- फिल्म रिव्यू: 3 स्टोरीज
- स्टार रेटिंग: 2.5 / 5
- पर्दे पर: 9 मार्च 2018
- डायरेक्टर: अर्जुन मुखर्जी
- शैली: सस्पेंस/ड्रामा
आप जब घर से निकलते हैं तो आपको कई चेहरे नजर आते हैं, जिसे आप भीड़ कहते हैं। भीड़ में चल रहे चेहरों को आप नही जानते हैं, लेकिन हर चेहरे की एक कहानी है। कुछ ऐसे ही चेहरे जिन्हें हम भीड़ कहते हैं उनकी कहानी हमें 3 स्टोरीज़ में देखने को मिलेंगी। कहानी मुंबई के मायानगर के एक 3 मंजिला चॉल से शुरू होती है। यहां हर धर्म, समुदाय के लोग रहते हैं। निर्देशक अर्जुन मुखर्जी ने 3 स्टोरीज़ के साथ पहली बार निर्देशन में हाथ आजमाया है। फिल्म की कहानियां तो सामान्य हैं, लेकिन एक दिलचस्प ट्विस्ट के साथ खत्म होती है।
फिल्म में ऋचा चड्ढा, पुल्कित सम्राट, रेणुका शहाणे, शरमन जोशी और दधि पांडे जैसे कई जाने पहचाने चेहरे हैं। ‘तुम बिन’ वाले हिमांशु मलिक भी इस फिल्म में लंबे समय बाद नजर आ रहे हैं।
पहली कहानी में फ़्लोरी मेंडोंसा (रेणुका शहाणे) को अपना घर बेचना है और उसकी खरीददारी के लिए हैदराबाद से सुदीप (पुलकित सम्राट) आता है। 20 लाख के इस घर की कीमत फ्लोरी 80 लाख बताती है और सुदीप तैयार भी हो जाता है। दूसरी कहानी वर्षा (मासूमी मखीजा) और शंकर वर्मा (शरमन जोशी) की है। दोनों कभी एक दूसरे से प्यार करते थे लेकिन अब दोनों की शादी अलग-अलग जगह हो जाती है। तीसरी कहानी रिजवान (दधि पांडे) के बेटे सुहेल (अंकित राठी) और मालिनी (आएशा अहमद) की लव स्टोरी है। दोनों हिंदू मुस्लिम हैं लेकिन एक दूसरे से बेइंतहा प्यार करते हैं, लेकिन फिर इन्हें एक बड़ा राज़ पता चलता है। इन सबके साथ फिल्म में लीला (ऋचा चड्ढा) भी हैं। अभिनय की बात करें तो सभी कलाकार अपने रोल में फिट हैं, और अपने अभिनय से हमें चौंकाते हैं।
फिल्म का नरेशन, फिल्मांकन और कैमरावर्क अच्छा है लेकिन फिल्म का क्लाइमेक्स बहुत कमजोर है। शायद निर्देशक ने हैप्पी एंडिंग दिखाने की चाह में फिल्म के अंत के साथ खिलवाड़ कर लिया है। फिल्म बंधी हुई है, लेकिन इतनी अच्छी भी नहीं है कि आप चौंक जाए।
आप एक बार यह फिल्म देख सकते हैं, लेकिन इस शर्त पर कि आप स्लो फिल्म देखते हों। अगर आपको मसालेदार एंटटेनिंग फिल्म पसंद है तो आप बोर हो सकते हैं। मेरी तरफ से इस फिल्म को 2.5 स्टार।
-ज्योति जायसवाल