Sunday, September 29, 2024
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बस कंडक्टर से हीरो बने सुनील दत्त, फिर एक फैसले ने बनाया दिवालिया, दांव पर लगा था घर-बार

एक्टर से पॉलिक्स की दुनिया में कदम रखने वाले सुनील दत्त का जन्म 6 जून 1929 को हुआ था। आज उनकी 95वीं जयंती है। इस खास मौके पर आपके लिए हम उनकी जिंदगी से जुड़ी ऐसी बातें लेकर आए हैं जो शायद ही आपको पता होंगी।

Written By: Jaya Dwivedie @JDwivedie
Updated on: June 06, 2024 6:26 IST
Sunil Dutt- India TV Hindi
Image Source : X सुनील दत्त।

1950 और 1960 के दशक में सुनील दत्त बॉलीवुड के सुपरस्टार बन गए थे। लोगों को उनकी फिल्में देखने का अलग ही चसका रहता था। अपनी हर फिल्म में वो अपनी संजीदा एक्टिंग से बोल्ड मैसेज देते थे। उन्होंने 'मदर इंडिया', 'साधना', 'इंसान जाग उठा', 'सुजाता', 'मुझे जीने दो', 'पड़ोसन' जैसी कई हिट फिल्में दीं। हर फिल्म में उनका अलग, अंदाज, अवतार और तेवर देखने को मिला। वह एक्टिंग के साथ-साथ राजनीति में भी कामयाब रहे। यही वजह है कि उनकी राजनीतिक विरासत को उनकी बेटी प्रिया दत्त आगे लेकर जा रही हैं। आज उनकी 95वीं जयंती के मौके पर आपको उन उतार-चढ़ाव के बारे में जानेंगे जिनके बारे में आपको शायद ही पता हो। 

एक फैसले ने बदली जिंदगी

सुनील दत्त ने अपने एक्टिंग करियर में करीब 50 फिल्मों में काम किया। एंक्टिंग करियर में सफल होने के बाद उन्होंने फिल्में प्रोड्यूस में भी हाथ आजमाया, लेकिन ये काम उन्हें रास नहीं आया। इस काम के चलते उनकी आर्थिक स्थिति काफी बिगड़ गई। दरअसल सुनील दत्त फिल्म 'रेशमा और शेरा' को प्रोड्यूस कर रहे थे और खुद इसमें लीड एक्टर भी थे। फिल्म को सुखदेव डायरेक्ट कर रहे थे, लेकिन सुनील दत्त को सुखदेव का निर्देशन खासा पसंद नहीं आया। इसके बाद उन्होंने इस फिल्म को खुद डायरेक्ट करने का फैसला कर लिया। सुखदेव के निर्देशन में फिल्म की शूटिंग काफी हद तक पूरी हो गई थी, लेकिन सुनील दत्त ने इसे नए सिरे से शूट करने का फैसला किया। इस फिल्म के लिए उन्होंने काफी बड़ा कर्ज भी ले लिया।  

सुनील को लगा था बड़ा झटका

एक ओर सुनील दत्त पर कर्ज था, वहीं दूसरी ओर फिल्म फ्लॉप हो गई। ऐसे में उन्हें बड़ा झटका लगा। फिल्म के पिटते ही लोग उनसे पैसे वापस मांगने लगे। इस बारे में बात करते हुए सुनील दत्त ने एक पुराने इंटरव्यू में बताया था, 'मैं उस वक्त दिवालिया हो गया था। मुझे अपनी कारें बेचनी पड़ी और मैं बस में सफर करने लगा था। मैंने बस अपने बच्चों को स्कूल छोड़ने के लिए एक कार रखी थी। मेरा घर तक गिरवी था।' कई मेहनत के बाद सुनील दत्त इस मुश्किल वक्त से निकल गए और उनकी आर्थिक स्थिति दोबारा बेहतर हुई। इस वक्त उन्हें पत्नी नरगिस और बच्चों का साथ मिला। 

कई फिल्म में आजमाए हाथ

बता दें कि सुनील दत्त का जीवन बचपन में भी आसान नहीं था। उन्होंने बचपन के दिनों से ही कई उतार-चढ़ाव देखे। 5 साल की छोटी उम्र में ही उन्होंने अपने पिता को खो दिया था। जैसे-तैसे ही उनकी पढ़ाई पूरी हो सकी। जय हिंद कॉलेज, मुंबई में उन्होंने हायर एजुकेशन के लिए एडमिशन लिया। पढ़ाई के साथ ही पेट पालने के लिए उन्होंने काम की तलाश शुरू कर दी। इस तलाश में उन्हें बस कंडक्टर की नौकरी मिली और वो इसे करने लगे। कुछ दिनों तक इसे करने के बाद उन्होंने रेडियो जॉकी के तौर पर काम किया। कई सालों तक इसे करने के बाद उन्हें पहली फिल्म हाथ लगी। साल 1955 में उन्हें उनकी पहली फिल्म 'रेलवे प्लेटफॉर्म' में काम किया था। बस इसी शुरुआत के साथ उन्होंने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा।

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