- फिल्म रिव्यू: ऑलमोस्ट प्यार विद डीजे मोहब्बत
- स्टार रेटिंग: 2 / 5
- पर्दे पर: फरवरी 3, 2023
- डायरेक्टर: अनुराग कश्यप
- शैली: लव स्टोरी
Almost Pyaar with DJ Mohabbat Review: अनुराग कश्यप अपनी हर एक फिल्म में एक अलग तरह का सिनेमाई प्रयोग लेकर आते हैं। फिर चाहे वह बॉलीवुड की लवस्टोरी ही क्यों न हो। उनकी हर फिल्म में एक अजीब एंगल, रोमांटिसिज्म और थ्रिल होता है। वह अपनी प्रेम कहानी में भी ठीक वैसे ही एक्साइटिंग ट्विस्ट और टर्न लेकर आने में माहिर हैं। चाहे वह देव डी, मनमर्जियां या डीजे मोहब्बत... उनकी लवस्टोरी में बॉलीवुड के कमर्शियल लव ड्रामा से अलग एक डार्कनेस एक ग्रे टोन होता है। इस बार भी अनुराग अपने दर्शकों के लिए ऐसी ही रोंगटे खड़े करने वाली लवस्टोरी लेकर आए हैं। यहां जानिए इस फिल्म के बारे में सब कुछ...
दो कहानियों को बांधता डीजे मोहब्बत
डीजे मोहब्बत (विक्की कौशल) के साथ यहां दो समानांतर कहानियों को दिखाया गया है। एक हिंदू लड़की अमृता (अलाया एफ) और एक मुस्लिम लड़का याकूब (करण मेहता) एक म्यूजिक कॉन्सर्ट देखने के लिए एक साथ भाग जाते हैं, जहां याकूब पहली कहानी में अमृता के लिए फीलिंग्स महसूस करना शुरू कर देता है। हालांकि इस प्यार का आधार उतना ही घिसा-पिटा है जितना आम बॉलीवुड लवस्टोरीज में होता है, लेकिन यहां अनुराग का वास्तविकता को दिखाने का प्रयास एक सेंसेशन क्रिएट करता है और इसे रोमांचक बनाए रखता है।
वहीं दूसरी कहानी में एक पाकिस्तानी लड़की आयशा फिर से आलिया एफ द्वारा निभाई गई भूमिका और एक भारतीय लड़का हरमीत (करण), जो लंदन में रहता है पर फोकस है। यह कहानी दिखाती है कि कैसे जुनून, सच्चे प्यार को रौंद देता है और अंत में यह एक कपल को एक अजीब परिस्थिति में उलझा देता है। दोनों कहानियां एक कॉमन स्ट्रिंग 'डीजे मोहब्बत' और उनके पोडकास्ट से जुड़ी है। यह विक्की कौशल के सभी फैंस के लिए एक ट्रीट है।
एक्टिंग कैसी है?
अमृता के रूप में अलाया आज की एक परफेक्ट स्कूल स्टूडेंट लगी हैं, जो सोशल मीडिया की दुनिया में डूबी है। वह किरदार में पूरी तरह है उतरती दिखी हैं। इससे भी महत्वपूर्ण बात यह है कि वह फिल्म की बारीकियों के साथ न्याय करती हैं। हालांकि आयशा के रूप में उनकी एक्टिंग कुछ ज्यादा सिंक नहीं हो पाती।
वहीं अलाया के अपोजिट इस अनुराग कश्यप ने करण मेहता का डेब्यू किया है। याकूब के किरदार में करण मासूम नजर आए हैं। उनकी अजीबोगरीब हंसी है, जो थोड़ी देर के बाद आपको झकझोर कर रख देती है। हरमीत के रूप में करण बेदह प्यारे लगे हैं।
"डीजे मोहब्बत" के रूप में विक्की कौशल का कैमियो एक विजुअल और ऑडिबल ट्रीट है। एक पॉडकास्ट चैनल के साथ एक डीजे का किरदार निभाते हुए, वह अक्सर खुद को गुलज़ार साहब की शायरी के साथ-साथ और मजेदार बनाते हैं। फिल्म में डायलॉग काफी तेज हैं और "डीजे मोहब्बत" द्वारा सुनाई गई शायरी को सुनना आपको बहुत कुछ महसूस कराता है।
म्यूजिक है सबसे बड़ा विनर
इस फिल्म में म्यूजिक इसकी जान है। अमित त्रिवेदी का स्कोर बैलेंस मिक्स के साथ एक दिमाग और दिल को छूता है। फिल्म का लास्ट सॉन्ग, "मोहब्बत से क्रांति," फिल्म को खत्म करता है और आपको उसके बाद के सोचने पर मजबूर कर देता है।
अनुराग की जटिल कहानी
कश्यप की दुनिया से अनजान किसी शख्स के लिए समानांतर चलती कहानियों के बीच स्विच करना मुश्किल और कंफ्यूज करने वाला हो सकता है, खासकर तब जब वही एक्टर अलग-अलग किरदार निभा रहे हों। कई बार ऐसा भी हो सकता है जब आपको लगे कि ये अलग-अलग समय के एक ही इंसान की कहानियां हैं। हालांकि, डीजे मोहब्बत के साथ, समय के बीतने पर अंतर तेजी से साफ हो जाता है और दो कहानियों के बीच का अंतर जानने के बाद फिल्म और भी मजेदार हो जाती है।
कई मुद्दों पर की बात
फिल्म सभी प्रकार की नफरत और सामाजिक मुद्दों को अपने अंदर समेटती है, चाहे वह होमोफोबिया, धार्मिक पूर्वाग्रह, लव जिहाद, पीढ़ीगत अंतर और कोई हो। लेकिन फिल्म के पीछे सबसे बड़ा मैसेज यह था कि पितृसत्ता और उसकी कंडीशनिंग आज भी कैसे हर जगह मौजूद है, भारत के एक छोटे से शहर में या लंदन जैसे शहर में हालात बहुत अलग नहीं हैं। वहीं अंत में देखा जाए तो कहानियां पूरी तरह से प्यार के रिश्ते पर केन्द्रित नहीं थीं, बल्कि इस बात पर थीं कि अलग-अलग पृष्ठभूमि और परवरिश के लोग किसी और की तलाश करते हुए खुद को कैसे पाते हैं।
कैसी है फिल्म
अंत में हम बात करें की कुल मिलाकर फिल्म कैसी है तो 'डीजे मोहब्बत' के साथ लगभग प्यार आपको एक बार फिर 'अनुराग कश्यप' के स्टाइल वाली कुछ कमियों, कुछ खूबियों से भरी प्रेम कहानी परोसते हैं। फिल्म प्यार की एक ग्रे तस्वीर पेश करती है। अगर आपको सिर्फ गुलाबी-गुलाबी इमोशन वाली, रोमांटिक और किताबी प्रेम कहानियां पसंद नहीं आती, तो ये फिल्म आपको अच्छी लगेगी।