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दर्दनाक मौत के पीछे छुपा है खजाने का राज! 400 साल से सो रही दादी दिखाएगी रास्ता

'तुम्बाड' की कहानी और क्लाइमैक्स देख आपके होश उड़ जाएंगे। इस हॉरर क्लासिक फिल्म में खजाने का राज जानने के पहले मौत खौफनाक का मंजर देखने को मिलता। वहीं, आज तक हस्तर का भी बरकरार है।

Written By: Himanshi Tiwari @Himanshi200124
Published on: September 13, 2024 17:49 IST
Tumbbad Film- India TV Hindi
Image Source : INSTAGRAM दर्दनाक मौत के पीछे छुपा है खजाने का राज!

राही अनिल बर्वे के डायरेक्शन में बनी 'तुम्बाड' 12 अक्टूबर 2018 को थिएटर्स में रिलीज हुई थी और मात्र 5 करोड़ रुपए के बजट में बनी इस फिल्म ने 13 करोड़ रुपए से ज्यादा का बॉक्स ऑफिस कलेक्शन किया था। ये इंडिया में सिर्फ 575 स्क्रीन्स पर ही रिलीज हुई थी, लकेिन फिर भी सिनेमाघरों में तहलका मचा दिया था। कम बजट में बनी इस फिल्म की कहानी आपके सोच से भी परे हैं, जिसे देख आप ये समझ ही नहीं पाएंगे की अब आगे क्या होने वाला है। फिल्म 'तुम्बाड' की आइकॉनिक लाइन जिसे आप कभी नहीं भूल सकते हैं- 'दादी सो जा, वर्ना हस्तर आ जाएगा।' इस लाइन में दर्दनाक मौत, जिंदगी और खजाने का राज छुपा था जो 400 साल से सो रही दादी ने बताया था।

दर्दनाक मौत के बाद तुम्बाड खजाने का खुलेगा राज

'तुम्बाड' 13 सितंबर को थिएटर्स में फिर से रिलीज हुई है, जिसने तहलका मचा दिया है। फिल्म की कहानी दो मौत, परिवार की खुशी और खजाने पर है, जिसे पाने के लिए विनायक राव अपनी जिंदगी तक दांव पर लगा देता है। विनायक राव के किरदार में नजर आए सोहम शाह इस फिल्म में 20वीं सदी के ब्रिटिश भारत के गांव तुम्बाड में छिपे खजाने की खोज की कहानी है। मां और भाई की मौत के बाद भी खजाने के लालच में 14 साल बाद विनायक अपने गांव लौटने का फैसला करता है। गरीबी से ‌लाचार विनायक हस्तर से बचकर खजाने का राज जानने की कोशिश करने में लग जाता है।

400 साल से सो रही दादी देगी खजाने का पता

राही अनिल बर्वे की 'तुम्बाड' में लालची विनायक और हस्तर की कहानी को दिखाया गया है। कौन है हस्तर? जब एक परिवार हस्तर नाम के राक्षस, जिसकी कभी पूजा नहीं की जाती उसके लिए मंदिर बनाता है और उसकी शापित संपत्ति पर अपना कब्जा करने का प्रयास करता है तो उन्हें भयावह परिणामों का सामना करना पड़ता है। ऐसे में 14 साल बाद विनायक राव अपने गांव वापस आता है और 400 साल से सो रही दादी से खजाने का राज पूछता है। दादी उसे सब कुछ बता कर बैकुंठ धाम चली जाती है।

हस्तर होगा खत्म

दादी की मौत के बाद फिल्म में दिखाया गया है कि विनायक राव (सोहम शाह) नाम का एक शख्स अपने बेटे पांडुरंग (मोहम्मद समद) को देवी मां के सालों पुराने दबे हुए खजाने के बारे में जानकारी देता। धरती के गहरे गर्भ गृह में खूब सारा सोना दफन है, जिसकी रक्षा के हस्तर नाम का शैतान करता है जो एक समय में देव माना जाता था। ऐसे में खजाना थोड़ा-थोड़ा करके उसे और उसके बेटे को मिल जाता है और वह हस्तर को आग से जला देता है। मितेश शाह, प्रसाद, राही अनिल बर्वे, और गांधी द्वारा लिखित, फिल्म का निर्माण सोहम शाह, आनंद एल राय, मुकेश शाह और अमिता शाह ने किया था।

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