई जाएगी वरना राय साहब के साथ अन्याय हो जाएगा।
एक्टिंग की बात करें तो सारा अली खान ने अपने कुल जमा छोटे फिल्मी करियर में अब तक का सबसे अच्छा काम किया है। उनका बिहारी लड़की का चकाचक रोल अपने अंदर कई सारे फ्लेवर लपेटे हुए है। वो मासूम भी लगी हैं औऱ तेज तर्रार भी। सारा के लिए ये फिल्म वही काम कर सकती है जो कंगना रनौत के लिए तनु वेड्स मनु ने किया था। आनन्द एल राय की सोहबत में आकर सही मायनों में सारा ने सीखा है कि एक्टिंग कैसी होती है। किरदार को कैसे जिया जाता है। इस फिल्म ने उनके डूबते करियर को नैया दी है तो साथ ही उनकी एक्टिंग को जरूरी पॉलिश भी किया है।
हालांकि रोने के सीन देखने के बाद एक और राय बन सकती है कि सारा को रोना नहीं आता,खासकर स्क्रीन पर। लेकिन फिर भी कहा जाए तो सारा अली खान के लिए ये फिल्म अच्छा स्कोप ला सकती है क्योंकि पूरी फिल्म में रिंकू के कई अवतार हैं जो पूरी तरह छाए हुए हैं। उन्हें अच्छा खासा स्क्रीन स्पेस मिला है और आनन्द ने उनके अंदर एक्टिंग के सभी फ्लेवर को सही तरीके से इस्तेमाल किया है।
धनुष की बात करें तो कई बार उन्हें देखकर शुरूआती हिंदी फिल्मों के कमल हासन याद आ जाते हैं। तमिलभाषी लड़का जब हिंदी में बात करता है तो चुटीलापन दिखता है। हालांकि रांझणा में धनुष यही सब कर चुके हैं लेकिन फिर भी जब जब वो स्क्रीन पर आते हैं तो केवल वही दिखते हैं और शानदार दिखते हैं।
फिल्म में फिलहाल के सुपरस्टार अक्षय कुमार की बात न की जाए तो बात पूरी नहीं मानी जाएगी। अक्षय कुमार उस रिंग मास्टर की तरह फिल्म में उतरे हैं जो चकाचौंध दिखाते हैं। उनकी स्टारडम को देखकर ही आनन्द एल राय ने उन्हें ये रोल दिया है और वही स्टारडम अक्षय ने फिल्म में दिखाई है। अक्षय पूरी फिल्म में नहीं फैलते, एक्सटेंडेड कैमियो में वो दर्शकों को मानों चमत्कृत या कहिए कि उपकृत करने के लिए आते हैं। फिल्म की स्टार वैल्यू बढ़ाने के लिए किया गया ये टोटका कुछ लाभ दिला सकता है।
कहानी और डायलॉग
फिल्म की कहानी अपने नाम के अनुरूप अतरंगी है। हिमांशु शर्मा ने कहानी के साथ साथ संवादों में भी स्थानीय चुटीलापन लाकर फिल्म को देखने लायक बनाया है। लोकल लैंग्वेज और लोकल बैकग्राउंड आजकल सफल फिल्मों की गारंटी बन गया है और इसका ध्यान हिमांशु ने रखा है।
सह कलाकार
अन्य कलाकारों में सीमा विश्वास और धनुष के दोस्त बने आशीष वर्मा को भी अच्छा स्क्रीन स्पेस दिया गया है जिससे ये अपने किरदार में अच्छे लगे हैं।
गाने चकाचक
फिल्म का एक गाना चकाचक हिट हो चुका है। इरशाद कामिल के लिखे गीतों को ए आर रहमान ने अपने संगीत से सजायाहै और गीत संगीत मधुर और मसालेदार बन पड़ा है। अन्य गाने जैसे लिटिल लिटिल और गरदा भी अच्छे बन पड़े हैं।