60 के दशक में राज कुमार और सुनील दत्त स्टारर फिल्म 'हमराज' से डेब्यू करने के बाद विमी एक घरेलू नाम बन गई थीं। बी आर चोपड़ा के बैनर तले बनी इस फिल्म में शानदार मुमताज भी थीं। फिल्म को बॉक्स ऑफिस पर लोगों का प्यार मिला और विमी को फैंस ने अपने दिल में उतारा।
शोबिज में विमी की अचानक एंट्री और फिर गुमनामियों भरी जिंदगी। उनके नाम के आगे एक ऐसा सवाल छोड़ जाती है, जिसे हर वो सिनेमा प्रेमी जानना चाहता है जिसने रुपहले पर्दे पर विमी को देखा है। आखिर विमी की जिंदगी में ऐसा क्या हुआ जिसकी वजह से उनकी दुखद जिंदगी की शुरुआत होने लगी?
गैर-फिल्मी बैकग्राउंड से आने वाले विमी मुंबई के सोफिया कॉलेज से मनोविज्ञान में ग्रेजुएट थीं। वह एक ट्रेन्ड सिंगर थीं, जो अक्सर ऑल इंडिया रेडियो बॉम्बे के कार्यक्रमों में भाग लेती थीं। म्यूजिक डायरेक्टर रवि ने विमी को बीआर चोपड़ा से मिलवाया और उन्हें आसानी से 'हमराज' का रोल मिल गया।
1967 के एक इंटरव्यू में उनके बारे में बात करते हुए बीआर चोपड़ा ने विमी की तारीफ करते हुए कहा, "विमी बुद्धिमान, शिक्षित और चीजों को जल्दी से पकड़ लेती हैं।" मगर अगले पल ही इस बात का भी ख्याल आने लगता है कि पहली ही फिल्म इतनी तारीफ बटोरने वाली विमी को फिर बीआर चोपड़ा ने कास्ट क्यों नहीं किया।
विमी ने इस फिल्म के बाद कई फ्लॉप फिल्मों का स्वाद चखा। वह मेहनत करती रहीं लेकिन कामयाबी उनके हाथ नहीं आई। विमी ने शशि कपूर के साथ कुछ और फिल्में साइन की, लेकिन खुद को एक भरोसेमंद अभिनेत्री के रूप में स्थापित करने में असफल रहीं।
कई फिल्मों में विमी ने खुद को लीड रोल में दर्शकों के सामने पेश किया। जहां 1971 में रिलीज़ हुई 'पतंगा' ने विमी के मुश्किल दौर से गुजर रहे करियर में राहत पहुंचाने की कोशिश की। तो वहीं 1974 में शशि कपूर के साथ फिर से रिलीज़ हुई 'वचन' दर्शकों को लुभा नहीं पाई।
फिल्मों के इतर फैशन के मामले में विमी अपने स्टाइल सेंस के जरिए लोगों की पसंद बनी रहीं, जो पुराने हॉलीवुड के सितारों के बराबर थी। उन्होंने ऑन और ऑफ स्क्रीन नाइन्स के कपड़े पहने थे, और फिल्मों के लिए ग्लॉसी-ग्लैमरस अवतार में पोज देकर अपने दर्शकों के दिल को बेकरार कर दिया। उम्र की एक दहलीज पर उन्होंने एक फोटोशूट के लिए बिकनी की हिम्मत भी की थी, जिसे उस दौर में एक बोल्ड मूव कहा जा सकता है।
बॉक्स ऑफिस पर लगभग सभी फिल्मों के पिट जाने के बाद विमी ने ऐलान किया की कि वह पैसे के लिए फिल्में नहीं कर रही थी, उनके पास बहुत कुछ था, जो उनकी लाइफस्टाइल और स्टाइल स्टेटमेंट के जरिए उभर कर आता था।
कहते हैं सच्चाई अक्सर आंखों से दूर होती है। उनकी निजी जिंदगी जिस भंवर में फंसी थी यह बस विमी ही जानती थीं। बॉलीवुड की अधिकांश हसीनाओं से अलग विमी ने इंडस्ट्री में जब एंट्री की तो वह पहले से ही शादीशुदा थीं और दो बच्चों की मां थीं। पंजाबी सिख परिवार की सुंदर लड़की विमी ने कलकत्ता के एक मारवाड़ी व्यवसायी शिव अग्रवाल के प्यार में पड़ने के बाद अपने माता-पिता के साथ संबंध खराब कर लिए थे। जब विमी ने अपने माता-पिता की सहमति के खिलाफ शिव के साथ शादी के बंधन में बंधी तो उन्हें उनका आशीर्वाद कभी नहीं मिला। आगे चल कर उनकी फैमिली से भी उनका साथ वक्त के साथ छूटने लगा।
फिल्मों में बेहतर न कर पाने की वजह से इंडस्ट्री में 7 साल के भीतर विमी ने खुद को बेरोजगार पाया। वह फिल्म एक दलाल के साथ रह रही थी, जो हर तरह से उसका शोषण कर रहा था। जैसे-जैसे दौलत कम होती गई, डिज़ाइनर ड्रेस और स्पोर्ट्स कारों की चमक से दूर जिंदगी उन्हें दरिद्रता के करीब ले गई और विमी को वेश्यावृत्ति के लिए मजबूर हो पड़ा।
जिंदगी में अपने गम को भुलाने के लिए विमी शराब पीने लगी। सस्ता और जहरीला शराबा। क्योंकि उनके पास अब उतने पैसे नहीं थे। ज्यादा और लगातार शराब पीने से उसका शरीर खोखला होने लगा। धीरे-धीरे उसने दिल की परेशानियों ने विमी का जीना मुहाल कर दिया और 34 साल की उम्र में विमी ने दम तोड़ दिया।
पहले से ही गुमनामी की दुनिया में खोई विमी को उनके आखिरी वक्त में बॉलीवुड से किसी ने याद नहीं किया और न ही उनकी मौत पर किसी को दुख हुआ। वह नानावती अस्पताल के जनरल वार्ड में एक कंगाल की मौत मर गई, और उसका शव एक ठेले पर श्मशान घाट पहुंचा, जहां उन्हें जानने वाला कोई मौजूद नहीं था।