Director Rajamouli: साल 2015, भारतीय सिनेमा के लिए एक नायाब साल था। इस साल दक्षिण भारत से एक ऐसी फिल्म रिलीज़ हुई थी जिसने तहलका मचा दिया था। इस फिल्म को देखने वालों की भीड़, बरसों बाद ब्लैक में टिकट लेकर सिनेमाघरों में पहुँची थी और जो भी फिल्म देखकर निकलता था, उसके मुँह से दो ही बात बाहर आती थीं, पहली – वाह! और दूसरी – कटप्पा ने बाहुबली को क्यों मारा? जी हाँ, बाहुबली वो ब्लॉकबस्टर फिल्म थी जिसने कमाई और कामयाबी के झंडे गाड़ दिए थे। इसके रचिएता राजामौली, बाहुबली से पहले भी – मगधीरा जैसी एपिक फिल्म बना चुके थे। इसके बाद बाहुबली 2 भी विश्व स्तर पर भयंकर हिट फिल्म साबित हुई थी। भारतीय सिनेमा में, बाहुबली से पहले, और बाहुबली के बाद, दो एरा बन गए थे। आज भी हम किसी एपिक फिल्म का ट्रेलर देखते हैं तो पहली तुलना यही होती है कि ये बाहुबली से कितनी कमतर है।
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60 रातों तक सिर्फ रीटेक
इसी साल में, राजामौली ने RRR नामक फिल्म रिलीज की थी और इस फिल्म का सिर्फ एक इन्टरवल से पहले वाला सीन, पूरे विश्व की सैकड़ों फिल्मों पर भारी पड़ सकता है। राजामौली ने शायद उसी सीन की बदौलत RRR ऑस्कर में प्राइवेट एंट्री के द्वारा नामांकित किया है। पर ऐसा क्या है राजामौली के डायरेक्शन में जो उन्हें बाकी निर्देशकों से अलग करता है? राजामौली के काम को गौर से देखें, उनके इंटरव्यू सुने तो हमें पता चलता है कि राजामौली एक-एक सीन को परफेक्ट बनाने के चक्कर में, बजट और कलाकारों के कम्फर्ट का बिल्कुल ध्यान नहीं देते हैं। RRR की बात करें, तो इसमें इन्टरवल से पहले के सिक्वेंस में राजामौली ने राम चरण और जूनियर NTR को 60 रातों तक सिर्फ रीटेक करवाया था कि उन्हें जो चीज़ चाहिए वो उन्हें नहीं मिल रही थी।
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राजामौली की अगली फिल्म महेश बाबू के साथ
इसी तरह बाहुबली में भी राजामौली ने प्रभास राजू और राणा डग्गुबाती को 3 महीने तक जिम में इस कदर खपाया था कि दोनों ने अपने शरीर को लोहा बना लिया था। और ये सारी मेहनत कुछ गिने चुने सीन्स के लिए थी। यहाँ तक की, प्रभास के दोनों रोल, अमरेन्द्र बाहुबली और महेंद्र बाहुबली के लिए प्रभास को अलग-अलग वजन में शूटिंग करनी थी और बॉडी स्ट्रक्चर भी बिल्कुल बदलना था, राजामौली ने किसी भी चीज़ में कोई कोताही न करते हुए फिल्म को शेड्यूल से कहीं ज्यादा टाइम दिया और फिर जो चीज़ बनी, उसकी तारीफ दुनिया भर में हुई। तो एक लाइन में अगर कहें, तो पता चलेगा कि राजामौली का विज़न, उनकी सोचने की क्षमता इतनी सशक्त है कि उन्हें जो चाहिए वो उसमें कोई कॉम्परोमाइज़ नहीं करते हैं। यही बात, उन्हें बाकी हर दूसरे समकालीन डायरेक्टर से अलग बनाती है। राजामौली की अगली फिल्म महेश बाबू के साथ होगी। अब देखना बनता है कि उस फिल्म में वो अपना बनाया कौन सा रिकॉर्ड तोड़ते हैं।