सोनम कपूर अभिनीत 'नीरजा' में अभिनय करने वाले सिंगर शेखर रवजियानी अपनी सुरीली आवाज के लिए जाने जाते हैं। उन्होंने अपने कई गानों से सुरों का जादू चलाया है। 'तुझे भुला दिया', 'बिन तेरे' और 'मेहरबान' जैसे हिट ट्रैक उनके नाम हैं। उन्होंने कई गानों का म्यूजिक भी तैयार किया है, लेकिन बीते कुछ साल सिंगर के लिए अच्छे नहीं रहे। उन्होंने अपनी आवाज खो दी थी। गायक और संगीत निर्देशक शेखर रवजियानी ने अपनी स्वास्थ्य समस्याओं के बारे में खुलकर बात की और बताया कि दो साल पहले उनकी आवाज चली गई थी। अपने इंस्टाग्राम हैंडल पर उन्होंने अपनी स्वास्थ्य समस्या का खुलासा करते हुए एक लंबा पोस्ट शेयर किया और उन्होंने अपने पोस्ट में लिखा, 'यहां कुछ ऐसा है जिसके बारे में मैंने पहले कभी बात नहीं की...आज इसे शेयर करने का मन कर रहा है। मैंने दो साल पहले अपनी आवाज खो दी थी।'
इस बीमारी से तंग आ गए थे शेखर
उन्होंने अपनी बीमारी के बारे में बताते हुए कहा, 'लेफ्ट वोकल कॉर्ड पैरेसिस'- यह डॉ. नुपुर नेरुरकर का एक्सपर्ट डायगनॉसिस था। मैं पूरी तरह टूट चुका था। ईमानदारी से कहूं तो मैं निराशावादी था... मुझे लगता था कि मैं कभी दोबारा नहीं गा पाऊंगा। मेरा परिवार चिंतित था। और मैं उन्हें तनावग्रस्त देखकर खुश नहीं था। मैंने बस और अधिक प्रार्थना की। मैंने काम करना बंद नहीं किया। कोशिश करता रहा, आगे बढ़ता रहा। इस बीच मुझे कुछ हफ्तों के लिए सैन डिएगो जाना पड़ा। सैन डिएगो में मेरी मुलाकात जेरेमी से हुई। उसने मुझे एक देवदूत से मिलवाया। मैं अपनी अगली स्लाइड में उसके बारे में बात करूंगा...'
फिर हुई इस शख्स की एंट्री
शेखर रवजियानी ने इलाज के दौरान अपने अनुभव को साझा करते हुए कहा, 'डॉ. एरिन वॉल्श- जिनसे मैं कोविड के कारण नहीं मिल पाया था। इसलिए हमने इसके बजाय जूम कॉल किया। मुझे याद है कि जब मैंने उनसे कहा कि मैं फिर से गाना चाहता हूं तो मेरी आंखों से आंसू बह निकले। मैंने उनसे विनती की कि कृपया कुछ करें। पहली बात जो उन्होंने मुझसे कही वह यह थी कि मुझे अपनी आवाज के साथ जो हुआ उसके लिए खुद को दोष नहीं देना चाहिए। हमने लंबी बातचीत की और उन्होंने मुझे सहज महसूस कराया और आखिरकार, चमत्कारिक रूप से उन्होंने मुझे विश्वास दिलाया कि मैं गा सकता हूं, जो पहला कदम था।'
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कैसे हासिल की खोई हुई उम्मीद
शेखर ने कहा, 'लेकिन हर बार जब मैं रोता था तो मैं कर्कश आवाज में चिल्लाता था और अपनी आवाज से नफरत करने लगता था... लेकिन, वह अडिग रहीं और मेरी आवाज और आत्मा पर काम करती रहीं। उनके दृढ़ संकल्प, समर्पण और उनकी सकारात्मकता ने कुछ ही हफ्तों में मेरे लकवाग्रस्त बाएं वोकल कॉर्ड को सामान्य कर दिया। मैं अब बिल्कुल ठीक हूं। और पहले से भी बेहतर गा सकता हूं। धरती पर मेरी परी बनने के लिए डॉ. एरिन वॉल्श का शुक्रिया। तब से मैं बहुत से ऐसे लोगों से मिला हूं जिन्होंने कोविड के बाद अपनी आवाज खो दी है। एक रास्ता है। एक समाधान है। बस सकारात्मक रहें और विश्वास रखें। अपने दिलों में हमेशा उम्मीद बनाए रखें। वहां हमेशा ऐसे फरिश्ते होंगे जो आपको ढूंढ़ेंगे और आपको ठीक करेंगे। जय हनुमान।