- फिल्म रिव्यू: आदिपुरुष
- पर्दे पर: जून 16, 2023
- डायरेक्टर: ओम राउत
- शैली: धार्मिक
Adipurush Review: वैसे तो रामायण कई दफा लिखी गई है कई तरीकों से कई भाषाओं में लिखी गई है... ऐसे में कहा जाता है, जिसके मन में राम की छवि जैसी दिखी, उसने वैसी लिखी... ऐसी ही एक छवि निर्देशक ओम राउत के मन में थी और उन्होंने अपने तरीके से राम की छवि को आदि पुरुष में उतारा।
डायरेक्शन और राइटिंग
ओम राउत का निर्देशन और मनोज मुंतशिर की लिखी हुई 'आदिपुरुष' को अगर पुरानी रामायण से जोड़ा जाए या रामायण के किरदारों को ढूंढा जाए तो मुश्किल होगा। आज के ऑडियंस को मद्देनजर रखते हुए यह फिल्म बनाई गई है जिससे भारत ही नहीं बल्कि विदेश ऑडियंस भी जुड़ पाए।
कहानी
रामायण सभी ने पढ़ी है और सभी को पता है तो कहानी से छेड़-छाड़ नहीं हो सकती थी और की भी नहीं गई है। 'आदिपुरुष' में रामायण का वह अंश पकड़ा गया जहां से सीता हरण होता है, और फिर किस तरह से राम हनुमान जी के साथ या उनके सहयोग से लंका जाकर रावण के चंगुल से सीता माता को छुड़ा लाते हैं।
कैसी है एक्टिंग
राम के रूप में प्रभास अच्छे लगे हैं लेकिन फिल्म शुरू होने की काफी देर बाद वह अपने किरदार को अपनाते हैं। शुरू-शुरू में कनेक्ट नहीं बन पाता। कृति अच्छी लगी हैं। सैफ अली खान से उम्मीद ज्यादा थी, वह पावरफुल लगे हैं। सनी सिंह ने लक्ष्मण का सपोर्ट भी ठीक-ठाक दिया है, हनुमान जी का किरदार निभाने वाले देवदत्त नागे ने बढ़िया काम किया है, उनकी मौजूदगी कई बार लोगों के चेहरे पर मुस्कुराहट बिखेरते हैं।
क्या हैं अच्छी चीजें
- शिव जी के सबसे बड़े भक्त होने के नाते रावण की शिव आराधना।
- श्री राम और समुद्र देवता के बीच बातचीत
-हनुमान जी की एंट्री और उनके कुछ नटखटी सींस
- रावण और सीता के बीच लक्ष्मण रेखा पर बातचीत
-फिल्म की शुरुआत में राम सिया राम गाने में ही चित्रों के माध्यम से विष्णु के राम जन्म से लेकर सीता का स्वयंवर और राम के वनवास की कहानी बयां की गई है.... उसकी सुंदरता अद्भुत है।
म्यूजिक - अजय-अतुल का म्यूजिक अच्छा है क्योंकि जिन गानों के साथ और चौपाइयों के साथ हम सब बड़े हुए हैं उन्हें याद करना और उन्हें सुनना अच्छा लगता है।
अब बात करते हैं ट्रीटमेंट की...
- रामायण के साथ जुड़े लोग उसके इमोशन से जुड़ना पसंद करेंगे। न सीता हरन का दर्द लोगों को समझ आता है और न ही हनुमान जी का संजीवनी बूटी लाने पर खुशी। रावण के रूप का न ही खौफ बैठता है और न ही उनके कपट पर गुस्सा।
- लड़ाई के सींस ऐसे लग रहा था जैसे कोई हॉलीवुड फिल्म चल रही हो। मॉडर्न रामायण बनाने के चक्कर में वानर सेना और रावण की सेना के चेहरे जोंबीज की तरह लग रहे थे।
- फिल्म का ग्राफिक्स अच्छा है मगर किसी भी चीज का ओवरडोज अच्छा नहीं होता।
- जब कोई माइथोलॉजिकल फिल्म बनाई जाती है तो सबसे पहले भाषा पर ज्यादा जोर दिया जाता है मगर ओम राउत की आदि पुरुष इस बात से कोई ताल्लुक नहीं रखता। कई बाहर उर्दू शब्द का इस्तेमाल किया गया है, जबकि रामायण के युग में तो उर्दू भाषा का जन्म भी नहीं हुआ था।हनुमान जी आम बोलचाल की मुंबईया भाषा में बोलते सुनाई देंगे जैसे 'कपड़ा तेरे बाप का, तेल तेरे बाप का.. जलेगी भी तेरे बाप की' जैसे डायलॉग शायद ऑडियंस को पसंद न आए।
- किरदारों के लुक पर पहले भी बात हो चुकी है और ओम राउत ने कहा है कि वो उनका डिपिक्शन है
जनता जनार्दन की राय
प्रभास और कृति सेनन की 'आदिपुरुष' का इंतजार दर्शक बेसब्री से कर रहे थे, लेकिन जब पहले शो देखकर लोग निकले तो उनके चेहरे पर ज्यादा तृप्ति नजर नहीं आई। सभी का यही मानना था कि 'आदिपुरुष' को रामायण से जोड़कर नहीं देख पाए। ओम राउत की 'आदिपुरुष' मॉडर्न रामायण है।
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