मीनाक्षी शेषाद्रि ने 1983 में 'पेंटर बाबू' से अपना एक्टिंग डेब्यू किया, जिसका निर्माण मनोज कुमार ने किया था। उन्होंने अपने करियर में अमिताभ बच्चन, विनोद खन्ना, ऋषि कपूर से लेकर सनी देओल तक जैसे स्टार्स के साथ काम किया। खासतौर पर विनोद खन्ना के साथ मीनाक्षी शेषाद्रि ने कई फिल्मों में काम किया, जिनमें 'सत्यमेव जयते', 'जुर्म', 'पुलिस और मुजरिम', 'क्षत्रिय' और 'हमशक्ल' जैसी फिल्में शामिल हैं। इतनी फिल्मों में साथ काम करते हुए मीनाक्षी की विनोद खन्ना के साथ अच्छी दोस्ती भी हो गई और उनकी ऑन-स्क्रीन केमिस्ट्री को दर्शकों ने खूब सराहा। हालांकि, शानदार करियर के बावजूद उन्होंने अपने अपनी पर्सनल लाइफ पर ध्यान देने के लिए 1996 में अपना फिल्मी करियर छोड़ दिया और विदेश में बस गईं।
मीनाक्षी ने विनोद खन्ना संग कई फिल्मों में किया था काम
अब लहरें रेट्रो के साथ बातचीत में सालों बाद मीनाक्षी शेषाद्रि इंडस्ट्री में अपनी वापसी की तैयारी कर रही हैं। इस बीच उन्होंने दिवंगत दिग्गज अभिनेता विनोद खन्ना के साथ अपनी केमेस्ट्री पर खुलकर बात की। विनोद खन्ना को याद करते हुए मीनाक्षी शेषाद्रि ने कहा- 'विनोद खन्ना और मेरे बीच बहुत अच्छे रिश्ते थे। जब मैं उनके साथ शूटिंग कर रही होती थी तो मेरे पिता को सेट पर जाना बहुत पसंद था। दोपहर के लंच के समय, हम मैं, मेरे डैडी और विनोद जी... गंदे जोक्स मारा करते थे।'
मीनाक्षी शेषाद्रि ने विनोद खन्ना संग केमेस्ट्री पर की बात
मीनाक्षी आगे कहती हैं- 'विनोद खन्ना बहुत ही शांत स्वभाव के व्यक्ति थे। वह अपने करियर के पीक पर थे। वह आश्रम जाते थे और वापस आकर शूटिंग करते थे।' इससे पहले उन्होंने फिल्मफेयर के साथ एक साक्षात्कार मेंकहा था, “उन दिनों वह ओशो रजनीश के टेप सुनते थे। वह मुझे ओशो को सुनने के लिए प्रोत्साहित करते थे, लेकिन उन्होंने कभी इसके लिए मुझे मजबूर नहीं किया। बाद में उन्होंने कविता दफ्तरी से शादी कर ली। मैं उनकी कुछ पार्टियों का हिस्सा बनी, लेकिन यह मेरे लिए रेयर था क्योंकि मैं कभी भी लोगों से मेलजोल नहीं रखती थी।'
मैं, मेरे डैडी और विनोद जी लंच टाइम पर जोक्स मारा करते थे
'मैं यह दावा नहीं कर रही कि विनोद जी बहुत अच्छे दोस्त थे। लेकिन वह एक दयालु और बेहतरीन व्यक्ति थे। जब मैं विनोद जी के साथ फिल्म कर रही था तो मेरे पिता को मेरी शूटिंग में शामिल होना बहुत पसंद था। ऐसे में हम तीनों लंच टाइम पर साथ बैठते और मैं, मेरे पापा और विनोद जी हम तीनों गंदे जोक्स मारा करते थे। दूसरों को हैरानी होती थी कि हम किस बात पर हंस रहे हैं। मैंने अपने पिता के साथ एक मजेदार रिश्ता साझा किया है, जहां हम साथ जोक करते थे और हंसते थे। विनोद जी के साथ, यह उसी का विस्तार था। मैं अपने व्यक्तित्व के इस पहलू को किसी और के दिखाने में सहज नहीं थी।'